Saturday 8 October 2016

// चलित "शब्दार्थ" और "भावार्थ" के वर्तमान "अर्थ" ....//


केजरीवाल ने बयान दिया था कि - सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में पाकिस्तान दुष्प्रचार कर रहा है इसलिए पर्दाफाश हो .... और भाजपाई ढोल पिट गया !! .. कहा जाने लगा कि केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे .. और जब चैलेंज हुआ कि एक-एक शब्द सौ-सौ बार सुन लो - सबूत मांगने की बात कहाँ ?? .... तो डुगडुगी चालू कर दी .. "शब्दार्थ" पर ना जाएं - भाव समझें .. केजरीवाल ने बड़ी ही चालाकी से सबूत ही मांगे थे .... और डुगडुगी चालू है .... 

राहुल गाँधी ने अपनी हैसियत और प्रतिष्ठा अनुरूप बयान दे मारा कि - मोदी सेना के जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं जो गलत है .... और भाजपाई ढोल पिट गया !! .. कहा जाने लगा कि राहुल ने सेना का अपमान किया है आदि ! .. और जब बयान की सर्जरी हुई तो लगा कि बयान तो इतना बेतुका है कि इसका तो कोई "शब्दार्थ" ही नहीं निकलता - फिर इससे सेना का अपमान कैसे हुआ ?? .... और फिर खिसियाई सफाई भी आ गई कि राहुल का केवल "भावार्थ" ये था कि सेना द्वारा किये पराक्रम पर राजनीति ना हो .... तो डुगडुगी चालू कर दी .. "भावार्थ" पर ना जाएं - शब्दों को देखें - 'खून की दलाली' !! .... और डुगडुगी अभी चालू रहेगी ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

उपरोक्त "शब्दार्थ और "भावार्थ" का केवल एक अर्थ है - और वो केवल एक अर्थ यह है कि भाड़ में गए "शब्दार्थ" और "भावार्थ" .. यदि आप मोदी या मोदी सरकार या भाजपा के विरोधी हैं और यदि आपने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अपना मुहँ खोला है तो - तो यकीनन आपने सेना का अपमान किया है - आपने सेना के शौर्य और शहादत का अपमान किया है - आपने सेना पर सवाल खड़े किए हैं - आदि !! ....

और इसलिए चलित "शब्दार्थ और "भावार्थ" का वर्तमान "अर्थ" यही है कि - यदि आपने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अपना मुहँ खोला है तो - आप देशद्रोही हैं - आप पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं - आपको पाकिस्तान ही चले जाना चाहिए ....

अब आप मुहँ खोलें या नहीं खोलें - औक़ात और मर्ज़ी आपकी .... जय हिन्द !!

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12 comments:

  1. LOVE U DUA JI-BUT I DONT EXPECT TOO MUCH FROM KEJRIWAL-BUT AS MY HATE TOWARDS OTHER POLITICIANS IS SO HIGH THAT I CANT RESIST MYSELF IN LOVING KEJRIWAL-BECAUSE HE HAS RE VOLUTE THE POLITICAL SYSTEM AND I AM SURE THIS IS NOT IN THE RIGHT DIRECTION -BUT SALUTE TO HIS KILLING INSTINCT

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    1. Thanks Sanjeev Kumar Ji for reading and commenting. I agree with you, but with a bit different view. You opine that “Kejriwal is best amongst Bad Ones”, and I opine that Kejriwal is surely “One of Best amongst few Good Ones”. And I think more elaborative and befitting comment has been given by Shri S.K.Vats, and I thank & congratulate him too ….

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  2. प्रिय संजीव कुमार जी, आपने दुवाजी का ये ब्लॉग तो पढ़ ही लिया है। मेरे पास इस ब्लॉग में जोड़ने के लिए अतिरिक्त शब्द नहीं है। पर इसे पढ़ने वालों को भावार्थ और शब्दार्थ का ज्ञान गहराई से हो गया होगा।आपने अरविन्द केजरीवाल का सही आंकलन किया है ऐसा मुझे लगता है।केजरीवाल कोई राजनितिक व्यक्ति नहीं है। वो गलती करता है तो उसको मान भी लेता है। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष में बैठी बीजेपी है।जो कुछ भी करे वो 100% सार्वभौमिक सत्य होता है। केजरीवाल की राजनीती जो कि उसे आती भी नहीं है बिलकुल सटीक वार करती है। बताओ एक बहुमत का प्रधानमंत्री बहुत विशाल पार्टी का नेता एक कल के अदना से आधे मुख्यमंत्री से इतना डरा डरा सा क्यों रहता है। कुछ तो दाल में काला है। मोदी जी की ये ही समस्या है कहने को वो अपने अंतर्राष्ट्रीय नेता समझते है पर एक अदने से आदमी को नीचा दिखाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दे रहे है। भारत में और भी मुख्यमंत्री है वो सब मोदी जी के दबाव में है। क्यों? ये सबको पता है क्यों दबाव में है। आज दुनिया के जितने भी देश है जो भारत के बारे में थोड़ा भी ज्ञान रखते है वो केजरीवाल को जरूर जानते है बाकी किसी मुख्यमंत्री को क्यों नहीं जानते? मतलब साफ है कुछ तो केजरीवाल में अलग है और उस अलग की ही देश को जरुरत है।

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    1. Shri S.K.Vats Saheb !! Thanks for replying to Shri Sanjeev Kumar ji so rationally and beautifully, and I think that I could not have worded my feelings in better words. I feel obliged.

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    2. धन्यवाद दुआ सर जी बस ऐसे ही ब्लॉग लिखते रहिये हमारा हौसला बना रहेगा। पुनश्च धन्यवाद

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    3. धन्यवाद दुआ सर जी बस ऐसे ही ब्लॉग लिखते रहिये हमारा हौसला बना रहेगा। पुनश्च धन्यवाद

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  3. प्रिय संजीव कुमार जी, आपने दुवाजी का ये ब्लॉग तो पढ़ ही लिया है। मेरे पास इस ब्लॉग में जोड़ने के लिए अतिरिक्त शब्द नहीं है। पर इसे पढ़ने वालों को भावार्थ और शब्दार्थ का ज्ञान गहराई से हो गया होगा।आपने अरविन्द केजरीवाल का सही आंकलन किया है ऐसा मुझे लगता है।केजरीवाल कोई राजनितिक व्यक्ति नहीं है। वो गलती करता है तो उसको मान भी लेता है। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष में बैठी बीजेपी है।जो कुछ भी करे वो 100% सार्वभौमिक सत्य होता है। केजरीवाल की राजनीती जो कि उसे आती भी नहीं है बिलकुल सटीक वार करती है। बताओ एक बहुमत का प्रधानमंत्री बहुत विशाल पार्टी का नेता एक कल के अदना से आधे मुख्यमंत्री से इतना डरा डरा सा क्यों रहता है। कुछ तो दाल में काला है। मोदी जी की ये ही समस्या है कहने को वो अपने अंतर्राष्ट्रीय नेता समझते है पर एक अदने से आदमी को नीचा दिखाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दे रहे है। भारत में और भी मुख्यमंत्री है वो सब मोदी जी के दबाव में है। क्यों? ये सबको पता है क्यों दबाव में है। आज दुनिया के जितने भी देश है जो भारत के बारे में थोड़ा भी ज्ञान रखते है वो केजरीवाल को जरूर जानते है बाकी किसी मुख्यमंत्री को क्यों नहीं जानते? मतलब साफ है कुछ तो केजरीवाल में अलग है और उस अलग की ही देश को जरुरत है।

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  4. MR. VATS WHATEVER U WROTE DIDNT LEAVE ANY SPACE TO ENJOY DISCONNECTION-THANKS A LOT KEEP RESPONDING

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  5. I KNOW KEJRIWAL IS NOT CAPABLE ENOUGH TO BECOME CM AGAIN

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    1. YES SANJIV KUMAR JI - YOU ARE CORRECT - IN FACT KEJRIWAL IS CAPABLE ENOUGH TO BECOME PM .. AND MAY BE MODI SHALL NOT BE ABLE TO BECOME CM AGAIN ....

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    2. Dua ji if you are not interested-then just try to understand his execution capability-that is next to nil- he is a good organiser but doest not have good intentions to bring change and if he has-he is adapting the same corrupt methods as other political parties.
      he is deceptive and not trustworthy the only thing i can say in his favor is in competition no better person is visible

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    3. but i dont want to make the same mistake as we did in case of modi-thogh i voted both in 2014 to modi and in 2015 to kejriwal-and i am disappointed by both-YOU understan me only if you think impartially

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