Friday 31 July 2015

//// IIT रुड़की से छात्रों का निष्कासन - संसद से सांसदों का क्यों नहीं ??....////


आज फिर FTII का मुद्दा वापस चर्चा में आया .... क्योंकि आज राहुल गांधी छात्रों से मिल लिए .... और आज मुझे फिर लगा कि यह मुद्दा तो अभी लंबा चलेगा - क्योंकि सरकार मोदी सरकार है - थोपे गए निदेशक नाकाबिल और बेगैरत जो अड़ गए हैं कि 'मान ना मान मैं तेरा मेहमान' - और छात्र काबिल एकजुट और दृढ़निश्चयी ....

इसलिए काबिल छात्रों से ध्यान हट मेरा ध्यान उन नाकाबिल बतलाए गए ७२ छात्रों की तरफ मुड़ गया जिन्हें IIT रुड़की ने संस्थान से निकाल दिया .... कारण उनका परफॉरमेंस अच्छा नहीं था .... न्यायालय ने भी छात्रों के निष्कासन को सही करार दे दिया .... और मैं भी निष्कासन को सही मानता हूँ .... कारण कि यदि पढाई ही नहीं करनी हो या नहीं कर पा रहे हों तो संस्थान में बने रहने का क्या औचित्य .... कुछ और अच्छा कर लो भाई !!!!

पर मित्रो मेरा मन आज बहुत कचोट रहा है .... वो इसलिए की परफॉर्म ना करने वाले छात्रों को तो संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया - पर जो सांसद संसद में सही परफॉरमेंस नहीं दे रहे हैं या दे पा रहे हैं उनका क्या ?? FTII में ठूंसे ठंसाएं गए गजेन्द्र चौहान का क्या ?? उनको बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाया जाता ????

अब मेरा प्रश्न इतना भी आसान नहीं की झट उत्तर हो सके और उत्तर में एकरूपता हो सके - इसलिए इस प्रकरण में मैं ही उत्तर भी दे देता हूँ ....

छात्रों को इसलिए निकाला जा सका क्योंकि वे मासूम या नासमझ अभी-अभी बालिग़ हुए होंगे .... इस उम्र में नादानी और नासमझी  समझी जा सकती है - इसलिए उनपर दादागिरी करना आसान था सो कर ली गई ....

पर सांसदों को इसलिए नहीं निकाला जा सकता क्योंकि ये शातिर और शाने कभी के ठूंठ हो चुके हैं .... और इस उम्र में इनके द्वारा शानपत और राजनीति समझी जा सकती है - इसलिए इनपर दादागिरी करना नामुमकिन है सो आज तक हुई भी नहीं है .... और गजेंद्र चौहान को मोदी सरकार ने मनोनीत किया था इसलिए हटाने का मन नहीं हो रहा है .... यानि 'मन की बात' - नहीं हटाते जाओ !!!! 

और यदि सांसदों को निकालना भी हो तो इनसे बड़ेवाला कोई है भी तो नहीं जो कार्यवाही कर सके .... वो  तो जनता ही है जो पांच एक साल में मौका पड़ने पर एक शाने को निकाल मजबूरी में दूसरे को संसद के अंदर भेज देती है .... और फिर नए वाला भी कुछ करता धरता नहीं और एक नई चुनौती बन जाता है .... गुर्राता है - है किसी में हिम्मत जो अब मुझे निकाले ????

तो समाधान क्या ????

मेरा उन ७२ छात्रों को सुझाव है कि वो भी राजनीति में आएं - पढाई लिखाई पर से ध्यान हटाएं - शानपत कैसे की जाती है इसका अभ्यास करें - बेशर्मी से कैसे पेश आया जाता है इसकी प्रैक्टिस करें - धरना-प्रदर्शन मारा-कूटी सीखें - IPC की धाराओं का थोड़ा अध्ययन कर लें - भ्रष्टाचार बिन पकड़ाए-धराए कैसे किया जाए ये सीखें - और लफ़्फ़ाज़ी से भरे भाषण कैसे दिए जाएं पारंगत होते ही सांसद नहीं तो विधायक बनने का प्रयास करें - फायदे में रहेंगे - अपना मन छोटा ना करें ....

और यदि ये सब ना कर पाएं तो भी अपना मन छोटा ना करें - वे स्वयं ये सोचें और प्रयास करें कि परफॉर्म न करने वाले सांसदों की छुट्टी कैसे की जाय -  यदि वो ऐसा कर पाए तो ये देश पर बड़ा उपकार होगा !!!! धन्यवाद !!!!

पुनश्च : - IIT रुड़की से निकाले सभी बच्चों को एक विशेष दिशानिर्देश - कभी भी अपने मुहं से ये ना कहें कि वो ग्रेजुएट नहीं है - बल्कि पूरे विश्वास के साथ कहें कि वो ग्रेजुएट ही नहीं पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं - पोस्ट ग्रेजुएशन करने वो ब्रिटेन अमेरिका ऑस्ट्रेलिया इटली आदि जैसे देशों में गए थे पढ़े थे और वहां टॉप किया था .... पर साथ ही विशेष ध्यान दें कि चुनाव आयोग में परचा भरते कुछ गलत नहीं लिखें - वहां तो यही लिखें कि वे १२वी पास हैं - कुछ फर्क नहीं पडेगा - जनता भी कहाँ कुछ देखती है .... कई अंगूठा टेक भी तो चल ही रहे हैं .... बस थोड़ा एडिशनल करना हो तो जरा हेलो हाय वाली क्रिकेटरों वाली इंग्लिश झाड़ना सीख लें - मैं दावे से कहता हूँ वे जल्दी ही मंत्री भी बन जाएंगे !!!!

पुनश्च : - और जो बच्चे अभी भी IIT रुड़की में अध्ययन कर रहे हैं उनके लिए भी मेरा एक संदेश है - पढाई पूर्ण करने के बाद - केजरीवाल जैसा बनने और देश के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास करें .... देश के लिए समाधान समझो निकल ही जाएगा .... FTII के यही छात्र शायद भविष्य में आपके पराक्रम पर शानदार फिल्म बनाएंगे !!!! आमीन !!!!

//// तो क्या मोदी जी चूहों से मात खा गए ??....////


मोदी जी ने तो कहा था कि यदि उनकी सरकार बनी तो वो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से संबंधित सारे दस्तावेज़ सार्वजनिक कर देंगे ....

दस्तावेज़ तो सार्वजानिक हुए नहीं - पर कल दिल्ली में देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने ये सार्वजनिक कर दिया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े दस्तावेज या तो गुम हो गए हैं या उन्हें चूहे खा गए हैं ....

अब १४ महीने बाद भी मोदी सरकार ने दस्तावेज़ तो सार्वजानिक किये नहीं हैं .... इसलिए लगता है कि मोदी जी चूहों से मात खा गए .... बेचारे !!!!

Thursday 30 July 2015

//// याकूब का न्यायसंगत निपटान हो गया .. पर विडंबना जारी है ....////


याकूब को फाँसी हो गई .... याकूब को उसके किये की सजा मिल गई .... न्याय हो गया ....

पर इस दौरान देश में खूब बहस हुई .... फाँसी के औचित्य पर - अन्य फाँसियों पर - अन्य सज़ायाफ्ता अपराधियों पर - अन्य प्रकरणों में अपनाई गईं या नहीं अपनाई गईं न्यायिक प्रक्रिया पर - अन्य दया याचिकाओं के हश्र पर - पिछले राष्ट्रपतियों और सरकारों के द्वारा क्रियान्वयन या अकर्मण्यता पर - मृत्यु दंड के आंकड़ों पर - कितने चढ़े कितने बचे क्यों चढ़े क्यों बचे किसने चढ़ाया किसने बचाया आदि विषयों पर ....

पर सभी बहस में अपना बचाव या पक्ष रखने में भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा एक ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया जाता रहा जिसका लुब्बेलुबाब यह रहा कि - ये सभी प्रश्न याकूब की फाँसी के वक्त ही क्यों - आज क्यों - अभी क्यों ऐसे क्यों और वैसे क्यों .... और इस तरह मुद्दे पर आने से बचा जाता रहा है ....

तो अब जब याकूब को फाँसी हो गई है - उस विषयक सारा निपटान हो गया है - तो मैं भाजपा सरकार से पूछना चाहूँगा कि वो शुभ घडी कब आएगी जब वो सभी प्रश्न पूछे जा सकेंगे या उन विषयों को उठाया जा सकेगा ????

मसलन अब इस बात का जवाब कब मिलेगा कि १९९१ में इस देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की  हत्या के जुर्म में धराए आरोपित और न्यायित हत्यारों या अपराधियों को जिन्हे १९९९ में इस देश के सर्वोच्च न्यायलय द्वारा फाँसी की सजा सुना दी गई थी उन्हें अभी तक फाँसी क्यों नहीं हुई थी और अंततः उन्हें अब फाँसी नहीं दी जा सकेगी तो इसके लिए जिम्मेदार या दोषी कौन ?? क्या इस का दोषी मैं हूँ या ओबामा या याकूब या सलमान या आसाराम या दिग्विजय या राजीव जी की आत्मा या हमारे कई राष्ट्रपति या कई सरकारें या हमारे लचीले या छेद वाले कानून या व्यवस्थाएं या परिपाटियाँ या राजनीति ??

मसलन अब कब और कौन संतोषप्रद उत्तर देगा कि इस देश की विभिन्न जेलों में फाँसी की सजा पा चुके कितने कैदी हैं जिनकी दया याचिकाएं लंबित हो उन्हें सरकारी रोटियां या प्रायोजित मालपुए खिलाए जा रहे हैं - फिर भी उनके हलक़ सूख रहे हैं और उनकी गर्दनें लंबी होने का इंतज़ार कर रही हैं ??

मुझे लगता है कि गर्दनें लंबी होने में तो लंबा वक़्त लगेगा - अभी तो लंबी ज़ुबान की अतार्किक तूतू-मैंमैं  ही देखने सुनने को मिलती रहेगी .... विडंबना जारी है .... खामोशsssssss !!!!

//// हेलो हाय !! से हाय-हाय .... हाय रे !! ये क्या हो गया ....////


और आज अभी राज्यसभा में नारे भी लग गए .... "नरेंद्र मोदी हाय-हाय" ....
और फिर राज्यसभा ठप्प ....

अभी १४ महीन ही तो बीते हैं .... शुरुआत तो हेलो हाय !! से ही हुई थी .... फिर इतनी जल्दी हाय-हाय पर कैसे पहुँच गई ??

शायद बहुत बोलने वाले बहुत चुप हो गए .... और सुनने वाले बोलने लगे .... बस ??
पर चुप क्यों हो गए ??
हाय !! वो खुद समझ पाते .... 
समझ पाते तो खुद कहते - हाय रे !! ये क्या हो गया ....

पर अब क्या कहेंगे ?? क्या कुछ कहने लायक बचे हैं ??
हाँ ....
क्या ?? ....
हाय !!
हेलो हाय वाला हाय ??
नहीं दर्द वाला हाय .... हाय !!
तो आगे क्या ?? ....
बस हाय-हाय - सर्वत्र हाय-रे-हाय ....
अलविदा कलाम साहेब ....

बड़े ग़मगीन हो .... रस्मों रिवाज़ों रवायतों के मुताबिक़ .... आप को सुपुर्दे खाक़ होते देखा ....

आज खाक़ को कलाम होते देखा .... खाक़ को कमाल होते देखा ....

अलविदा !!!!

Wednesday 29 July 2015

//// मेमन को फाँसी राजीव के हत्यारों को मुक्ति !! विवेचना आवश्यक ....////


याकूब मेमन की फाँसी पर देश में बहुत बहस हुई .... सबकी अपनी-अपनी सोच और अपनी-अपनी दलीलें थीं ....

फाँसी कल ३० जुलाई २०१५ को होनी थी .... पर सर्वोच्च न्यायलय में एक महत्वपूर्ण सुनवाई आज सुबह १०.३० बजे से जारी थी .... सबको इंतज़ार था - निर्णय का ....

निर्णय आया वो भी सर्वोच्च न्यायालय से - पर पहले याकूब प्रकरण में नहीं - बल्कि उसके पहले अप्रत्याशित रूप से राजीव गांधी ह्त्या प्रकरण में .... जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी के हत्यारों को मृत्यु दंड देने की केंद्र सरकार की याचिका को ख़ारिज कर दिया .... यानि इस देश के प्रधानमंत्री की हत्या के ३ हत्यारों को अब फाँसी नहीं होगी और सजा को आजीवन कारावास में बदला जाना होगा ....

और शाम होते होते अंततः याकूब फाँसी प्रकरण में भी निर्णय आ गया है .... फाँसी कल ३० जुलाई सुबह ७ बजे ही दी जाना तय हो गया है .... और अब लगता है कि रायता तो फैलेगा ही - फैलाया ही जाएगा !!!!

अतः इस प्रकरण में मेरी प्रतिक्रिया भी देना जरूरी है .... इस देश में जब कभी भी फाँसी हुई है या फाँसी होगी तो वो तो न्यायालय के आदेश से ही तो होना अपरिहार्य है - मेरे आपके कहने से तो कुछ होना नहीं - या मध्यप्रदेश का व्यापम तो कोई फाँसी हेतु चयन करेगा नहीं .... तो क्या किसी भी फाँसी पर सवाल नहीं उठाना चाहिए ?? .. नहीं ऐसा भी सही नहीं होगा - क्योंकि न्याय हमेशा सही किया जाता है ऐसा मान लेना भी गलत ही होगा .... पर यदि आप ऐसा मानते हैं कि न्याय हमेशा सही नहीं किया जाता है या किया जा सकता है तो विकल्प क्या ????

मेरे हिसाब से तो हाल फिलहाल विकल्प यही है कि जब सर्वाधिकार प्राप्त न्यायालय अपना काम पूर्ण कर निर्णय दे देता है तो उस निर्णय पर और उसके क्रियान्वयन पर अमल तो होना ही चाहिए .... और आगे भी ऐसे होता ही रहना चाहिए .... पर कहीं ना कहीं एक बहस या विवेचना की गुंजाइश भी अवश्य होनी चाहिए कि विभिन्न निर्णीत प्रकरणों में विरोधाभासी निर्णय या क्रियान्वयन क्यों ??

मसलन अब क्योंकि रायता फ़ैल ही गया है तो इस बात पर तो विवेचना होनी ही चाहिए कि जब मुंबई के सैंकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की मौत का मुजरिम याकूब मेमन फांसी के फंदे तक पहुँच गया है तो भारत के तत्कालीन सत्तासीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे फाँसी के फंदे तक क्यों नहीं पहुंचे ??

अतः अंततः अपनी स्पष्ट राय रखना चाहूँगा कि - एक ऐसी 'संस्था' का गठन होना चाहिए जो विभिन्न न्यायालयों द्वारा दिए गए सभी निर्णयों की निरंतर विवेचना कर अपनी टिप्पणियाँ सार्वजनिक करती रहे .... हालांकि जिसका कोई वैधानिक महत्त्व ना हो .... पर जिसकी विवेचना और टिप्पणियाँ मात्र ही न्यायपालिका पर एक अंकुश जैसा लगाने और न्यायाधीशों को फीडबैक देने का काम कर सके - साथ ही सरकार को कानूनों में वांछित बदलाव हेतु भी मार्गदर्शन दे सके !!!!

और जब तक ऐसा कुछ नहीं होता - आइये मैं और आप मिलकर ऐसी काल्पनिक 'संस्था' का कार्य अपनी मर्यादाओं में रहकर करते रहें !! धन्यवाद !!

//// संजीव चतुर्वेदी को मैग्सेसे पुरूस्कार .... मोदी सरकार को पलीता ....////


अभी-अभी समाचार आया है कि .... संजीव चतुर्वेदी को मैग्सेसे पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है ....

मैं इसे मोदी सरकार को एक और पलीता लगने जैसी खबर के रूप में देखता हूँ - क्योंकि ये संजीव चतुर्वेदी AIMS के वही मुख्य सतर्कता अधिकारी थे जिन्हें भाजपा पसंदीदा भ्रष्टाचार को पकड़ने के चलते अपने पद से हटा दिया गया था ....

ना खाऊंगा ना खाने दूंगा चिल्लाते रहो .... पर याद रखना तुम में ईमानदार को रोकने की ताकत भी नहीं है .... ना तुम मैग्सेस पुरुस्कृत अरविन्द केजरीवाल को रोक पाए - और ना तुम संजीव चतुर्वेदी को रोक पाओगे - समझ पड़ी !!!!
और यह हम सब के लिए संतोष की बात है - इसलिए सबको बधाई !!!!

और अब मुझे इंतज़ार रहेगा कि चुप्पी साधे मौनदी क्या संजीव चतुर्वेदी को सार्वजनिक रूप से बधाई देते हुए ये कहेंगे कि संजीव चतुर्वेदी ने देश का मान बढ़ाया है .... भले ही संजीव चतुर्वेदी ने भाजपा का मान घटाया हो !!!!

और क्या अब संजीव चतुर्वेदी की सेवाएं केजरीवाल की मांग पर बिना डरे दिल्ली सरकार को सौंप देंगे - है हिम्मत ????

Tuesday 28 July 2015

//// स्व. डा. कलाम को श्रद्धांजलि उपरांत दोनों सदनों की छुट्टी ??....////


'भारत रत्न' पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरांत लोकसभा को २ दिनों के लिए और राज्यसभा को १ दिन के लिए स्थगित कर दिया गया ....

बहुत ही यथोचित और युक्तिसंगत होगा स्व. डा. कलाम को यहाँ उद्घृत करना .... आज के ही 'दैनिक भास्कर' के मुखपृष्ठ पर भी छपे अनुसार उन्होंने कहा था ....

// "मेरी मृत्यु पर छुट्टी न करें - अगर मुझसे प्यार करते हैं तो उस दिन और ज्यादा काम करें" //

और सरकार प्रमुख मोदी तथा पार्टी प्रमुख अमित शाह कहते हैं - वो हमारे पथ प्रदर्शक थे !!!!

कैसा पथ ?? कौनसा पथ ?? और कैसा प्रदर्शन ?? कैसी सीख ?? कैसी सोच ?? कैसे कृत्य ?? और कैसा अनुसरण ????

माफ़ करें श्रीमान !! सर्वथा विडंबना पसरी पड़ी दिखती है ....

पुनश्च: - दोनों सदनों की अघोषित छुट्टी तो आप यूं ही बड़े मजे से मना ही रहे थे - फिर आगामी छुट्टी देश के इस महान सपूत के मृत्यु खाते में क्यों ?? .... खैर !! तो क्या अब आगे १-२ दिन की छुट्टी के बाद संसद में बैठकर कार्य करेंगे ???? ....पक्का करेंगे ना !!!!

Monday 27 July 2015

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि .... 

अभी-अभी अत्यंत दुखद समाचार आया है - डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का निधन हो गया ....

वो हमारे पूर्व राष्ट्रपति थे - वो हमारे नायक थे - हमारे वर्तमान पथ प्रदर्शक थे ....
और अंतिम समय में भी वो आईआईएम शिल्लोंग में छात्रों को सम्बोधित ही कर रहे थे - उनका पथ प्रदर्शन ही कर रहे थे ....
  
'मिसाइल मैन' की कोई मिसाल नहीं ....

वो एक राष्ट्रवादी और देशभक्त थे .... वो एक चमकते हुए भारतीय सितारे थे .... वो एक श्रद्धेय भारतीय थे .... वो एक ज्ञानी भारतीय थे .... वो एक काबिल भारतीय थे ....वो एक सच्चे भारतीय थे ....

कौन भारतीय होगा जो उन्हें कभी भी भुला पाएगा !!!! आज वो अमर हो गए !!!!

//// क्या मोदी जी ने जो कहा था वो कर पाएंगे ??....////


चलो जी मामला खल्लास .... अब बोलो ....
जो बोले सो निहाल - सत श्री अकाल !!!!
वाहे गुरु जी दा खालसा - वाहे गुरु जी दी फतेह !!!!

मामला तो वाकई पंजाब के रणबांकुरों ने खल्लास कर दिया .... मरने मारने तक पर उतारू पागलों को मार ही दिया .... अपनी जान की बाज़ी लगा पूरी हिम्मत वीरता ताकत और काबलियत के साथ .... अस्तु वीरों का काम तो पूरा हुआ ....

और अब कुकुरमुत्ते जैसे प्रश्न सुनते रहिएगा .... वो कितने थे ? .. अपने कितने शहीद हुए ? .. कौन थे ? पाकिस्तान से ? .. पाकिस्तान अपनी हरकतों से कब बाज आएगा ? आएगा भी कि नहीं ? मोदी ने नवाज़ शरीफ से हाथ क्यों मिलाया था ? .. आगे बातचीत होगी ? .. बातचीत जारी रखनी चाहिए ? .. बातचीत से क्या होगा ? .. बातचीत नहीं तो समाधान कैसे ? .. घटना के लिए जिम्मेदार कौन ? .. सुरक्षा एजेंसियां कर क्या रहीं थीं ? .. इंटेलिजेंस का क्या ? .. सफल कौन हुआ हम या आतंकी ? .. मुद्दे पर राजनीति क्यों ? .. और सबसे महत्वपूर्ण सवाल - क्या क्रिकेट खेलना जारी रहेगा ??

सवाल तो मेरे भी हैं पर बड़े ही सीमित लेकिन थोड़े भिन्न .... भिन्नाने वाले भिन्न ....

क्या मोदी जी ने जो कहा वो किया ?
क्या मोदी जी ने जो कहा था वो करेंगे ??
क्या मोदी जी ने जो कहा था वो कर पाएंगे ???

जब कुकुरमुत्ते जैसे प्रश्नों के जवाब आ जाएं - तो कृपया मेरे प्रश्नों पर भी मनन हो - अगले आतंकवादी हमला हो जाने के पहले - ससमय !!!! धन्यवाद !!!!

//// एक और आतंकी हमला .. अब कुछ 'हटकर' तो सोचना करना ही होगा ना !! ..////


एक और आतंकी हमला ....
इस बार कई सालों बाद पंजाब में - पंजाब के गुरदासपुर इलाके में ....

स्पष्ट हो रहा है कि आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ है ....
कहा भी जा रहा है कि इसमें पाकिस्तान का हाथ लग रहा है ....
अंततः ये कह भी दिया जाएगा कि इसमें पाकिस्तान का हाथ है ....

हमले का मुकाबला किया जा रहा है .... मामला निपट लिया जा रहा है .... मामला अंततः सख्ती के साथ निपटा लिया जाएगा ....

ऐसे मामले संसद में उठाए जाते हैं .... मामला उठाया जा रहा है .... शायद उठाया जाता रहेगा .... और अंततः मामला संसद में 'उठ' जाएगा .... और अंततः संसद भी 'उठ' ही जायेगी ....

ऐसे मामले में राजनीति कदापि नहीं होनी चाहिए .... पर ऐसे मामले में राजनीति तो होती ही है .... हो रही है .... होती रहेगी और बयान आते रहेंगे कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए ....

ऐसे मामले में सरकार की तरफ से भी त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए .... होती ही है .... और हो रही है .... उच्चस्तर पर कई मीटिंग - फिर मीडिया को 'बाईट' और कुछ सधी भाषा में बयान आ तो रहे हैं .... और अंततः कुछ देशभक्ति से परिपूर्ण और चेतावनियों से लैस वीर रस में ओतप्रोत बयान भी आएँगे ही ....

और देश को मृत्यु प्राप्त हो चुके बद्किस्मतों की संख्या और साथ-साथ किस्मत से बचे पर बदकिस्मत से घायलों की संख्या के बारे में अद्यतन जानकारी भी दी जा रही है .... दी जाती रहेगी ....

अस्तु सब कुछ ठीकठाक प्रत्याशित संतोषप्रद तरीके से हो रहा है .... चल रहा है ....

और मैं सोच रहा हूँ - कि ऐसा कब तक चलता रहेगा ????

आशा है आप भी कुछ सोचेंगे जरूर .... ठीक ठाक नहीं - कुछ बढ़िया सोचेंगे .... प्रत्याशित नहीं - कुछ अप्रत्याशित सोचेंगे .... संतोषप्रद नहीं - कुछ आवश्यक और कारगर सोचेंगे .... कुल मिलाकर कुछ 'हटकर' भी जरूर सोचेंगे !!!! धन्यवाद !!!!

Sunday 26 July 2015

//// 'मौत की सज़ा' का विरोध कर लीजिये - पर 'याकूब की फाँसी' का विरोध नहीं ..////


विस्तृत न्याय प्रक्रिया परिपूर्ण होने पर न्यायलय द्वारा घोषित एक दुर्दांत अपराधी याकूब मेमन को १९९३ के मुंबई बम काण्ड में निर्दोष २५७ लोगों की मृत्यु के जुर्म में फाँसी की सज़ा हुई - जिसे ३० जुलाई को फाँसी पर टाँगा जाना नियत बताया गया है ....

पर इसी दौरान सलमान खान द्वारा याकूब मेमन के बचाव में अनेक ट्वीट कर उक्त फाँसी का विरोध कर डाला गया ....
निश्चित ही जिन शब्दों में फाँसी का विरोध किया गया वह न्यायालय की अवमानना है ....
सलमान का विरोध होना ही था - और विरोध हुआ भी - तथा उसके बाद सलमान खान द्वारा ट्वीट वापस ले लिए गए - और माफ़ी भी माँग ली गई - पर साथ ही टेका लगा दिया कि ये सब वो पिता के कहने पर कर रहे हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

ट्वीट वापस तो पिता के कहने पर ले लिए - पर सल्लू मियाँ बताओगे कि ट्वीट लिखे किसके कहने पर थे ??
मैं ये प्रश्न इस लिए पूछ रहा हूँ कि - याकूब की फाँसी रोकने के प्रयास तो सुनियोजित तरीके से समानांतर किये जा रहे थे / हैं जिसकी पुष्टि इस खुलासे से भी होती है कि २९१ हस्तियों द्वारा राष्ट्रपति को फाँसी रोकने के लिए चिट्ठी लिखी गई है ....

इसलिए अब महत्वपूर्ण ये भी हो जाता है कि केवल सलमान दोषी सिद्ध नहीं होते - अपितु हर वो व्यक्ति जो 'याकूब की फाँसी' का विरोध कर रहा है वो निश्चित ही न्यायालय की अवमानना का दोषी सिद्ध होता है ....

लेकिन यहां ये स्पष्ट कर दूँ कि जो व्यक्ति वस्तुतः अपने आप में 'मौत की सजा' के ही विरुद्ध हो तो उसे अपनी बात कहने का या मर्यादाओं में रहकर विरोध करने का अधिकार है .... पर जब तक इस देश के कानून में वांछित बदलाव नहीं होते - 'याकूब की फाँसी' का विरोध तो असंवैधानिक ही होगा ....

हाँ एक बात और !!!! इस प्रकरण में "मानवीय आधार" को घुसेड़ने का भी कोई औचित्य नहीं होगा .... वैसे इस प्रकरण में यदि मुखर आदरणीय सुषमा स्वराज यदि ये बताएँगी कि याकूब के प्रति "मानवीय आधार" के बारे में उनके क्या विचार हैं तो ये देश कृतार्थ हो जाएगा .... शायद भक्तों के भी ज्ञानचक्षु खुलेंगे !!!! धन्यवाद !!!!

//// मोदी के मन की बेहतरीन बात पर भी सरकार का ऐसा ढीला रवैय्या ??..////


मोदी जी के मन की बात एक बार फिर अनमने मन से सुनी - इस कौतूहल के साथ कि शायद इस बार कुछ काम की बात करेंगे - और शायद उन बातों पर भी चुप्पी तोड़ेंगे जिस पर देश कई दिनों से कई सवाल उठाए है और जिसके कारण संसद ठप्प पड़ी है ....

पर चुप्पी नहीं टूटी ....

लेकिन हाँ आज एक बेहतरीन बात भी कही - वो थी - "सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति का पहले ५० घंटों तक कैशलेस उपचार" ....

सड़क दुर्घटनाओं के विषयक कई बातें और कई अच्छे सुझाव पहले भी चर्चा में रहे हैं और ये बात भी मैं पहले कई बार सुन चुका हूँ .... इसलिए मैं कह सकता हूँ कि मोदी जी यदि इतनी बेहतरीन बात के अमल की घोषणा करते तो मन प्रसन्न हो जाता .... पर अभी तक भी वो कह रहे हैं कि "इस पर विचार चल रहा है" ....

मोदीजी !!!! यदि आपके मन की बात पर भी आपकी सरकार अमल करने में इतना वक्त लेगी तो आप गरीब के मन की बात क्या कभी भी पूरी कर सकेंगे ?? क्या जनहित के काम भी पूर्ण कर सकेंगे ?? मेरा मन तो कहता है - लगता तो नहीं !!!!

Saturday 25 July 2015

//// असफलता के कारण भाषा विश्वास अंदाज़ में कितनी गिरावट ..////


बिहार के मुजफ्फरपुर से पहली चुनाव रैली में अभी-अभी मोदीजी का भाषण सुना ....

अभी तक सब कहते थे और मैं भी मानता था कि वो एक अच्छे वक्ता होते हुए बहुत बढ़िया भाषण देते रहे हैं ....

पर आज मेरा तो माथा दुःख आया .... आज तो मोदी बहुत अटपटा सा बोले और बहुत लंबा बोले - ऐसा लगा कुछ बोलना है तो बोल रहे हैं और बोलते ही जा रहे हैं - बार बार जनता से फ़िज़ूल के जुमले या बातें ही उगलवाने की कोशिश करते रहे - उसी घिसे पिटे अंदाज़ में चिल्लाते हुए .. "चाइये की नई चाइये-चाइये की नई चाइये-चाइये की नई चाइये" .... और ना मालूम कितनी फ़िज़ूल की बचकाना बेतुकी बातें .... जैसे कि RJD का मतलब "रोजाना जंगलराज का डर" .... "गला घोंट देते चांटा मार देते" .... आदि !!  

मुझे आज अहसास हुआ कि एक सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे व्यक्ति और एक असफल हो चुके व्यक्ति की भाषा और विश्वास और अंदाज़ में कितनी गिरावट आ जाती है - कितना खोखलापन आ जाता है .... 

मोदी आज मुझे खोखले से लगे .... कुछ डगमगाए से भी ....

//// नेता भी गर्राए टर्राए रहे हैं ....////


पुराने तो जुमले हुए .... नए वादे उगले जा रहे हैं ....
भ्रष्टाचार क्या होता है .... नई परिभाषा बता रहे हैं ....

विशेष पैकेज का था वादा .... जिसे आवंटन बता रहे हैं ....
आवंटन भी ऐसे कैसे कर दें ....इसे खैरात बता रहे हैं ....

५०००० का तो पता नहीं .... इससे ज्यादा की बता रहे हैं ....
बोलती तो अभी भी बंद है .... पर फांकते ही जा रहे हैं ....

बरसात आ गई छा गई .... मेंढक भर्राए टर्राए रहे हैं ....
चुनाव भी तो आ ही गए .... नेता भी गर्राए टर्राए रहे हैं ....

(ब्रह्म प्रकाश दुआ - २५/०७/१५)

Friday 24 July 2015

//// फाँसी की फाँस .. ज़िंदगी का समाधान ना सही - फाँसी का समाधान तो हो ..////


दुर्दांत अपराधी याकूब मेमन को न्यायालय के द्वारा फाँसी की सजा सुना दी गई .... और उसे ३० जुलाई को नागपुर जेल में फाँसी देने की तैयारी हो गई है ....

असदुद्दीन ओवैसी ने प्रश्न उठाया है कि ऐसे कई और प्रकरण हैं जिसमें अन्य मुजरिमों को फांसी की सज़ा हो चुकी है और ऐसी सज़ाएं याकूब मेमन की फाँसी के बहुत पहले न्यायित और घोषित हो चुकी हैं - इसलिए याकूब मेमन को फाँसी उन फाँसियों के पहले क्यों ??

बहस तो मैंने काफी सुन ली और भाजपा के सांसद साक्षी महाराज की पाकिस्तान जाने की नसीहत भी सुनी - पर याकूब मेमन के प्रश्न का माकूल जवाब सुनने को नहीं मिला ....

हमेशा की तरह सभी राजनीतिक लोग राजनीति करते ये कहे सुने जा रहे हैं कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए ....

तो मेरा कहना है बिना राजनीति किए संबंधित जवाबदार असरदार लोग असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न का जवाब दे याकूब मेमन को तुरत फाँसी दे दें - फाँसी की फाँस ख़त्म करें ....
और यदि किसी के पास आज जवाब ना हो तो ???? .. तो राजनीति भी नहीं करें और फाँसी भी नहीं दें ....

पर मुजरिम को फाँसी नहीं ?? .. यह भी तो उचित नहीं होगा ....
इसलिए मेरा मानना है कि असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न का माकूल समाधान तो निकालना ही होगा ....

मोदी सरकार अभी तक लोगों की खुशहाल ज़िन्दगी का तो समाधान नहीं कर पाई है .... पर आज उसके पास एक मौका है .... ज़िंदा रहने का समाधान ना सही - कम से कम फाँसी का न्यायोचित समाधान ही निकाल लागू करे .... मसलन पहले आएं पहले पाएं की तर्ज़ पर - पहले फँसे पहले फाँसी पाएं .... है ना !!!!

//// संसद की कार्यवाही केवल एक दिन मेरी कल्पना अनुसार चल जाए तो ..////


आज भाजपा वर्चस्व वाली एनडीए के सांसदों ने संसद के बाहर कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध धरना दे मारा .... जिसके गवाह वहां सदैव मौजूद पूज्य गांधी जी बन चुके हैं ....
भ्रष्टाचार के विरुद्ध हर आवाज़ का स्वागत .... भले ही वो भ्रष्टाचारी के द्वारा ही क्यों न हो ....

पर सत्ताधारी सांसदों के द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन ????????
और वो भी पूर्व में केजरीवाल का उपहास करने वालों के द्वारा .... छिः !!!!  

मेरे प्रश्न .... ये नाकाबिल चाहते क्या हैं ? .. इनकी मांग किससे और क्या है ? .. क्या ये नवाज़ शरीफ से या ओबामा से या यूनाइटेड नेशन से माँग कर रहे हैं कि कांग्रेस के भ्रष्टाचारी मुख्यमंत्रियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए ????

या कहीं इनकी माँग मुझ से तो नहीं ?? कि अब हम तो कुछ कर नहीं सकते आप ही कुछ कर दो !!!!

मित्रो यदि ऐसा हो और मुझे अधिकार प्राप्त हो जाए तो कस्सम से मैं समस्या का निदान कर सकता हूँ .... और वो भी एक ही दिन में .... और वो भी संसदीय तरीके से संसद के ही द्वारा ....

आपको विदित होगा कि भूतकाल में सांडों को या बैलों को या बंदियों को एक बंद एरिना में छोड़ दिया जाता था की लड़ो - लड़ो मारो या मरो - और राजा या शासक ऐसी लड़ाई का सिंहासन पर बैठ मज़ा लेते थे ....

मेरी भी योजना और इच्छा है कि मैं भी स्पीकर की कुर्सी पर बैठ जाऊं और संसद भवन से सारा फर्नीचर हटवा सारे दरवाज़े बंद करवा सारे सांसदों को खुल्ला बीच में छोड़ दूँ ..... और कहूँ कि - हो जाओ शुरू - मारो काटो गालियां दो - वो सब करो जो तुम्हारी मर्ज़ी में आए - कोई हसरत बची ना रह जाए ....

और जो आखरी में बचेगा वो हमारा प्रधानमंत्री होगा !!!!!!!!!

मित्रो मैं दावे से बोलता हूँ कि मेरा ये आईडिया बहुत कारगर सिद्ध होगा क्योंकि जब वर्तमान के सभी एक समान भ्रष्ट सांसद अपना तार्किक अंत प्राप्त कर लेंगे तो आखरी बचा सांसद इस देश को निश्चित ही बिना किसी अवरोध के बड़े आराम से सुचारू रूप से चला सकेगा - क्यूंकि तब ना रहेगा बाँस और ना बजेगी बाँसुरी - ना बचेंगे टुच्चे ना बचेगी टुच्चई ....

मित्रो आप भी मेरी कल्पना से अपनी कल्पना को एक बार जोड़ कर देखिएगा - आप निश्चित ही पाएंगे कि मैं कोई पागल कदापि नहीं - और शायद इसके अलावा कोई चारा नहीं .... और यदि हो भी तो इससे ज्यादा सरल त्वरित और उपयुक्त नहीं ....

अस्तु - मेरी बात का गूढ़ सारांश ऐसे भी समझा जा सकता है कि यदि संसद की कार्यवाही एक दिन भी ईमानदारी से चल जाए तो इस देश की तकदीर बदली जा सकती है !!!! धन्यवाद !!!!

Thursday 23 July 2015

//// सभी 'भगोड़ों' को आदेश दें कि पाकिस्तान भाग वहीँ अपनी ऐसी तैसी कराएं..////


ललित मोदी देश छोड़ कर भाग गया .... इसलिए देश की जनता और सरकार ने उसे भगोड़ा करार दिया ....
सुषमा स्वराज ने भगोड़े की मदद की .... और मान भी लिया ....
वसुंधरा राजे ने भगोड़े की मदद की .... जिसकी पोल पट्टी खुल गई ....
दोनों सुषमा और वसुंधरा के परिवार के भगोड़े के साथ व्यावसायिक संबंध भी रहे .... जिसकी पोल पट्टी भी खुल गई ....
व्यापम में जो कुछ हुआ उसने तो सभी मर्यादाओं और नैतिकता और अपराध के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए ....

पूरे देश में चर्चाएं हैं हंगामा है गुस्सा है होहल्ला है .... और संसद के ठप्प दिनों की संख्या आज ३ तक पहुंच गई ....

सत्ता पक्ष का आरोप है हम चर्चा के लिए तैयार हैं पर विपक्ष चर्चा से भाग रहा है .... बात ठीक दिखती है - पर विपक्ष का कहना है कि अब जब सब खुल्लमखुल्ला खुल चुका है तब काहे की चर्चा ????
विपक्ष कहता है मोदी बयान तक देने से भाग रहे हैं .... बात ठीक दिखती है - पर सत्ता पक्ष कहता है मोदी क्यों बोलेंगे - उनकी मर्ज़ी - जाओ नहीं बोलते ....

और हम कहीं भागे बगैर बैठे बैठे टीवी पर पूरा तमाशा देख रहे हैं ....
तमाशे में नया मोड़ मात्र ये आया है कि आज भाजपा ये बोल रही है कि पहले कांग्रेस ये बताए कि उसके समय के घोटाले के पैसे कहाँ गए ? और उसके बाद प्रश्न पूछे ....

यानि १३ महीने में सत्ता पक्ष के लल्लुओं को ये भी नहीं मालूम पड़ा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के करोड़ों रूपए कहाँ ठिकाने लगाए ???? और अब स्थिति ये है कि जब तक कांग्रेस गर्व के साथ ये ना बता दे कि उसने पैसे कहाँ रखे हैं इस देश में भाजपा से कोई प्रश्न नहीं करेगा - और करेगा तो करता ही रहेगा - जवाब नहीं दिया जाएगा !!!!

मित्रो !! मुझे तो ये मिली जुली कुश्ती होती दिख रही है ....
अस्तु मेरा मेरे भक्त मित्रों से और मोदी समर्थक मेरे रिश्तेदारों से प्रश्न है कि अब अपन क्या करें ???? .... बताओ .... बताना ही पड़ेगा .... नहीं बताओगे तो तुम्हे धिक्कार है .... शर्म के मारे चुल्लू भर पानी में डूब मरो !!!!

कृपया विदित हो ये समय कांग्रेस या भाजपा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने का नहीं है - बल्कि समय है कि यदि भगवान ने अक्ल दी है तो केवल देश हित के बारे में सोचा जाए - और सभी भगोड़ों का उपहास किया जाए - सबकी वाट लगाईं जाए .... उन भगोड़ों की भी जो चर्चा से भाग रहे हैं - और उनकी भी जो मात्र जवाब देने से भाग रहे हैं ....

तो आओ शुरुआत करें .... सभी भगोड़ों को आदेश दें कि पाकिस्तान भाग जाएं और वहीँ अपनी ऐसी तैसी कराएं !!!!

Wednesday 22 July 2015

//// तो बस !! नाम ही बदलना है ?? ..////


सुना है मध्य प्रदेश सरकार 'व्यापम' का नाम बदलने की तैयारी में है .....  व्यापम यानि "व्यावसायिक परीक्षा मंडल" का नाम बदलकर "मध्य प्रदेश प्रवेश एवं भर्ती परीक्षा मंडल" करने पर विचार किया जा रहा है ....

अभी प्रक्रिया विचारों में ही है तो इस घोटाले से जुड़े लोगों को मेरे विचार अनुसार भी विचार करना चाहिए .....

यदि किसी नादान को लगता है कि बचकाने तरीके से नाम बदलने से ही सब कुछ बदल जाएगा तो कुछ और नाम भी इसी बचकानी तर्ज़ पर बदल दें .... मसलन ....

शिवराज चौहान >> सिवारज चौहान ....
वसुंधरा राजे >> बसउनधरा राजे ....
सुषमा स्वराज >> सुक्षमा स्वराज ....
नरेंद्र मोदी >> नरअंदर मौनदी ....

पर साथ ही एक प्रार्थना भी है - मेरे देश का नाम मत बदल देना .... बेशर्मी की सीमाएं इतनी भी मत लांघ जाना कि मेरे देश का नाम तनिक भी बदनाम हो .... !!!! धन्यवाद !!!!

Tuesday 21 July 2015

//// तो अब इस्तीफे तो नहीं ही होंगे ना ....////


आज संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया .... जैसा अंदेशा था - जैसा अनुमानित था - जैसा विपक्ष द्वारा भी उद्घोषित था - सत्र के पहले दिन कोई कामकाज नहीं हुआ या होने दिया गया या ना होना मंज़ूर कर लिया गया .... झगडे रगड़े का आज का शुरूआती मुहुरुती मुद्दा था भाजपा के आरोपित नगीनों में एक विशेषकर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे के होने या ना होने का .... मुद्दा वसुंधरा का और व्यापम का भी व्याप्त था ही .... और भाजपा के भ्रष्टाचार का भी .... और 'मौनदी' मोदी जी की चुप्पी का भी ....

ठीक है .... भाजपा ने जो करना था करा - उसे अधिकार है क्योंकि जनता ने उन्हें चुना है .... पर आज मेरा मोदी जी को चुनौती देने का अधिकार भी बनता है ....

और मेरी चुनौती है कि अब जब संसद का कामकाज बाधित होना शुरू और तय हो ही गया है - विपक्ष ने संसद चलने के लिए अपनी शर्त साफ़ कर ही दी है कि बिना इस्तीफों के संसद नहीं चलने देंगे और उस पर तुर्रा ये कि बहस भी नहीं करेंगे - तो क्या मोदी जी भी अंत तक अपनी तथाकथित ५६ इंची मर्दानगी कायम रखते हुए इस्तीफे नहीं लेंगे - या फिर ऐसा तो नहीं कि विपक्ष की माँग मान कर इस्तीफे लेकर संसद चलने देंगे ..... और यदि इस्तीफे लेकर चलने ही देंगे तो क्या उस वक्त तक संसद ना चलाते हुए फ़िज़ूल खर्च हुए हमारे पैसे हमें लौटाएंगे ????

और क्या मैं भक्तों की तरफ से घोषित मानूं कि मोदी ५६ इंची तब तक कहलाएंगे जब तक वो अपनी बात पर कायम रहेंगे - और यदि नहीं रह पाए तो ५.६ इंची ????

मित्रो मेरा उपरोक्त बात लिखने का मकसद सीधा सा है पर चुभता सा है .... आज जब गिलानी को पासपोर्ट दे दिया गया है - श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडे लहराए जा रहे हैं - मेरे मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले के दौड़ते भागते घोटाले में कुछ डॉक्टर्स महामहिम से मृत्यु प्राप्त करने की गुहार लगा रहे हैं - जबकि इस घोटाले में लोगों को मौत के घाट तक उतारा जा चुका है - और भ्रष्टाचार के दाग पुख्ता से लगने वाले आरोपों के साथ कई भाजपाइयों पर लग ही रहे है तथा लगते ही जा रहे हैं - तब भी मैं देख रहा हूँ कि इस देश के कई नागरिक भाजपा की मोदी सरकार का समर्थन कर रहे हैं !!!! मेरे कुछ पढ़े लिखे मित्र और रिश्तेदार भी मुझ से बहस करते हैं कि मोदी जी जो कुछ कर रहे हैं सही कर रहे हैं !!!! इस्तीफे तो होने ही नहीं चाहिए !!!!

और मैं निराश हूँ .... क्योंकि मुझे लगता है कि इस्तीफे क्यों नहीं होने चाहिए ???? क्या गुनहगार मेरे नेता बने रहेंगे ???? क्या शिवराज मेरे मुख्यमंत्री और मोदी ही मेरे प्रधानमंत्री बने रहेंगे ???? और क्या मैं मेरे मित्रों और रिश्तेदारों की बकवास सुनने के लिए अभिशप्त रहूंगा ????

पर इस समस्त उहापोह के बीच मुझे एक आशा की किरण भी दिखती है - और वो यह कि शायद मोदी अब मेरे प्रधानमंत्री नहीं रह सकेंगे - क्योंकि - अब विपक्ष के द्वारा मांगे जा रहे इस्तीफे तो पक्के में नहीं ही होंगे ना - और इसलिए अंततः मोदी को ही इस्तीफ़ा देना पड़ेगा ना !!!! .. और यदि अब रोते गाते खुदा ना खास्ता इस्तीफे हो भी गए तो भी उन्हें प्रधानमंत्री रहने कौन देगा ????

Monday 20 July 2015

//// हाय रे !! ठुल्ला कैसे कह दिया रे ....////


सुना था हर अपराधी की भी एक स्वपरिभाषित इज़्ज़त होती है .... मसलन ....

यदि आप .... भ्रष्ट नेता को डकैत बोलोगे .... डकैत को चोर .... चोर को उठाईगिरा .... उठाईगिरे को गुंडा .... गुंडे को लंफूट .... लंफूट को पागल .... पागल को मनचला .... या मनचले को आशिक .... तो मेरा ऐसा विश्वास है कि सबको बहुत बुरा लगेगा .... बुरा इसलिए लगेगा की उनको लगेगा उनकी औकात गिराई जा रही है - और उनकी व्यावसायिक योग्यता का उपहास किया जा रहा है ....

ऐसे ही यदि आप किसी ठुल्ले को निठल्ला बोलोगे तो निश्चित ही उसे बुरा लगेगा - क्योंकि यह तो ठुल्ले का सीधा-सीधा अपमान होगा - क्योंकि ठुल्ले की नकारात्मक योग्यता शायद निठल्ले से तो कहीं अधिक ही है ....

पर मेरी समझ के परे है कि यदि टुच्चों को ठुल्ले जैसे व्यावसायिक शब्द के साथ ससम्मान संबोधित किया जाए तो इसमें इतनी चिल्लपों क्यों ?? क्या टुच्चे से भी ज्यादा टुच्चा कुछ होता है - और क्या हर ठुल्ला टुच्चा होने की औकात रखता है ???? नहीं ना !!!!

इसलिए मेरी ऐसी समझाइश है कि जो ठुल्ला टुच्चा न हो उसे बुरा मानने की आवश्यकता कदापि नहीं है .... और जो टुच्चा ठुल्ला हो उसकी हमें परवाह भी नहीं है ....!!!! जय हिन्द !!!!

Sunday 19 July 2015

//// वसुंधरा शिवराज आदि को बचा जाने का गुमान ही पतन का कारण होगा ....////


सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबर चल रही है कि वसुंधरा राजे और शिवराज को दिल्ली तलब किया गया है ताकि उनसे पूछा जा सके कि २१ जुलाई से शुरू होने वाले संसद सत्र में अब उनका बचाव कैसे किया जाए ??

मेरी विवेचना ....

सामान्यतः एवं अधिकांशतः कोई भी मुजरिम जब जुर्म कर रहा होता है तो उसे ये भरोसा रहता है कि वो एन-केन-प्रकारेण बच जाएगा .... या पकड़ा ही नहीं जाएगा ....
मेरा दावा है कि यदि मुजरिम को ये पूर्वानुमान हो जाए कि वो कर रहे जुर्म के कारण पकड़ा जाएगा तो वो जुर्म करेगा ही नहीं ....

यदि आप मेरी बात से सहमत हैं तो आप मानेंगे कि भाजपा की ये सोच ही कि उसकी सक्षमता के चलते वो एन-केन-प्रकारेण अपने जुर्म से बच जाएगी उसे जुर्म करने की अनुमति दे रही है .... और यही अपराधी प्रवृत्ति की शुरुआत होती है - जो अब हो चुकी है .... भाजपा ने अपने कदम अपराधियों को बचाने के चक्कर में स्वयं अपराध करने की दिशा में बढ़ा दिए हैं !!!! निर्लज्जता के साथ - स्वार्थवश - या मजबूरी में !!!! 

स्पष्टतः भाजपा और मोदी का दिल दिमाग और ईमान ये नहीं सोच परख पा रहा है कि वसुंधरा और शिवराज का क्या दोष है ?? .. बल्कि वो तो केवल ये ही सोच रहे हैं कि क्या भाजपा पार्टी इस संकट से बच पाएगी या नहीं ?? .. और यदि हाँ तो कैसे - क्या बोल कर - कौनसे टेके लगाकर - कैसी बेशर्मी का कम्बल ओढ़कर ????

दयनीय और हास्यास्पद !!!! .... क्योंकि किया अपराध जब पकड़ा जाता है तो ५६ इंची सीना सचमुच सुकड़ कर ५.६ इंच का हो जाता है .... और तब ही शायद अपराधी को ये पश्चाताप होता है कि हाय !! हमने ये अपराध किया ही क्यूँ - क्यूँ अपने आप को इस दलदल में डाला - क्यों अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारी ....

और व्यापम तथा ललित गेट में मैं भाजपा का यही हश्र होता देख पा रहा हूँ - एक अपराधी की ही तरह मूर्खता और बेशर्मी करने के कारण मोदी और भाजपा के पतन की कल्पना कर पा रहा हूँ ....

Saturday 18 July 2015

//// व्यापम घोटाले में 'SGSITS' नदेशक की अब तक छुट्टी क्यों नहीं ??..////


व्यापम घोटाले में इंदौर के ख्याति प्राप्त तकनीकी शिक्षण संस्थान 'SGSITS' के निदेशक सुधीरसिंह भदौरिया के विरुद्ध सीबीआई द्वारा FIR दर्ज कर ली गई है ....

अब कायदे से तो अभी तक भदौरिया जी की छुट्टी हो जानी थी .... पर श्रीमान जी स्वयं छुट्टी पर चले गए हैं ....

और क्यूंकि मैं भी इसी संस्थान से पढ़ा लिखा हूँ मैं आज व्यक्तिगत रूप से अत्यंत व्यथित हूँ ....

मुझे याद आ रहे हैं मेरे संस्थान के वो ज्ञानी सक्षम मर्यादित और श्रद्धेय गुरुजन - दासगुप्ता साहब - ढवळीकर साहब - रंगनाथन साहब - जे. पी. श्रीवास्तव साहब - जिन्होंने अपना सर्वस्व इस संस्थान को समर्पित कर इसे इतनी ऊचाइयों पर पहुंचाया .... पर अब भाजपा के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते जा रहे इस संस्थान पर भी दाग लग रहे हैं .... कारण शिवराज जैसे भाजपाई नेता की हिम्मत नहीं है कि किसी के विरुद्ध कोई कार्यवाही कर सके .... शायद स्वयं और अनेक भाजपाइयों और संघियों की लिप्तता के कारण .... 

इसलिए मुझे याद आ रहे हैं वो दिन जब संस्थान के छात्र एकजुटता के साथ हर मुद्दे पर खड़े हो शक्ति प्रदर्शन कर हर मुद्दे का सार्थक हल निकलवा लेते थे ....

और इसलिए मेरी आज मेरे संस्थान के समस्त छात्रों से ये अपेक्षा है कि वो एक दागी निदेशक की संस्थान से छुट्टी करवाने हेतु एकजुट हो तत्काल प्रयास करें - ऐसे ही प्रयास जैसे पुणे के FTII के छात्र भाजपा द्वारा थोपे गजेन्द्र चौहान की छुट्टी करने हेतु कर रहे हैं ....

और आज एक बार फिर संस्थान का चिरपरिचित नारा बुलंद करने पर विवश हूँ - "बोल सक्सेरिया महाराज की जय" !!!!

Friday 17 July 2015

//// मोदी मंत्रिमंडल में 'लोन हड़पू' मंत्री भी - फिर भी 'ना खाने दूंगा' ??....////


दिमाग उद्वेलित करने वाली एक तथ्यात्मक पुष्ट खबर सुनी ....

मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री वीरेंद्रसिंह ने हरयाणा विधानसभा से २००८ में मकान एवं कार खरीदने के लिए सस्ता लोन लिया था - लोन तो सस्ता था पर था पूरे २५ लाख से ज़्यादा का .... और आज समाचार इसलिए आया है कि RTI के द्वारा पोल खुल गई है कि जनाब ने जिन्हें हम अब 'लोन हड़पू'  भी कह सकते हैं लोन नहीं चुकाया - और अंततः वो लोन ना चुकाने के दोषी पाए गए हैं - तथा दोषी करार भी दे दिए गए हैं ....

मैं आज ज्यादा ही उद्वेलित हो रहा हूँ क्योंकि दिमाग में प्रश्न भी बहुत सारे उठ रहे हैं ....

मुझे आज पहली बार ये मालूम हुआ की इस नेता जात को विधानसभा से लोन पाने का भी प्रावधान है - क्यों है - क्या औचित्य है ?? मेरी तो समझ से परे है - लोग भूखे मर रहे हैं और नेताओं को सस्ता लोन ?? और वो भी कार खरीदने के विलासिता जैसी विषयवस्तु के लिए ?? मकान के लिय भी और कार के लिए भी - साथ-साथ ?? इस अजब देश में गजब के लोग हैं भाई .... 

और हमारे प्रधानमंत्री जी आज भी अपने स्तर को घटाते हुए जम्मू-काश्मीर में जेटली के ससुरजी के कार्यक्रम में "दामाद जी" का टेप घिस रहे हैं .... बड़ी अजीब बात है कि उन्हें उनके मंत्री वीरेंद्रसिंह द्वारा किये गए कृत्य में कोई भ्रष्टाचार नहीं दिखता ?? आज भी दामाद को रो रहे हैं पर सत्ता में आकर भी कर कुछ नहीं रहे - और 'दुष्यंत बेटे' के नाम पर घिघ्घी बंधी हुई है .... 

और हद तो तब हो गई जब मंत्री वीरेंद्रसिंह की पत्नी से इस बारे में सवाल किये गए तो उन्होंने तो बड़ी मासूमियत से सारा दोष लोन ना वसूलने वालों पर ही लगा दिया .... कह दिया यदि कोई वसूल ही ना करे तो हमारी क्या गलती ?? .... तो फिर उनसे पूछ लिया गया कि चलो अब चुका दो !!!! .... हें-हें-हें-!!!!  सुनते ही चेहरे की हवाइयां उड़ गईं और बेशर्मी छा गई - बोलीं - अब हम करोड़पति तो हैं नहीं जो २५ लाख एक बारी में भर सकें - चुका देंगे किश्तों में !!!!

अब इसके पहले कि आप 'मन्त्राणी' के जवाब के घटियापन का पूर्ण आंकलन करने लगें उसके पहले आपके संज्ञान में ये बात भी लाना चाहूँगा कि ये 'लोन हड़पू' मंत्री वही है जो कुछ दिन पहले शेखी बघार रहा था कि वो ८ लाख की घड़ी पहनता है ....

तो अब आप पूर्ण बातों का आंकलन स्वयं करें और यदि आपका दिमाग भी उद्वेलित हो गया हो तो आप भी इतना तो कह ही सकते हैं कि .... बेशर्मी की हद्द हो गई - मोदी की भी भद्द हो गई !!!!

//// केजरीवाल का 'आज तक' पर आज तक के विषयों पर बेबाक इंटरव्यू ..////


अभी-अभी आज तक पर राजदीप सरदेसाई द्वारा लिया गया केजरीवाल का इंटरव्यू देखा ....
लगभग सभी प्रश्नो पर १ घंटे से भी ज्यादा चले इंटरव्यू में केजरीवाल ने बेबाकी से अपनी बात रखी ....

मन प्रसन्न हो गया .... इसलिए प्रतिक्रिया में आज केवल छोटी सी 'मन की बात' ....

मुझे आज यकीन हो गया कि सक्षम केजरीवाल ज़रूर एक दिन इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे .... और वो दिन अब दूर भी नहीं है ....

मन की गहराइयों से बाहर आकर भी यदि मुझे मेरी बात के समर्थन में दलील देनी आवश्यक हो - तो कहूँगा - किसने सोचा था कि भारतीय राजनीति में अरविन्द केजरीवाल जैसा व्यक्ति इतनी जल्दी इतनी ऊंचाइ प्राप्त कर लेगा ?? .. शायद सबने ऐसा सोचा ना होगा - पर कुछ ने अवश्य इसकी कल्पना कर ली थी - और उनमें मैं भी सम्मिलित था .... इसलिए आज विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि मेरे 'मन की बात' मेरे 'दिमाग की बात' भी है .... और मैं वो फ़ड़तूस भी नहीं जो बिना दिमाग केवल 'मन की बात' करता रहे .... !!!! धन्यवाद !!!!

Thursday 16 July 2015

//// वैट मामले में तो भाजपा की वाट लग गई ....////


दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल डीज़ल पर वैट क्या बढ़ा दिया भाजपाइयों को लगा - मौका हाथ लगा - और सुबह से ही शुरू हो गए प्रदर्शन करने .... भोंडा उग्र प्रदर्शन ....  
पर दोपहर बाद ही खबर आ गई कि पेट्रोल डीज़ल पर वैट तो हरयाणा और पंजाब में भाजपा सरकार ने भी बढ़ा दिया ....

यानि ये तो वैट मामले में उल्टे वाट लग गई ....

अब रोचक प्रश्न तो उठता ही है कि क्या भाजपा हरयाणा और पंजाब में वैट बढ़ाने के विरुद्ध धरना प्रदर्शन करेगी ????

मेरे पूर्वानुमान अनुसार अब भाजपा बेशर्मी के साथ चुप बैठेगी .... अपने माननीय नेता मोदी जैसे ही चुप - लाजवाब !!!!
पर अतिउत्साही भाजपाइयों का क्या भरोसा ? .. ये भी हो सकता है कि मोदी जी का अनुसरण ना करते हुए भाजपाई अपना प्रदर्शन बेशर्मी के साथ जारी रखें .... क्या है ना कि जब-तब केजरीवाल का विरोध करने का मौका मिलता है तो बेचारे बड़े उत्साह से पिल पड़ते हैं - पार्टी हित में - एक अच्छे भक्त के माफ़िक .... अब २५ वर्ष तक लगातार शासन करने की इच्छा है तो लगातार कुछ तो नए-नए प्रयास करते रहना होंगे .... पुराने जुमले तो अब चल भी नहीं रहे हैं ना !!!! बेचारे !!!!

खैर मुझे एक बात का संतोष है कि केजरीवाल के बहाने ऐसे कई विषयों पर अब बहस होने लगी है जिन विषयों पर केजरीवाल बहस होते देखना चाहते होंगे .... मसलन प्रचार प्रसार का बजट - केजरीवाल के घर का बिजली बिल - DCW में 'आप' पार्टी या केजरीवाल की पसंदीदा व्यक्ति की नियुक्ति - दिल्ली में पूर्ण राज्य के दर्जे हेतु रेफरेंडम .... और शायद अब आगामी विषय होगा दिल्ली सरकार द्वारा जनता कैंटीन के माध्यम से ५-१० रूपए में भोजन .... लगे रहो भक्तों लगे रहो !!!!

//// ट्रामा सेंटर का ट्रामा .... माली की दुखद मृत्यु ....////


वाराणसी का ट्रामा सेंटर .... बेचारा उद्घाटन होने के लम्बे इंतज़ार में ट्रामा में है ....
विगत २८ जून को पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन करना था .... उच्च कोटि के इंतजामात कर लिए गए थे - पर सब बेकार - बारिश के कारण दौरा रद्द करना पड़ा था ....

उस उदघाटन नाकामयाबी से व्यथित हो शायद इस बार भी अभूतपूर्व इंतजामात किये गए थे - और सभी वाटरप्रूफ - और मोदी जी को आज ट्रामा में चल रहे ट्रामा का उद्घाटन करना था ....

पर सूत्र बता रहे हैं कि - एक बार फिर ....... जी हाँ !! एक बार फिर प्रोग्राम निरस्त करना पड़ा है .... और इस बार कारण बारिश के अलावा यह है कि एक माली की उद्घाटन स्थल पर मोदी मंच पर पुष्प सज्जा कार्य करने के दौरान करंट लगने से दुखद मृत्यु हो गई है ....

समाचार सुन थोड़ा करंट तो मुझे भी लगा - एक माली की मृत्यु पर इतनी संवेदनशीलता ?? वो भी भाजपा द्वारा ?? भाजपा स्वयं ट्रामा में ??

और मैं सोच रहा था कि असल कारण क्या हो सकता है ....
तभी याद हो आई - 'आप' की वो ऐतिहासिक रैली जिसमें गजेन्द्र किसान ने आत्महत्या कर ली थी या अपनी हत्या होने दी थी या अपनी मृत्यु होने दी थी वो भी बड़े आराम से .... और याद हो आए भाजपा द्वारा और भाजपा नियंत्रित दिल्ली पुलिस के द्वारा केजरीवाल की शान में बोले गए वो सभी नायाब डायलॉग और कुछ टुच्चों द्वारा दी गई अनेक गालियां ....

और तब समझ में आया कि 'केजरीवाल का भूत' एक 'किसान' और 'माली' में कोई ज्यादा अंतर नहीं करने पर मजबूर कर देता है .... और तथ्य भी यही है कि 'किसान' और 'माली' में कोई अंतर नहीं
होता - दोनों ही 'इंसान' जो ठहरे .... है ना !!!!

आने वाले दिनों में देखना और दिलचस्प होगा कि 'केजरीवाल का भूत' भाजपा और कांग्रेस से और क्या क्या करवाता है - इन्हें और कितना मानवीय और संवेदनशील दिखने पर मजबूर करता है - एवं क्या अंततः ट्रामा सेंटर को बिना औपचारिक व्यर्थ उद्घाटन शुरू करने की सदबुद्धि भी देता है - अथवा मोदी हाथों उदघाटन तो हो के रहेगा ????

//// द्रौपदी और शिवराज - तथा - 'चीर हरण' ....////


द्रौपदी की एक पुख्ता कहानी है कि उसके वस्त्र को खींच कर 'चीर हरण' का कुप्रयास किया गया था - पर ईश कृपा से साड़ी को जितना भी खींचा गया था साडी चमत्कारिक रूप से बढ़ती गई थी ....
शायद वो सतयुग जैसा कोई ज़माना रहा होगा .... पूरा सतयुग भी नहीं कह सकते क्योंकि आखिर 'चीर हरण' का कुप्रयास कोई शौर्य का पुण्य कार्य तो हो नहीं सकता ....

पर आज का युग निश्चित ही सतयुग नहीं है .... कारण - हमारे शिवराज और व्यापम के प्रकरण पर जरा गौर फरमाएं ....

बहुत दिनों से कई लोग शिवराज को नंगा प्रदर्शित करने का प्रयास करते रहे हैं - पर शिवराज हैं कि कभी चड्डी तो कभी लंगोट कच्छा पायजामा निक्कर पतलून सूट धोती बनियान कुरता आदि जब तब जरूरत के मुताबिक़ धारण करते रहे हैं .... अर्थात - वस्त्रहीन होने से बचते रहते हैं .... यहाँ तक कि कभी नैतिकता का तो कभी शुचिता को चोला ओढ़ लेते हैं - तो कभी 'मामा' भैय्या का लबादा .... पर सब बेकार .... क्योंकि दिन-ब-दिन शिवराज का तो जैसे 'चीर क्षरण' ही होता जा रहा है .... रंगत और कपड़े उतरते ही जा रहे हैं ....

इसलिए कन्फ्यूज्ड हूँ कि तब कौन सा युग था - और अब कौन सा युग है ??
पर हाँ एक बात अच्छे से जान गया हूँ कि व्यापम में लिप्त कुछ उच्च कोटि के नंगों का चीर हरण आवश्यक है .... और ऐसा 'चीर हरण' निश्चित ही शौर्य का पुण्य कार्य होगा ....

अतः आइये !! हम सब 'चीर हरण' के इस पुण्य कार्य में अपना योगदान अवश्य देवें !!!! धन्यवाद !!!!

Wednesday 15 July 2015

//// सावधान!! मोदी और 'नीति आयोग' का 'नीति' से कोई लेना देना नहीं ..////


पहले एक 'योजना आयोग' हुआ करता था - अंग्रेजी में इसे 'Planning Commission' कहते थे .... और नाम अनुरूप ये योजना बनाने का काम करता था ....
मोदी जी ने इसे बंद कर 'नीति आयोग' बना दिया .... पर इसके नाम में 'नीति' शब्द का हिंदी शब्द 'नीति' से कोई लेना देना नहीं है - क्योंकि दरअसल इसका नाम 'NITI Aayog'  है - जिसमें 'NITI' का मतलब है - 'National Institution for Transforming India' .... और टीप करें कि इसमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों का अच्छा खासा घालमेल किया गया है ....

आज ही इसी 'नीति आयोग' की एक मीटिंग हुई जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था - पर पहुंचे केवल १६ मुख्यमंत्री .... विषय था - "लैंड बिल" ....

अब "लैंड बिल" के संबंध में कोई नीति बनना प्रत्याशित थी इसमें तो मुझे संदेह है - हाँ लैंड बिल पर चर्चा या बहस होना ही प्रत्याशित माना जा सकता है - और बहस उपरान्त कोई निष्कर्ष ?? तौबा तौबा जनाब - ये बात ना तो योजना के तहत और ना ही नीति के तहत प्रत्याशित थी .... अतः मीटिंग का ना कोई निष्कर्ष निकलना था ना निकालना था ना निकाला जा सकता था ना निकला ना निकाला गया ....

तो फिर प्रश्न उठता है कि आखिर 'नीति आयोग' की मीटिंग बुलाई ही क्यों गई ??

उत्तर नीतिगत है - कुछ अच्छा करो या ना करो - कम से कम कुछ अच्छा करते दिखो ....
आपकी कोई नीति हो या ना हो कोई योजना हो या ना हो - बस फेंकम फांक करते रहो ....
मोदी जी की यही नीति है - कि उनकी कोई नीति ही नहीं है - और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भ्रष्टाचार के कई प्रकरणों में वे घुघ्घू जैसे चुप बैठे हैं - तथा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होना यही स्थिति एवं तथ्य पुख्ता करता है ....

अतः सिद्ध होता है कि - मोदी और 'नीति आयोग' का 'नीति' से कोई लेना देना नहीं !!!! 
इसलिए समय आ गया है कि जनता ही कुछ नीतिगत निर्णय करे .... योजनाबद्ध तरीके से .... भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध !!!!

//// २५ साल ?? .. क्या मोदी और शाह पूरे ५ साल भी चल पाएंगे ??....////


अभी एक साल पूर्ण होने पर तो मोदी जी ने बीते एक साल को सफलतम घोषित कर दिया था - और घोषणा कर दी थी कि "बुरे दिन गए" ....
और यदि मोदी जी अच्छा कार्य करते रहे तो हर वर्ष अच्छे दिन तो स्वतः ही आते जाएंगे ....
और यदि अच्छे दिन आते जाएंगे तो मोदी हर ५ साल में चुनाव तो स्वतः ही जीतते जाएंगे ....

फिर मुझे समझ ही नहीं पड़ रही है कि ये अमित शाह मोदी के पलीता क्यों लगा रहे हैं ?? उनकी मुश्किलें क्यों बढ़ा रहे हैं ?? किस जनम की दुश्मनी निकाल रहे हैं ?? सुर्री क्यों छोड़ रहे हैं कि अच्छे दिन २५ साल बाद आएंगे ?? और अभी हमें मोदी जी को बार-बार चुनना पड़ेगा - तभी अच्छे दिन आएँगे .... नहीं तो बेडा गर्क ????

कुछ तो गड़बड़ है .... ये २५ साल का फंडा और शाह की सोच में कुछ तो गड़बड़ है .... निश्चित ही इनकी सोच बहुत संकुचित और दूषित है .... और हाँ निश्चित ही अव्यवहारिक भी ....
आप स्वयं कल्पना करें कि भाजपा अध्यक्ष अनुसार तो २५ वर्ष बाद ६५ वर्षीय मोदी तब चाहे अनचाहे ९० वर्ष के होंगे और आवश्यकतानुसार और परिस्थितिवश पट्टा लिखाए प्रधानमंत्री भी होंगे !! .... तो क्या तब भी ८७ वर्षीय आडवाणी लगभग ११२ वर्ष पूर्ण कर मार्गदर्शक मंडल में ही बने होंगे ?? नहीं होंगे तो फिर कहाँ होंगे ?? .... क्या आज का ८० वर्षीय वृद्ध अयोग्य बुढ्ढा है और २५ वर्ष बाद ९० साल का वृद्ध योग्य प्रधानमंत्री होगा ?? .... और क्या शाह भी कोई विशिष्ट पट्टाधारी हैं ????     

और यदि मैं कुछ बेवकूफों के माफिक ही सब्जबाग देखने लगूँ तो क्या मैं मान बैठूं कि मैं अजरता अमरता का वरदान हासिल कर २५ वर्ष बाद  'मोदी राज' में 'अच्छे दिन' देख रहा होऊंगा - और मैं मेरे ब्लॉग में मोदी की तारीफ़ लिख रहा होऊंगा ????

नहीं मित्रो नहीं !! मैं ऐसी हवाई कल्पना नहीं कर सकता - क्योंकि इतनी लम्बी लम्बी कदापि लपेट नहीं सकता .... क्योंकि आज की वस्तुस्थिति तो यही है कि जिन्हें २५ दिन शासन चलाने में २५ गालियां पड़ना शुरू हो गई हों - जिन्हे कल क्या करना है कैसे करना है इसका पता नहीं हो - जो इतनी सारी गंभीर बातों पर जनता को जवाब नहीं दे पा रहा हो - जो आज अपनी ही पार्टी भाजपा में अपना वर्चस्व और अपनी साख खो चुका हो - वो क्या ख़ाक़ अगला चुनाव जीतेगा ????

और स्वयं कभी "जुमले" और कभी "२५ साल" जैसी बकवास पटकने वाले शाह की बात भी हो जाए .... २५ साल बाद भी क्या 'तड़ीपार' जैसे लोग राजनीति में टिके रहेंगे ?? यदि हाँ तो क्या खाक अच्छे दिन आएंगे ?? और यदि ना तो क्या बकवास लोगों की बकवास का कोई औचित्य हो सकता है ?? नहीं ना !!!!

इसलिए मित्रों मेरी कलम से मोदी की तारीफ अभी तो दूर की कौड़ी ही दिखती है .... और मोदी २५ साल चलेंगे - असंभव ! असंभव !! असंभव !!!

तार्किक प्रश्न तो बस अब एक ही है - क्या मोदी और 'तड़ीपार' पूरे ५ साल भी चल पाएंगे ????

Tuesday 14 July 2015

//// क्रिकेट की किरकिट की किटकिट - हो गई किरकिरी....////


और आज मय्यपन और राज कुंद्रा तथा 'चेन्नई सुपर किंग्स' और 'राजस्थान रॉयल' टीमें 'आईपीएल' में सट्टेबाज़ी की दोषी पाई गईं .... और इनकी सजा की घोषणा भी हो गई ....

यानि क्रिकेट की किरकिट की किटकिट अब शुरू हो जाएगी - यानि अब बहुत बहस होगी और इसमें किरकिट से जुड़े कई नामी गिरामी टुच्चे भी भाग लेंगे ....

पर अब प्रश्न उठता है कि इतने लंबे समय से उठते प्रश्नों का क्या होगा ....  
यानि मय्यपन के ससुरे का क्या होगा ? धोनी की धुनाई कब और कैसे होगी ? कुंद्रा-शेट्टी की सेटिंग का क्या होगा ? क्या 'राजस्थान रॉयल्स' का नाम बदलकर 'राजस्थान के टुच्चे' और 'चेन्नईं सुपर किंग्स' का नाम बदलकर 'चेन्नई के चोट्टे' रखा जाएगा ????

मुझे इंतज़ार रहेगा क्रिकेट की किरकिट के "कीट" यानि श्रीनि पंवार लमो नमो शाह जेटली ठाकुर डालमिया शुक्ला आदि जैसे गंदे कीटों की भी कुछ किरकिरी होती है या नहीं ....और हमारे भारत रत्न किरकिट सम्राट सचिन बाबू भी कुछ बोलते हैं या नहीं ????

और ये भी इंतज़ार रहेगा कि किरकिट के बेताज बादशाह आदरणीय ललित मोदी कैसे दहाड़ते हैं - और नरेंद्र मोदी चुप रहने के अलावा भी कुछ करते हैं या नहीं ???? 

नहीं जनाब नहीं ! कुछ आसमानी सुल्तानी नहीं होने वाला - क्योंकि किरकिट की किरकिरी करने वाले ये सभी टुच्चे क्रिकेट से बहुत बड़े हैं .... क्रिकेट तो बेचारी इनके एहसान तले कभी की दम तोड़ चुकी है ....

अतः मेरा तो सुझाव है कि जब तक किरकिट की किटकिट जारी है - गुल्ली डंडे का आनंद लें .... खेलें भी और इसका अन्यथा उपयोग भी करें !!!! धन्यवाद !!!!

//// पिछले ८-१० दिनों का आंकलन ....////


पिछले ८-१० दिन से मोदी जी सरकारी यात्रा पर थे - विदेश में थे .... और मैं भी अपनी निजी यात्रा पर था - पर देश में ही था - परिवार और मित्रों के साथ इधर-उधर घूमता फिरता - पैर धरती पर ही थे - और धरती से जुड़े ही कई लोगों से बातचीत करने हँसने हँसाने का मौका मिलता रहा .... पिछले ८-१० दिन मेरे बहुत अच्छे बीते ....

पर मोदी जी के अच्छे बीते या नहीं - कह नहीं सकता .... क्योंकि इस बार वो चमक-दमक दिखी नहीं - वो 'इंडियन डायस्पोरा' के सामने के ओजस्वी से दिखने वाले या बताए जाने वाले घिसे-पिटे भाषण पर भी मीडिया और मोदिया तक का ज्यादा प्रसारण नहीं दिखा .... और पीछे देश में मोदी जी की वॉट लगती रही .... विशेषकर उनकी चुप्पी के विरुद्ध लोगों की चुप्पी टूटती-फूटती दिखी - प्रखर अपशब्दों के प्रयोग के साथ .... 

पर पाकिस्तान संबंधित मोदी-शरीफ की बातचीत पर काफी प्रसारण हुआ जो शायद सही मायने में नकारात्मक था - यानि उसका पुट तो यही था कि मोदी क्यूँ मिल रहे हैं - धत्त तेरे की - गई भैंस पानी में - ये मरवाएगा - ऐसा थोड़े ही होता है - क्या हासिल होगा - यह बड़ी भूल है - आदि डायलाग बहस के दौरान आते रहे जिस पर भाजपा प्रवक्ता 'चिल्लाचोट' मचाते रहे .... और अंततः 'चिल्ला' 'चोट' अलग हुए क्योंकि भाजपा प्रवक्ताओं का 'चिल्लाना' भी बंद हुआ क्यूंकि 'चोट' खा ही गए .... और पाकिस्तान ने एक बार फिर भक्तों को मौका दिया ये बोलने का कि पाकिस्तान नहीं सुधरेगा - और मुझे ये बोलने का कि मोदी भी कहाँ सुधरे ????

इस दौरान लोगों से बातचीत करने में मुझे कुछ अच्छी अनुभूति भी हुई .... मुख्यतः मुझे ये लगा कि लोग "स्मार्ट सिटी" के बारे में बहुत बातें कर रहे हैं - और मेरा अनुभव ये रहा कि कुछ पढ़े लिखे उत्साही भाजपाई भक्त तो जरूर माने बैठे हैं कि बस "स्मार्ट सिटी" जैसा कुछ होने ही वाला है - पर क्या होगा इस बात से वो लापरवाह और अनभिज्ञ ही दिखे .... और इसके उलट गरीब और जागरूक कम पढ़े-लिखे लोग जिनकी संख्या अधिक थी वो अधिकांशतः "स्मार्ट सिटी" का तार्किक उपहास करते ही दिखे .... और मुझे लगा कि वाकई लोग 'स्मार्ट' होते जा रहे हैं !!!!

जो एक अन्य विषय सबसे चर्चा में रहा वो था "व्यापम घोटाला" - और इस विषयक भी लोगो का नज़रिया सरकार के प्रति घृणा गुस्से और धिक्कार का ही दिखा - यहाँ तक की भक्त भी व्यथित ही दिखे ....

इसके अलावा भाजपा के सुषमा स्वराज से लेकर वसुंधरा स्मृति दुष्यंत मुंडे तावड़े फड़नवीस शिवराज और रमनसिंह आदि के भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों पर भी चर्चाएं हुई - कोंग्रेसी भ्रष्टाचार - केजरीवाल और दिल्ली सरकार - दिल्ली रेफरेंडम - बिहार चुनाव - यूपी में पत्रकारों की हत्या और अमिताभ ठाकुर प्रकरण आदि पर भी चर्चाएं हुई .... और यकीनन लोग मुझे भाजपा - मोदी - भ्रष्टाचार - गुंडई - और घिनौनी राजनीति के विरूद्ध आवाज़ प्रखर करते दिखे - और केजरीवाल और बहादुर पत्रकार और अमिताभ ठाकुर जैसे लोगों के समर्थन में उत्सुक दिखे !!!! 

और अंततः मोदी जी के डायलॉग "ना खाएंगे ना खाने देंगे" पर भी बहुत रोचक सी मसालेदार चर्चाएं हुई .... और मुझे लगा कि अब लोग समझ गए हैं कि मोदी जी की औकात नहीं वो दूसरों को खाने से रोक सकें - और वो खुद भी नहीं खा रहे या खाएंगे इस बात की भी गारंटी नहीं .... यानि अब लोगों का विश्वास दरकता दिखा !!!!

कुल मिलाकर मुझे लोगों का आंकलन मोदी जी के विरूद्ध दिखा - जिसे मैं देश के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूँ .... क्योंकि मैं मानता हूँ कि जागकर भी सोने की एक्टिंग करते रहना तो स्वयं के साथ गद्दारी होती है - 'अच्छे दिन' नहीं आये तो क्या 'बुरे दिन' तो गए पर संतोष करना नादानी होती है - और अब 'अच्छे दिन २५ साल बाद आएंगे' पर विश्वास कर लेना तो निरी बेवकूफी ही होगी ना !!!!

Friday 3 July 2015

//// मदरसे और FTII - मुद्दा एक - शिक्षा में धार्मिक राजनीति का घालमेल ....////


महाराष्ट्र में मदरसों को लेकर कुछ बयान बाज़ी हुई है .... मंत्री महोदय ने मदरसों को स्कूल जैसी मान्यता देने से इंकार कर दिया है .... शायद उनका मानना है कि मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा दी जाती है पर आवश्यक बुनियादी नियमित साधारण शिक्षा के विषय जैसे गणित विज्ञान आदि नहीं पढ़ाए जाते ....
इस विषयक मेरा अभिमत बहुत स्पष्ट है - शिक्षा में धर्म आड़े नहीं आना चाहिए और कोई भी बच्चा उस बुनियादी शिक्षा से महरूम नहीं रहना चाहिए जिसके कारण उसको आगे अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बाधा आए - स्वाभाविक ही यदि आप बच्चे को शुरू से ही गणित नहीं पढ़ाएंगे तो शायद वो बड़े होने पर चाहकर भी और होशियार होते हुए भी कभी इंजीनियर नहीं बन सकेगा ....
इसलिए मदरसे में भी सभी बुनियादी आवश्यक शिक्षा दी ही जानी चाहिए .... और इसमें सबकी सहमति भी होनी ही चाहिए ....

पर साथ ही मैं ये भी अपेक्षा करता हूँ कि पुणे के प्रसिद्द संस्थान FTII में ऐसे भी निदेशक की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए जिसे लगभग सभी छात्र शिक्षा का भगवाकरण के रूप में ही देखते हैं .... ये भी तो एक बुनियादी बात ही है ....

और इससे भी ज्यादा बुनियादी बात तो ये है कि स्मृति ईरानी को भी तो शिक्षा मंत्री नहीं होना चाहिए जो वस्तुतः अच्छी खासी पढ़ी लिखी दिखती तो हैं पर हैं नहीं - और ना ही उनमें पढ़े लिखे के गुण या क़ाबलियत दिखती है .... और शायद इसलिए भी कि वो शिक्षा के भगवाकरण जैसे संघ के एजेंडे को ही आगे बढ़ाने की कोशिश करती दिखती हैं .... और शायद इसलिए भी कि वो चुनाव भी नहीं जीत पाई थीं और केवल मोदी जी की कृपापात्र होकर मंत्री बनी हुई हैं - जिसके कारण उनके कार्य में निष्पक्षता दबंगता और ईमानदारी का समन्वय होना नामुमकिन है ....

अस्तु मेरा मानना है कि मदरसे का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है - FTII  सबसे स्पष्ट मुद्दा है - और स्मृति ईरानी का मुद्दा सबसे चिंतनीय और शर्मनाक मुद्दा है ....

और यदि स्मृति ईरानी का मुद्दा हल कर लिया जाता है यानि उनको मंत्री पद से हटा अपनी शिक्षा पूर्ण करने मदरसे या अन्य स्कूल या कॉलेज भेज दिया जाता है - तो FTII का मुद्दा तो छात्र लगभग सुलटा ही दिए हैं - मदरसे का मुद्दा भी स्वतः हल हो जाएगा !!!!

//// ताजमहल छोटा पड़ने लगे तो आगरा में लाल किला भी है ....////


बहुत दिनों से गुमसुम खोए-खोए क्षुब्ध मौन मोदी जी कल कुछ हटकर बोले - " मेरे बारे में इतने भद्दे शब्द लिखे जाते हैं, कि उन सभी को छपवा दिया जाए, तो उन कागज़ों से पूरा का पूरा ताजमहल ही ढक जाए " ....

अब बात तो निहायत बचकाना और बेतुकी है .... क्योंकि भद्दे शब्दों को कौन और क्यों छपवाएगा और फिर छपे कागज़ों से ताजमहल को कोई क्यों ढकेगा ?? .. प्रथम दृष्टया तो यही पक्का होता है कि ऐसी बातें बोलने वाला अपना मानसिक संतुलन खो ही बैठा होगा !!!!

पर मैं इसे ज़रा अलग तरह से भी देखता हूँ - पहली बार मोदी जी ने मार्के की सत्य बात कही है - क्योंकि वाकई भद्दे अपशब्दों की तो भरमार लग पड़ी है ....
और क्योंकि आपकी करनी ही ऐसी रही है तो ऐसा होना स्वाभाविक भी था !!!!

पर जो हुआ सो हुआ .... लेकिन अब जो हो रहा है या होने जा रहा है उसके बाद तो मुझे लगता है अपशब्दों की भरमार तो छोड़ अब तो बाढ़ आने वाली है .... मसलन आपके द्वारा दूसरों को अपशब्द कहे जाने के बाद यदि आप भी अति महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों पर मौन रहोगे तो आपके लिए भी तो लोग भद्दे अपशब्द कहेंगे ही .... अब ऐसा तो नहीं होगा ना कि लोग आपकी तारीफ करें कि मान गए मोदी जी को - क्या शालीनता से मौन धारण किया है .... दूसरों को नैतिकता का पाठ सिखाने वाले यदि आप स्वयं अनैतिकता का पक्ष लोगे तो लोग अनैतिक भाषा तो बालेंगे ही .... ऐसा तो नहीं होगा कि आप और आपके सांसद लोगों को हरामज़ादे प्रेस्टीट्यूट  भगोड़ा पाकिस्तानी एजेंट तक कह सबका उपहास करोगे और लोग आपको माननीय आदरणीय महोदय ही बोलते रहेंगें .... ऐसा तो नहीं होगा ना कि आप भुख्खड़ बेशर्मों जैसे कैंटीन में लगभग मुफ्त का भोजन करते रहोगे और आपके फोन पानी बिजली यात्रा के समस्त खर्चे हम भुगतेंगे और फिर भी आप अपने वेतन दोगुने करने की बात सोचोगे और आप गालियां नहीं खाओगे .... ऐसा तो नहीं होगा ना कि आप खुद तो मोटा वेतन और ताजिंदगी मोटी पेंशन लोगे पर वादाखिलाफी कर हमारे बुजुर्ग फौजियों को पेंशन के अधिकार के लिए भी तड़पा मारोगे और आपको कोई बद्दुआ तक नहीं देगा .... ऐसा तो नहीं होगा ना कि हम श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडा फहरता देख भक्तों की तरह कहेंगे - मोदी ! मोदी !! मोदी !!! .. नमो ! नमो !! नमो !!!

मोदी जी आपके प्रति कोई अन्य अपशब्द कहे या न कहे कम से कम मैं तो जरूर कहूँगा कि आप तो इस देश के सबसे बेकार प्रधानमंत्री निकले .... आप केवल बोलते हो करते कुछ नहीं .... आपकी नीयत ही साफ़ नहीं है .... आपमें कुछ सफल करने की क़ाबलियत भी नहीं है .... आप स्वयं धर्मनिरपेक्षता की बात तो करते हो पर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देते ही दिखते हो .... आप विपक्षियों को तो चोर उचक्का कहते हो पर अपनी पार्टी के एक भी भ्रष्टाचारी और अपराधी तक पर कार्यवाही करने से डरते हो - तब आपको अपनी कुर्सी दिखाई पड़ने लगती है .... आप राजनीति तो करते हो - पर देश के लिए नहीं अपने लिए - गंदी ओछी राजनीति ....

सॉरी मोदी जी सॉरी !! अब इतना तो सुनना ही पड़ेगा - मैं भी बेबस हूँ .... आगे बस इतना ही कह सकता हूँ कि यदि ताजमहल छोटा पड़ने लगे तो आगरा में लाल किला भी है .... मेरा एक-एक शब्द छपवा के उसे भी ढकवा दीजियेगा !!!! धन्यवाद !!!!

Thursday 2 July 2015

//// सावधान !! मेरा नाम मत घसीटना - मानहानि का मुकद्दमा कर दूंगा ..////


मुझे तो ऐसा ही याद पड़ता है कि केजरीवाल के राजनीति में आने के बाद मानहानि के मुकद्दमे फैशन में आ गए थे .... बहुत से मानहीन ढीठ भी छुईमुई हुए जा रहे थे ....

पर आज 'ललित उवाच' के बाद तो सब बदला-बदला लग रहा है .... ललित रोज कुछ ना कुछ रोचक बोलता है और ऐसा कुछ बोलता है कि जिसके बारे में बोलता है उसके प्रति मेरे मन में मान की हानि हो ही जाती है .... जैसे ललित ने बोला .... वसुंधरा से मेरे संबंध बहुत पुराने - और मुझे लगा वसुंधरा मुख्यमंत्री के पद पर रहने लायक नहीं .... ललित बोला स्वराज कौशल मेरे २० साल से वकील वो भी फोकटिया - मुझे लगा ये भी कैसा बड़ा वकील फ़ोकट में फोकटिया के लिए २० साल से काम कर रहा है .... यानि ललित जिसका भी नाम लेता है - बाज़ार में उसकी औकात गिर जाती है - भैस छाप बहस छेड़ दी जाती है .... लोग पूछने लगते हैं - क्यों बे ललित सही कह रहा है ? क्यों मिला था ? कहाँ मिला था ? कब मिला था ? किसके साथ मिला था ? क्या बात हुई थी ? क्या बात नहीं हुई थी ? बोल - बता ना - चुप क्यों है ?? .... और लोग तो एक दूसरे को गालियां तक देने पर उतर आते हैं ....

पर आज तो कोई भी मानहानि का मुकद्दमा दायर नहीं कर रहा .... कारण ????

कारण मुझे निश्चित लगता है कि माननहीं ललित शायद मानहीनों की ही बात कर रहा है .... फिर मानहानि कैसी ????

हाँ हो हिम्मत ललित में तो बोल के बताए कि मैं उससे मिला भर था .... या मैं कभी भी कपिल जेटली सोनिया राहुल सुषमा वसुंधरा दुष्यंत बांसुरी कौशल श्रीनि पंवार शुक्ला आदि किसी से भी कहीं भी मिला था - या इनमें से किसी ने भी मुझ से मिलने की कोशिश या इच्छा या ज़ुर्रत करी थी - तो मैं कस्सम से मानहानि का मुकद्दमा दायर कर दूंगा .... मेरा किसी भी मानहीन से संबंध - असंभव - मैं ऐसा आंशिक आरोप भी बर्दाश्त नहीं कर सकता ....आखिर मैं एक इज़्ज़तदार आदमी हूँ - मैं ऐसी ओछी हरकत क्यों करूंगा ????

अरे ललित द्वारा इंगित नेता तो छोड़िये - मैं तो किसी भी नेता से मिलने में शर्म महसूस करूंगा .... क्योंकि जो नेता अपने वेतन बढ़ाने के लिए तो एकजुट हैं और तैयार हैं - पर बूढ़े हो चले सेवानिवृत फौजियों के पेंशन संबंधित निर्णय नहीं ले रहे हैं वादे से मुकुर रहे हैं - ऐसे बेशर्म गिरे हुए नेता तो ललित से भी गए बीते हुए कि नहीं ????

//// 'जय ललित' - या - 'जयललिता' ?? ....////


क्या बेटा ललित !! .. इतना उतावलापन - इतनी बकवास - इतनी धौंस-दपट - इतनी भागमभाग - इतनी हैरानी-परेशानी - इतना लेन देन ?? .... कितने पापड बेल रहे हो बेटा - कितना खर्च कर रहे हो - आसमान सर पर उठा लिया - आसमानी सुल्तानियों को धूल चटा रहे हो - अपनी जात वालों से ही उलझ रहे हो - फ़ोकट में इतना लफड़ा - इतना होहल्ला इतना हंगामा - और तुम सोच रहे हो दुनिया बोलेगी - "जय ललित" ????

नहीं बेटा नहीं !! ऐसा नहीं करते - ऐसा नहीं होता - बेहतर होता तुमने कुछ सीखा होता 'अम्मा' से - 'जयललिता' से ....

अब देखो बेटा !! तुम पर तो केवल आरोप लगे थे वो भी छोटे मोटे - १५-१६ आरोप - जो आजकल हर टुच्चे गरीब अरबपति पर एन-केन-प्रकारेण लगते ही हैं .... और बड़ी आसानी सहजता से निपटा लिए जाते हैं - सौ गलियाँ होती हैं दर्जनों गलियारे होते हैं - हजार तरीके होते हैं .... अपने यहाँ तो इतनी शानदार न्यायिक व्यवथाएं हैं जो टुच्चे अरबपतियों के हिसाब से ही तो बनी हैं - इतने ढेर सारे वकील और वकीलों के न्यायाधीश और न्यायाधीशों के न्यायालय .... सहजता से न्याय प्राप्त कर लेते ....

देखो न जयललिता को - तुम पर तो आरोप लगे थे - पर अम्मा पर तो आरोप क्या बाकायदा मुकद्दमा चिपक गया था - और सजा तक हो गई थी - जेल भी हो गई थी .... पर क्या वो चिल्लाई झल्लाई घबराई ?? नहीं ना !! .. हमेशा 'कूल & कॉम' की "शांती" देवी - चन्द्रमा जैसे चेहरे पर प्यारी सी मुस्कराहट ....

और कैसे बरी हुई ? .... बस ध्येय था कमाई को १०% से कम बताना .... सो बता दिया .... १० बार १० की कमाई हुई .... १० x १० = १०० .... पर १ पर संदेह इसलिए = ९० .... कमाई २ प्रकार की - इसलिए ९० / २ = ४५ .... क्योंकि १० बार हुई इसलिए = ४५ / १० = ४.५ .... और क्योंकि २ प्रकार की इसलिए ४.५ + ४.५ = ९.०००० ....
बस यानी ९% केवल ९% यानी १०% से बहुत कम ....
इसलिए बरी ! बरी !! बरी !!!!

इसलिए कहता हूँ बेटा ललित !!  "जय ललित"  नहीं  - "जयललिता" !!!!

लेकिन फिर सोचता हूँ कि इस देश को 'अम्मा जयललिता' ने क्या दिया ?? कुछ नहीं - उनके कारण एक चूहा भी तो अंदर नहीं गया ....
पर ललित बेटा वो काम कर रहा है कि कई शेर थरथरा रहे हैं और चूहों में भगदड़ मची है .... इसलिए दिल फिर डांवाडोल होकर कहता है .... 'जयललिता' कदापि नहीं - 'जय-ललित' चलेगा !!!!

जियो बेटा जियो !! ललित बेटा जियो - और जो कर रहे हो करते रहो .... बेटा रुकना नहीं - घबराना नहीं - मेरा आशीर्वाद तो बस तुम्हारे ही साथ है - और सही बताऊँ .... अब तो तुम से ही आस है !!!!