Tuesday 4 October 2016

// आज महबूबा रो दी - कल मेहबूब भी रोएंगे ....//


देश की सबसे संस्कारित और देशप्रेमियों से कूट-कूट कर भरी होने का खोखला दम्भ भरने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साहब की केंद्र सरकार ये चिल्ला चिल्ला कर बोलती रही है कि "बुरहान वानी" आतंकवादी था और उसे हमारी बहादुर सेना ने मार गिराया .... हट अलग आने दे हवा ....

पर जब आज भाजपा की पार्टनर पीडीपी वाली बुआ महबूबा से दिल्ली के एक आधे अदने मंत्री कपिल मिश्रा ने ये सीधा सा सवाल पूछ लिया कि - " बुरहान वानी आतंकी था या नहीं ? " तो मालुम है क्या हुआ .... मेहबूबा रो दी ....

होता है ऐसा - होता रहता है .. जब जवाब मालुम होकर भी बताना संभव ना हो तो ऐसा ही होता है ....

इसलिए मुझे लगता है कि अब जब कई और ऐसे प्रश्न भी खड़े हो गए हैं जिनका जवाब तो कई लोगों को मालुम है पर बताना संभव नहीं - तो मुझे लगता है कि आगे कई मेहबूब भी रोएंगे ....

उनमें से एक सीधा सा सवाल तो मेरा भी है कि सर्वदलीय बैठक में 'आप' पार्टी को क्यूँ नहीं बुलाया ?? .. यदि 'आप' पार्टी की इतनी हैसियत नहीं थी तो फिर केजरीवाल के 'सर्जिकल स्ट्राइक' वाले बयान पर भाजपा द्वारा इतनी एहमियत देते हुए उसका प्रतिकार वो भी रविशंकर प्रसाद जैसे वरिष्ठ मंत्री के द्वारा एक विशेष पत्रकार वार्ता बुलाकर क्यों ?? .... क्या गैरज़िम्मेदार केजरीवाल के गैरज़िम्मेदाराना बयान पर ऐसी प्रतिक्रिया देना आवश्यक था ?? ....
और यदि था तो फिर उससे १० गुना ज्यादा ज़िम्मेदार कांग्रेसी संजय निरूपम के ढेर सारे बयानों पर अभी तक कोई वैसी ही प्रतिक्रिया क्यों नहीं जिसने तो सर्जिकल स्ट्राइक को "फर्जी" ही बता मारा ??

और बता दूं कि सवाल तो अब शुरू हुए हैं - और जवाब मालुम होते हुए भी दिए नहीं जा रहे हैं .. इसलिए ही तो मैनें कहा था कि आगे भी कई मेहबूब रोने वाले हैं .... नहीं क्या ??

और मेरी नसीहत .. राष्ट्रीय मुद्दों पर "एका" जरूरी है .. और सरकार को सभी ने अपना समर्थन देना चाहिए - और राजनीति नहीं करनी चाहिए .... पर सरकार ने सबका समर्थन लेना भी तो चाहिए - और कम से कम सरकार ने तो राजनीति कदापि नहीं करनी चाहिए .. और कम से कम प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को अपनी पार्टी भाजपा के केरल के मंच से ललकारने की घोर गलती तो नहीं करनी थी ना ?? .. और सेना के पराक्रम को मोदी का पराक्रम भी तो निरूपित नहीं करना था ना ?? .. मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री तो नहीं है ना - वो तो देश के प्रधानमंत्री हैं ना ?? ....

और यदि गलती करी है तो .... और नहीं भी करी है तो भी - फिर सबसे बातचीत कर लीजिये - बुला लीजिये केजरीवाल को अपने पास और राष्ट्रहित में उनसे सारी बात कर उन्हें अंदर की बात समझा दीजिये और उनसे सहयोग मांग ही लीजिये .... आखिर देश का ही तो मामला है ना .... आपका बड़प्पन भी रह जाएगा .... और लोग फिर ये प्रश्न भी नहीं पूछेंगे कि जब आप शरीफ से मिलने पाकिस्तान जा सकते हैं तो केजरीवाल को मिलने क्यों नहीं बुला सकते ?? .... समझे ?? ....

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