Thursday 8 December 2016

०८/१२/१६ /.. कुछ पढ़े लिखे से डकैती के लिए निकले .. और बड़े गोपनीय तरीके से एक जगह धावा भी बोल दिए .. पर कुछ भी कर पाते उसके पहले ही धरा गए .. .. लोगों ने गालियां निकाली तो पूरी बेशर्मी से हँसते रहे .. पूछा शर्म नहीं आती ?? .. बोले नहीं आती !! .. कोई अफ़सोस नहीं ?? .. किस बात का अफ़सोस ?? .. यानि जो किया सही किया ?? .. बिल्कुल सही किया - इरादे भी नेक थे - निर्णय भी सही था - बस "इम्प्लीमेंटेशन" में थोड़ी गड़बड़ी हो गई .. .. अभी और दिमाग चला रहे हैं .. ../ .. .. मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ


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