Friday 21 October 2016

// भाजपा-कांग्रेस संयुक्त विपक्ष की ओर अग्रसर !! ….//


अब यह तो तय हो गया कि मोदी सरकार किए गए वायदों के अनुरूप और जनता द्वारा उनसे की गई अपेक्षाओं और आशाओं के अनुरूप कार्य नहीं कर सकी है ....

और अब तो नौबत यहाँ तक आन पड़ी है कि भाजपा बिना कांग्रेसियों या अन्य विरोधियों या विभीषणों या जयचंदों या जयचिंदियों के बगैर चुनाव तक जीतने का भरोसा खो बैठी है .... और इसका स्पष्ट प्रमाण है जिसको गालियां देते रहे उन्हें ही अपनी पार्टी में शामिल करते रहे .. और ऐसे सांसदों की संख्या रीता बहुगुणा जोशी के 'हस्तांतरण' से ८४ तक पहुँच गई है ....

'हस्तांतरण' मैंने इसलिए कहा कि ये शब्द किसी वस्तु की आवक जावक के लिए ज्यादा उपयुक्त और सटीक है .... और जबकि यह आदान प्रदान बिना किसी झंझट झगडे टंटे विवाद आपसी समझ सहयोग और स्वेच्छा के साथ संपन्न हो जाए .... और क्योंकि अभी तक के कांग्रेस भाजपा के बीच के सभी आदान प्रदान बिना किसी झंझट के क्रियान्वित हो चुके हैं इसलिए 'हस्तांतरण' हुआ ही कहा जाएगा .... अन्यथा अब यदि आप रीता का कांग्रेस से भाजपा में 'हस्तांतरण' नहीं मानेंगे तो क्या ये मानेंगे कि - रीता निकल गई या निकाल दी गई या भाग गई या टपक गई या पहुँच गई या प्राप्त हो गई या ले ली गई या भेज दी गई या इधर उधर हो गई ?? .. आदि !! ....

यानि अब तक के रीता सहित व्यापक थोकबंद हस्तांतरणों के कारण आप कह सकते हैं कि भाजपा कांग्रेस युक्त हो गई .... भले ही अभी भी भाजपा अपनी तमाम असफलताओं के लिए कांग्रेस का ही रोना रोती रही है ....

पर जब तब भाजपा ये रोना रोती है कि कांग्रेस की वजह से वो असफल रही है तब तब वो स्वतः ही स्वीकार करती धरा जाती है कि भाजपा भारत को 'कांग्रेस मुक्त भारत' तो नहीं बना पाई - पर उल्टे खुद ही 'कांग्रेस युक्त भाजपा' बन गई .... बेचारी !!

और इसका कारण मुझे स्पष्ट होता है कि भाजपा कांग्रेस से भी गई बीती निकली ....

इसी संदर्भ में मैं भाजपा की निंदनीय शान में एक और बात रखना चाहूंगा .... एक ओर भाजपा कांग्रेस से नग-नगीनों के हस्तांतरण के अलावा सहयोग लेने में पूर्णतः अक्षम और असफल रही - तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार को सहयोग ना देने में पूर्णतः सफल रही .. पर सक्षम नहीं .... क्योंकि केजरीवाल गए-बीते नहीं निकले .... बल्कि उल्टे वो भारतीय राजनीति में अभी तक कांग्रेस और भाजपा को धता बताते हुए अभूतपूर्व सफलता की ओर बढ़ते ही दिखे ....

अब देखिए ना !! .... भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत तो नहीं बना पाई - पर केजरीवाल ने कांग्रेस मुक्त दिल्ली तो बना कर दिखा ही दिया .... और तो और काफी हद तक "भाजपा मुक्त दिल्ली" भी ....

और अब तैयारी है - कांग्रेस-भजपा मुक्त पंजाब की - और यदि सफलता मिलती है तो फिर ....

देश के इतिहास में भाजपा-कांग्रेस संयुक्त विपक्ष की आधिकारिक शुरुआत हो कर रहेगी .... दोनों पार्टियां तब पूर्ण रूप से दीनदयाल उपाध्याय के 'एकात्मवाद' के सिद्धांत पर चलते एक हो जाएंगी - और तब तक एक रहेँगी जब तक 'अंत्योदय' योजना के तहत अंतिम भाजपाई-कांग्रेसी सांसद की केजरी खबर ना ले ले .... समझे !! जय हिन्द !! ....

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