Friday 7 October 2016

// मेरा ये देश अब इतना बंटा-बंटा सा क्यों लगता है ?? ....//


अब तो काफी समय हो चला है .. पर देश हर मुद्दे पर बंटा-बंटता सा ही लगता है .... लव-जेहाद - गौमांस - दलित या अल्पसंख्यों के मुद्दे - आरक्षण के मुद्दे - विश्वविद्यालयों के मुद्दे - जेएनयू - कन्हैया - असहिष्णुता - धर्म - जाति - चुनावी गतिविधियां - संसद कार्यवाही - बयानबाज़ी - भ्रष्टाचार - क्रिकेट - नियुक्तियां - ओलिंपिक - न्यायायिक प्रकरण - पुलसिया कार्यवाही - आदि हर सामाजिक राष्ट्रीय आर्थिक राजनीतिक मुद्दों पर देश बंटा-बंटा सा ही लगा ....
और हाँ दिल्ली और केजरीवाल से जुड़े हर मुद्दे पर तो तौबा - बांटा हुआ भी और तोड़ा हुआ भी ... और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर तो शर्मिंदा और मायूस भी .... 

पर अपने आप को समझाने के लिए - या यूँ कहूँ सांत्वना देने के लिए - एक बात का सहारा था सकून था टेका था - कि यही तो लोकतंत्र है !! .... यानि लोकतंत्र की छतरी में ये पूरी बाँट और बन्दर बाँट और लंगूर बाँट और गधा बाँट और भक्त बाँट और नेता बाँट ढँक सी जाती रही .. ढाँकी जाती रही .... 

पर अब एक ऐसा मुद्दा आया जो बिल्कुल अलग था .... और ये मुद्दा था "राष्टीय एकता" का - वो भी जन्मजात दुश्मन पाकिस्तान के विरुद्ध एकता का - वो भी युद्ध जैसे हालातों के वक्त आवश्यक एकता का ....

पर हुआ क्या ?? .. भाजपा और मोदी ने इस "राष्टीय एकता" के लिए कभी भी सार्थक सभ्य पहल नहीं करी - हाथ नहीं जोड़े - कभी इसके लिए विनम्रता नहीं बताई - कभी इसे राजनीति से अलग नहीं किया - और कभी इसके लिए पहल करने वालों या इसके लिए योगदान देने वालों के प्रति कृतज्ञता भी नहीं दिखाई .... और समझदारी के ना रहते कभी इसकी चाहत भी नहीं रखी ....

बल्कि ठीक उलट - इस "राष्टीय एकता" के लिए सबको ललकारा - और फिर ऐसा ही कहा कि जो उसकी हाँ में हाँ नहीं मिलाएगा वो दोगला जयचंद पाकिस्तानी टुच्चा देशद्रोही - और इस तरह एक प्रकार से एका करने और जताने के लिए "ब्लैकमेल" करने का प्रयास हुआ ....

और नतीजा - "राष्टीय एकता" की तो वाट लग चुकी है .... और देश बंटा-बंटा ही नहीं व्यापकता से बंटता ही जा रहा है ....

और भाजपा और मोदी हैं कि बस पिले पड़े हैं केजरीवाल को निपटाने - पाकिस्तान को निपटाने से भी ज्यादा शिद्दत के साथ केजरीवाल को निपटाने के लिए .... और उसका नतीजा ये है कि केजरीवाल तो अपने रास्ते बढ़ते जा रहे हैं - और ना चाहकर भी वो पाकिस्तान के हीरो प्रदर्शित किये जा रहे हैं - और इस तरह 'अंतरराष्ट्रीय' होते जा रहे हैं ....
पर कल तक मोदी जिस राहुल गांधी का उपहास करते रहते थे और जिस पर लाखों करोड़ों के भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते थे और जिसके जीजा जी को चुनावी मुद्दा बना दिए थे और जिन्हें जेल भेजने का दम्भ भरते थे - वो राहुल गांधी ठपके से पूरी यूपी में सफल किसान यात्रा करके इस राष्ट्रीय मुद्दे पर कुछ यूँ बोले कि आपकी इज़्ज़त भी तार-तार कर गए .... और ठेठ भाषा में चुनौती भी दे गए कि इस राष्ट्रीय मुद्दे पर राजनीति करने का दुस्साहस ना करें .... 

अस्तु जिन्हें केजरीवाल से नफरत ज्यादा और देश से प्यार कम है उनसे कहना चाहूँगा .... नफरत से कुछ हासिल नहीं होने वाला - और प्यार में ही तो समझदारी है .. क्योंकि समझदारी के चलते ही तो एका संभव हो सकता है .. समझे ?? .. राष्ट्रहित में समझना ही होगा !! ..

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