Wednesday 30 November 2016

/.. सीमा पर गोलियां चलती रहीं .. शहादत होती रहीं .. .. सत्तासीन उग्र दिखते रहे .. नकारा सिद्ध होते रहे .. .. प्रश्न उठाने वर्जित रहे .. श्रेय अर्जित होते रहे .. .. यूँ ही खून खौलते रहे .. दोषारोपण होते रहे .. .. हम आप गालियां खाते रहे .. जवान गोलियां खाते रहे .... जवान अब भी सीमा पर खड़े हैं .. हम आप लाइनों में खड़े हैं .. .. शाने बेचारों के पीछे पड़े हैं .. और साहेब हैं कि अब भी अड़े हैं ..../


/.. किसी भी मनोचिकित्सक अनुभवी प्रशासक या मानव संसाधन विशेषज्ञ से पूछ लें - सब एक मत से कहेंगे कि .. काम के बीच-बीच में अंतराल - वातावरण बदलाव - मनोरंजन - शरीर को आराम आवश्यक है - और मानसिक आराम भी अत्यावश्यक है .. .. पर मैं देख रहा हूँ इस निर्दयी देश ने अपने प्रधान सेवक और चौकीदार को लगातार काम करने के लिए मजबूर कर रखा है - और वो लगातार ३० माह से बिना किसी अवकाश के रोज़ १८-१८ घण्टे लोगों के काम लगा रहा है .. .. स्वाभाविक है मानसिक सन्तुलन तो बिगड़ना ही था - सो बिगड़ गया - जो नोटबंदी के निर्णय और क्रियान्वयन के तरीके से स्पष्ट हो जाता है .. .. इसलिए देशहित में मेरी देशवासियों से मानवीय आधार पर अपील - इस बेचारे 'सामान्य मानवी' की अब छुट्टी करो यार .. और किसी काबिल संतुलित मानस के व्यक्ति को बागडोर सौंप दो भाई .. देशहित में ..../


Tuesday 29 November 2016

/.. अभी-अभी दुखद समाचार आया है .. जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में आतंकियों ने सेना के परिवारों की २ महिलाओं और २ बच्चों और १२ जवानों सहित १६ को बंधक बना लिया था .. और उन सभी बंधकों को आतंकियों के चंगुल से बचा लिया गया .. पर मुठभेड़ में हमारे ७ जांबाज़ जवानों ने अपनी शहादत दे दी .. .. शायद इससे ज्यादा दुखद भी और "जांबाज़ी" की भी और दूसरी घटना नहीं हो सकती .. .. आज केवल श्रद्धांजलि !! रोते दिल से श्रद्धांजलि !! पूरी श्रद्धा के साथ श्रद्धांजलि !! .. क्योंकि इसके सिवाय और कुछ करना मेरे बस में नहीं .. पर जवाबदारों और जिम्मेदारों के अगले कदम का इंतज़ार जरूर रहेगा .. जय हिन्द !! ..../


/.. बस आज ऐसे ही याद आया कि कुछ दिन पहले ही साहेब ने कहा था - नोटबंदी का निर्णय कठिनाइयों से भरा था .. .. उस समय बात समझ नहीं आ रही थी कि कठिनाइयां वो भी खुद साहेब को ?? .. पर पूरी बात अब समझ आई जब जनता को भरपूर कठिनाइयों का सामना करते देख रहा हूँ .... वाकई नोटबंदी का निर्णय सिर्फ कठिनाइयों से ही तो भरा निकला .. .. और फिर मुझे ये भी याद आ गया कि २०१४ में मोदी के प्रधानमंत्री बनने का निर्णय भी तो कितनी कठिनाइयों से भरपूर था .. है ना ..../


/.. यार हद्द हो गई .. अब गधे सियार लोमड़ लंगूर बेशर्म बेअक्ल बेवकूफ सब इतरा कर बोल रहे हैं .. सरकार ने और छूट दी .. अब आप बैंकों में जो भी पैसा मान्य नोटों में जमा करवाओगे २४ हज़ार रु प्रति सप्ताह के अलावा वो भी निकाल सकोगे .. .. यानि यदि जमा कर निकालने या निकाल कर जमा कराने का शौक चर्रा जाए तो कोई भी अपनी सनक या शौक पूरा कर ले .. .. मेरी प्रतिक्रिया .. ये मोदी जी भी भक्तों के लिए विशेष नई-नई स्कीम लाते हैं - इसलिए मेरी भी नगद में कुछ और गालियां जमा कर निकाल देने की इच्छा हो आई तो निकाल दी .. कृपया बुरा नहीं मानें .. और जिन्हें बुरा लगा हो उन्हें सलाह .. जाओ लाइनों की शोभा बढाओ .. जमा करो और निकालो .. मोदी राज में ऐश करो .. और हो सके तो बाद में दिमाग में भी थोड़ा जमा खर्च कर लेना ..../


/.. हुर्रे हुर्रे नमो नमो !! .. .. अभी-अभी टीवी पर लंबे सूखे के बाद भक्तों के लिए संजीवनी जैसा समाचार आया है .. "मोदी ने बीजेपी के सांसदों और विधायकों से बैंक खातों का ब्यौरा माँगा" .. वैसे तो मेरा दिमाग कहता है कि मोदी भरोसे लायक नहीं .. पर फिर भी .. .. मैं दिल से चाहता हूँ कि काश मोदी कुछ सही करने का इरादा रखते हों - और बिना मूर्खतापूर्ण क्रियान्वयन के कुछ तो ऐसा कर जाएं जिसका वो आश्वासन देते आए थे - और नोटबंदी की लाइन में खड़े करोड़ों लोग बड़े ही धैर्य के साथ जिसकी आशा कायम रखे हुए थे .. और जिस कारण भक्त फिर से चहक सकें - हुर्रे हुर्रे नमो नमो !! ..../


// कुछ तो बदल रहा है .. बदलाव आ रहा है ....//


ट्रेन में मैनें कुछ यूँ कह दिया - मोदी राज में हालात देखो - टॉयलेट कितने गंदे पड़े हैं ....
एक भक्त मुसाफिर भड़क गया और बोला - कांग्रेस के समय साफ़ होते थे क्या ??   

फिर यूँ ही माहौल ठंडाने के लिए मैनें कहा, भाई इस साल सर्दी बहुत है .... 
भक्त फिर भड़क गया, और बोला- काँग्रेस के समय नहीं थी क्या ?? 

इतने में एक और मुसाफिर बोला - मोदी शाना निकला, अपना पैसा ठिकाने लगा नोटबंदी कर दी ....
भक्त फिर भड़क गया और बोला - तो क्या कांग्रेस में शानों की कमी थी क्या ??

एक अन्य मुसाफिर बोला .. सही कहते हो भक्त .. ना गंदगी साफ़ हुई - ना माहौल बदला - ना शानपत कम हुई .. .. कुछ भी तो नहीं बदला ....

और फिर सभी यात्री मुस्कुरा रहे थे - और भक्त भी ....

मुझे लगा - कुछ तो बदल रहा है - अब जाकर भक्तों में भी बदलाव आ रहा है  ..../

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Monday 28 November 2016

/.. अब फिर से साहेब का वित्त सेवक जेटली कालेधन को सफ़ेद करवाने के लिए नई ५०% वाली स्कीम ले आया जिसका बिल होहल्ले के बीच आज लोकसभा में पेश किया गया .. .. यानि बेवकूफों को लाइन में खड़े रहने दो - आप तो १०० % काला धन ठपके से अभी भी जमा कराओ - ५०% सरकार का ५०% आपका .. .. गौर फरमाएं कि अगर ये स्कीम नहीं लाते तो नोटबंदी के फलस्वरूप तो अंततः पूरा १००% सरकारी खाते में ही जाता .. इसलिए ऐसी स्कीम के पीछे धूर्तता और कुछ विशेष स्वार्थ तो स्पष्ट होते हैं .. .. मुझे लगता है कि इसके कुछ सुस्त रिश्तेदार कालाधन सफ़ेद करने से चूक गए होंगे और इसलिए इसे पीड़ा हुई होगी - अन्यथा किसी गरीब के लिए कोई स्कीम इसके दिमाग में घुस जाए इसकी खुपड़िया इतनी बड़ी भी नहीं .. .. बल्कि मुझे तो लगता है कि जब यमराज इसको लेने आएगा तो ये उससे भी कुछ ऐसा ही कहेगा .. यार सारा यहां छूट जाएगा तो सब बोठ हो जाएगा - ना मेरे काम आएगा ना तेरे - चल पूरा ले चलते हैं - ५०% तेरा - ५०% मेरा .. .. यानि ये मरते दम तक भी सुधर जाएगा लगता नहीं ..../


/.. भक्तों बताओ तो .. ये कौन कौन बेवकूफ थे जो "भारत बंद" की बात कर रहे थे ?? .. बता भी दो यार .. अब शर्म कैसी ?? .. .. कल के भाषण तो सुने ही होंगे ना .. साहब भी तो कुछ-कुछ बोले थे .. क्या बोले थे ?? .. क्यों बोले थे ?? .. अफवाहों का बाजार गर्म क्यों ?? .. गरीब परेशान क्यों ?? .. अमीर मस्त क्यों ?? .. धंधे चौपट क्यों ?? .. लाइनें लम्बी क्यों ?? .. नोटों का टोटा क्यों ?? .. संसद ठप्प क्यों ?? .. भारत बंद सा क्यों ?? ..../


/.. मैं कहता नहीं था .. दिल्ली पुलिस दुनिया की सबसे बेकार पुलिस है .. अब देखिये ना .. पकड़ लिया ना पंजाब की नाभा जेल से भागे मिंटू आतंकी को .. अब करते रहो केस तारीख पेशी .. रखो इसे जेल में - खिलाओ रोटियां .. .. इन्होंने भोपाली पुलिस तक से कुछ नहीं सीखा जिसने ८ का एनकाउंटर किया था .. ये तो एक को नहीं निपटा पाए .. छि: !! .. लगता है राजनाथ सिंह को अब दिल्ली पुलिस के बारे में गंभीरता से सोचना पड़ेगा .. .. मेरा सुझाव है दिल्ली पुलिस को केजरीवाल के हवाले कर दो .. साहेब की कसम एनकाउंटरों की भरमार ना लगा दे तो शिकायत करना .. .. वैसे ऐसा ना भी करो तो ठीक है - थोड़ा इंतज़ार भर कर लो - केजरीवाल के पंजाब जीतने के बाद यही पंजाब पुलिस क्या करती है वो भी देखना सुकून भरा हो सकता है .. .. दे !! दे !! दे !! .. .. हा !! हा !! हा !! ..../


/.. विश्व में ऐसी लोकतान्त्रिक सरकार कहीं नहीं होगी - जो राजाओं और तानाशाहों को भी लजा दे - लोकतंत्र के मायनों की धज्जियाँ उड़ा दे .. क्यों ?? .. क्योंकि साहेब और भक्त कहते हैं .. हमारी नीतियों पर कुछ ना बोलें - हमारी नीयत पर तो प्रश्न खड़े करना ही नहीं - हमारे गुंडों और दागियों पर लांछन नहीं लगाएं - हमारे नेताओं के चरित्र और ठाठ-बाठ पर कोई कटाक्ष ना हो - हमारे चंदों के बारे में कोई ना पूछे - हमारे कालेधन पर कोई बात ना हो - हमारे खर्चों पर कोई जलन ना हो - हमारे दोस्तों पर कोई आँच ना हो - और सावधान !! .. हमारे पर कोई केस ना हो .. हमारे कुकृत्यों पर कोई बात भी ना हो .... और अब तो हद्द हो गई !! .. खबरदार !! .. हमारा कोई विरोध तक ना हो - विपक्ष भी हमारा सहयोग करे - और जनता चूं-चपड़ भी ना करे .. क्यों ?? .. क्योंकि .. ७० साल में जो कुछ हुआ सब बेकार .. जो हमने किया बस वही कारगार .... और मैं सोच रहा हूँ कि ये मक्कार झकोरों का समूह है या सरकार ?? ..../


Sunday 27 November 2016

// अरे बेवकूफों अब तुम्ही बताओ कि तुम्हारी बेवकूफियों का विरोध कैसे किया जाए ?? ..//


स्पष्ट कर दूं कि मैं भारत बंद के आह्वाहन के पक्ष में नहीं .. क्योंकि भारत तो वैसे ही नोटबंदी के कारण बंद ही तो चल रहा है .. तो बंद को बंद कराने का क्या औचित्य .. मरे को मारने में क्या बहादुरी .. और समझे को समझाने में क्या समझदारी .. समझदारी तो बेवकूफों को समझाने में है .. पर बेवकूफों को समझाने के लिए यदि एक बार फिर गरीब की दिहाड़ी या रोज़ी-रोटी पर आघात हो तो अच्छी बात नहीं .. बेहतर होगा भारत बंद की बजाय हम बेवकूफों की बेवकूफियां बंद कराने के समझदारी वाले अन्य तरीके खोजें और अपनाएं .. ..

पर फिर मैं सोचता रहा कि बेवकूफों की बेवकूफियों का विरोध करने के लिए "बंद" के अलावा बेहतर तरीका और क्या हो सकता था ?? .. और मुझे कुछ सूझा नहीं .. बल्कि उल्टे समझ आया कि विरोध दर्ज कराने का यही वो पुराना तरीका है जिसे पक्ष विपक्ष समझदार बेवकूफ सालों से अपनाते आ रहे हैं .. .. वो भी न्यायालयों की कई बार लताड़ के बावजूद ....

इसलिए आज मेरा पलटवार भी .. अरे बेवकूफों अब तुम्ही बताओ कि तुम्हारी बेवकूफियों का विरोध कैसे किया जाए ?? ....

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/.. एक भक्त गरीब भी था - ईमानदार भी .. एटीएम की लाइन में लगता था .. लाइन में लगे-लगे गुजर गया .. .. शवयात्रा में तुक्केबाजी हो रही थी .. .. हार्टफेल हुआ होगा .. उसे डाइबिटीज़ हो गई थी .. नहीं उसका बीपी बहुत हाई रहता था .. कोई बता रहा था लंग्स में कैंसर था .. अब उसकी उम्र भी हो चली थी ५६ बसंत देख चुका था .. उसका कज़िन बता रहा था किडनी में स्टोन हो गए थे .. मैंने सुना है उसे मिर्गी की बीमारी थी .. पडोसी बता रहा था डॉक्टर ने पहले ही कह दिया था ये ज्यादा ज़िंदा नहीं रहेगा .. उसे बुखार था पर वो हमेशा लापरवाही करता था .. डॉक्टर ने उसे बाईपास के लिए कहा था लेकिन फिर क्या हुआ मालुम नहीं .. .. तभी एक लड़के ने कहा .. बीमारी तो उन्हें कोई नहीं थी .. बस भूखे प्यासे लंबे समय से एटीएम की लाइन में खड़े थे - टेंशन में आ गए थे .. .. और लोग उस लड़के को घूर रहे थे - जैसे वो देशद्रोही हो ..../


/.. पंजाब के नाभा जेल पर १० हथियारबंद आतंकियों ने हमला कर दिया और ६ कैदियों को भगा ले गए .. .. फिर पंजाब की होशियार बहादुर सतर्क पुलिस आ ही गई "हरकत" में .. और किसी अपराधी की शंका मात्र में एक मारुती स्विफ्ट कार पर कर दी गई फायरिंग .. और एक "और मासूम" निर्दोष लड़की मारी गई .. .. मैंने एक "और मासूम" इस लिए लिखा कि कालेधन की शंका में भी अब तक कई दर्जनों मासूम निर्दोष लोग मारे गए हैं .. और संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं .. उस संविधान की जो कहता था कि भले ही १०० गुनहगार छूट जाएं १ भी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए .. .. मेरी ईश्वर से प्रार्थना .. सभी निर्दोष देशवासियों को जेल से भागे हथियारबंद कुख्यात अपराधियों से कुख्यात पुलिस से और कुख्यात सरकार से सुरक्षित बचा लेना प्रभु !! ..../


/.. मेरा दावा है कि जिस दिन मोदी जी ने यह कह दिया कि - वो बिना कालेधन के ही चुनाव जीत प्रधानमंत्री बने थे - बस उस दिन से ही भक्त तत्काल प्रभाव से मान लेंगे कि फेंकू बहुत फांकता है .. .. .. और जब तक मोदी जी यह नहीं कह देते कि - वो बिना कालेधन के ही चुनाव जीत प्रधानमंत्री बने थे - मैं यह मानने के लिए तैयार नहीं कि फेंकू फांकता नहीं .... आपकी राय ?? ..../


/.. मोदी जी ने मन की बात में भी मनमानी कर ली .. नोटबंदी के लुभावने पक्ष को बखूबी परोस दिया .. और भयावह पक्ष को मन में ही दबा गए .. यहां तक कि लाइनों में खड़े लोगों की मृत्यु तक पर एक शब्द नहीं .. .. इसलिए मेरा मन तो कहता है मुझे मेरा दिमाग मुबारक .. जिसके पास दिमाग ना हो उसे मोदी का मन मुबारक ..../


/.. मेरे भी प्यारे १२५ करोड़ देशवासियों !! .. ये नोटबंदी सही होती है या गलत पहले इस उलझन से बाहर आ जाएं .. और अब कृपया आंकलन शुरू करें कि - नोटबंदी के परिणाम कैसे रहे ?? .. और फिर मनन कर निर्णय पर पहुंचें कि - क्या नोटबंदी का निर्णय सफल रहा या असफल ?? .. .. और जब ये प्रक्रिया पूरी हो जाए तो फिर केजरीवाल को या फिर मोदी को बुरा भला जो उचित लगे कह लेना .. .. तो क्या इसका मतलब ये कि नोटबंदी पर अभी मौन साध लिया जाए ?? .. अरे जनाब ऐसी गलती मत करना .. यदि आपको नोटबंदी से अब तक कोई ठोस अच्छे परिणाम दिख गए हों तो देशहित में अपने सेवक की सेवा में अर्पित हो जाएं .. पर यदि आपको अब तक परिणाम भयावह लगे हों तो जमकर लताड़ें .. अन्यथा नोटबंदी के असफल होते हुए भी नोटबंदी करने वाला सफल हो जाएगा .. और देश का अहित .. .. और हाँ यदि अभी तक कुछ संपट नहीं बैठी हो तो चुपचाप लगे रहें लाइन में .. आप सही जगह खड़े हैं ..../


Saturday 26 November 2016

/.. ईमानदारी से कहूँ तो नोटबंदी से तो मज़ा नहीं आया .. क्योंकि ईमानदार गरीब की मट्टी पलीत हो गई - ईमानदार मध्यमवर्ग भी नाहक परेशान ही हुआ - बेईमान अमीर का अभी तक कुछ पता नहीं चला - और कालाधन किस-किस का निकल ठिकाने लग चुका - या किसका नहीं निकल पाएगा - या आपाधापी में किस के पास उलटे जुड़ गया - ये भी तो पता नहीं चला .. .. .. खैर जैसा कि मोदी जी ने बताया था .. अब तो अगली सर्जिकल स्ट्राइक का इंतज़ार है .. .. पर यदि उसमें भी कुटाई ईमानदार गरीब की ही होनी है तो मोदी जी जरा रुक कर .. थोड़ी सांस लेने देना .. और यदि बेईमान पर भी होनी है तो ७२ घंटे से ज्यादा तो हो चुके हैं आपको बोले - तो फिर तो तैयारी भी हो ही चुकी होगी .. तो अब क्या ?? .. ठीक है इस बार भक्तों को समझा देना कि 'मोदी मोदी मोदी' कम से कम थोड़ा परिणाम देख समझ कर ही बोलें .. क्या है अब आपकी नहीं तो क्या आखिर उनकी रेपुटेशन का भी तो सवाल है .. है ना ?? ..../


/.. आज मोदी का आधा कार्यकाल निरंक कार्यकला के बल पूरा हुआ .. यानि कार्य निरंक - कला ही कला .. .. समझ नहीं आता कि ईश्वर का धन्यवाद करुँ या अपना माथा ठोकूं .. क्योंकि कभी लगता है कि चलो आधा तो जैसे तैसे कटा - और कभी लगता है - हे प्रभु अभी भी आधा बचा है !! .. .. .. खैर आधा कट गया .. और आधा भी ऐसे ही कटेगा असंभव .. और बचा आधा तो अब तब कटेगा जब .. कार्य ही कार्य होंगे बिना किसी कलाकारी के .. अन्यथा पत्ता कब कट जाएगा भरोसा रखें पता भी नहीं चलेगा .. .. .. लेकिन कलाकार मोदी के कार्यकाल में काम ?? .. क्यों हंसी ठट्टा लगाए हो जनाब .. अब तो लगता है भक्तों ने भी उम्मीदें छोड़ दी हैं .. वर्ना ढाई साल पूरा होने के उपलक्ष में करोड़ों के काले-सफ़ेद सलेटी धन से छोटा मोटा जश्न तक नहीं ?? .. .. समझे साहेब ?? .. जश्न भी नहीं !! .. हा !! हा !! हा !! ..../


//.. क्या कालाधन जमा करा सफ़ेद कराने वाले हरामखोरों के नाम सार्वजानिक होंगे ?? ..//


पहले कहा था जिसका १ करोड़ रु. का कालाधन पकड़ा जाएगा उसे ३० लाख का टैक्स लगेगा ६० लाख की पेनल्टी - बाकी १० लाख होगा उसका - और और और - १ से ७ साल की जेल भी हो सकती है ....

उफ्फ!! इतना कठोर नियम - इतना अन्याय - नहीं नहीं नहीं !! .. .. इसलिए अब कह रहे हैं कि जो १ करोड़ रु. का स्वघोषित कालाधन जमा कराएगा उसे ५० लाख टैक्स लगेगा - बाकी ५० लाख उसका होगा - पर उस ५० लाख में से २५ लाख वो ४ साल तक निकाल नहीं सकेगा - लेकिन लेकिन लेकिन - कोई जेल वेल नहीं जी - ऐसे अपनेवाले सगे भक्तों को जेल की फ़ोकट परेशानी क्यों ?? .. २५ लाख लो और ऐश करो और २५ का ५० का १०० का २०० फिर कर लेना - सरकार आपको फिर सहयोग करेगी ....

बाकी परेशान और दोहन करने के लिए गरीब हैं ना !! .. जो बेचारे अपने हक़ हलाल के मात्र सैंकड़ों और हज़ारों के लिए लाइनों में खप मर रहे हैं - और तमाम अफवाहों और आशाओं के साथ इन्हें दुआएं दे रहे हैं कि - वाह सितम भी हुए तो बस इतने से .. देशहित में सह लेंगे !! ....

और मैं सोच रहा हूँ कि धूर्तता की इतनी शानदार स्कीमें इनके दिमाग में घुसाता कौन होगा ?? .. या कहीं ये खुद साहेब की 'डेढ़ अकल' तो नहीं ?? ....

और क्या लाइन में खड़े लोगों को कभी ये बताया जाएगा कि उनके सभ्य समाज में उनका ही शोषण करने वाले वो कौन हरामखोर थे जिन्होंने ठपके से बिना लाइन में लगे अपना कालाधन जमा करा सफ़ेद करवा लिया ?? .. कहीं उन हरामखोरों में वो नेता और उनके चंगू मंगू भक्त आदि भी तो नहीं जो उनकी रहनुमाई करते हुए देश और जन सेवा का दावा करते रहे - और नित नई स्कीमें लॉन्च करते रहे - सबकी आखों में धूल झोंकते रहे ?? ....

मित्रो यदि कालाधन जमा कर उसे सफ़ेद कर लेने वाले उस प्रत्येक हरामखोर का नाम सार्वजनिक हो प्रचारित और प्रसारित भी होना अनिवार्य हो तो फिर तो मैं इस नई स्कीम तक को समर्थन दे सकता हूँ - अन्यथा तो शब्दकोष में हरामखोर के अलावा उर्दू संस्कृत फ़ारसी के कुछ नए-नए शब्द खोजने पड़ेंगे - ऐसा ही लगता है ....//

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Friday 25 November 2016

/.. साहेब कह रहे हैं पूरा विपक्ष इसलिए हैरान परेशान है कि उन्हें सम्हलने का मौका ही नहीं मिला .. यदि उन्हें ७२ घंटे भी मिल जाते तो वो पूरा कालाधन ठिकाने लगा देते .. .. मेरी प्रतिक्रिया .. .. सही कहा .. विपक्ष में ये क़ाबलियत तो है - और उन्हें मौका नहीं दे आपने सही किया - जिसके लिए आपको बधाई और धन्यवाद .. .. पर क्या भाजपाइयों में ये क़ाबलियत भी नहीं ?? .. उन्हें तो ७२ दिन पहले से मालूम था पर फिर भी कालाधन सही तरह से ठिकाने नहीं लगा पाए ना ?? .. क्योंकि ठिकाने लगाने के आरोप लगे हैं - कुछ सबूत भी सामने आने लगे हैं .. और भाजपा जवाब देने की बजाय हमेशा की तरह भागते हुए गाली गलौज पर आ गई है !! .. .. खैर अब कोई यह बेवकूफी की बात मत कर देना कि भाजपा और भाजपाइयों के पास तो कालाधन था ही नहीं .. .. इसलिए ठिकाने लगा दिए तो टुच्चे - और सही तरीके से नहीं लगा पाए तो गेले .. निर्णय भक्तों पर छोड़ते हैं ..../


/.. अब नई पोल खुली .. नए नोटों की छपाई में भी कई घोर चिंताजनक आपत्तिजनक खामियां .. और समाचारों के अनुसार आरबीआई ने अपनी इस गलती को स्वीकार कर लिया है .. .. मेरी प्रतिक्रिया .. .. हमारा आरबीआई एक ऐसी उत्कृष्ट संस्था है जिसकी अपनी एक साख रही है .. और इसलिए नोटबंदी की आपाधापी में नोट छापने में हुई गलतियों को उसने तत्काल स्वीकार कर लिया है .. .. .. काश हमारे प्रधानमंत्री की भी कुछ साख होती और वो नोटबंदी पर हो रही या करवाई जा रही या होने दी जा रही आपाधापी पर अपनी गलती स्वीकार कर लेते ..../


/.. सावधान !! .. जो लोग आदरणीय डॉ मनमोहन सिंह को राज्यसभा में बोलने के बाद उनका उपहास करते हुए उन्हें "गूंगा" कह रहे हैं - ये वे "अक्ल के दिव्यांग" हैं जिन्हें यकीनन ये नहीं मालुम होगा कि आखिर मनमोहन सिंह ने बोला क्या ?? .. .. ऐसे दिव्यांगों को मेरी चेतावनी !! .. कृपया सचेत रहें .. जिन्होंने यह भी सुना समझा है कि मनमोहन सिंह जी ने बोला क्या है वो यह समझ चुके हैं कि - साहेब बहुत बोलते हैं भाई - बहुत ही बोलते हैं - पर सुनते किसी की नहीं .. .. और जो सुनते नहीं उन्हें "बहरा" कहा जाता है .. .. और मेरा विश्वास है कि "गूंगा" बिना बोले भी बहुत कुछ सार्थक कर गुजरने की क्षमता रखता है .. पर "बहरा" बिना कुछ सुने समझे हमेशा अनर्थ पटकने की संभावना को ढोते रहता है .... इसलिए "अक्ल के दिव्यांगों" को मेरी सलाह .. "गूंगे" की सुनो .. और "बहरे" को सुना दो कि - दिन फिरते देर लगे जरूरी नहीं .. कभी-कभी तो घंटो में ही दिन फिर जाते हैं ..../


/.. नोटबंदी से हर व्यक्ति परेशान ही हुआ है .. पर हर व्यक्ति इस बात से भी हैरान परेशान है कि फिर हर व्यक्ति क्यों कह रहा है कि नोटबंदी सही है .. .. मेरी विवेचना .. .. क्या कोई धर्म या धार्मिक व्यक्ति या धर्म का ठेकेदार या आस्तिक या नास्तिक कभी ये कहता है कि चोरी करना अच्छी बात है ?? .... नहीं ना !! .. चोर हो या साहूकार कभी ये नहीं कहेगा कि चोरी करना अच्छा है .. .. तो बस समझ लीजिये कि इसी तरह कालेधन से फायदा कूटने वाला या नुक्सान झेलने वाला हर व्यक्ति चाहे वो गरीब हो या अमीर यही कहेगा कि "नोटबंदी" सही है .. क्योंकि यदि "नोटबंदी" कालेधन का तोड़ है तो सही है ही .. अब रही नोटबंदी से नाहक परेशानी की बात तो जान लीजिये कि - कोई भी चोर या कालेधन से फायदा कूटने वाला शातिर इस विषयक बात नहीं करेगा .. वो भागता फिरेगा .. अपने प्रधान सेवक चौकीदार की तरह ..../


Thursday 24 November 2016

/.. तो अब बताओ "भगोड़ा" कौन ?? .. .. .. और तय करो कि ये भाग क्यूँ रहा है .. भाग के जाएगा कहाँ ?? .. और इसे भगा कौन रहा है ?? .. आखिर माजरा क्या है ?? .. .. .. माजरा ये है जनाब कि वो दिल्ली में जमकर बैठा मफलर टोपी झाड़ू वाला अब इसके पीछे पड़ा है .. .. .. और इसलिए ये भाग रहा है .. और मुझे लगता है ये भाग खड़ा भी होगा .. .. .. आमीन !! ..../


/.. मोदी जी के विपरीत अत्यंत सौम्य गंभीर सुशिक्षित निपुण ज्ञानी आदरणीय और पारंगत अर्थशास्त्री भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने तो आज राज्यसभा में बोलते हुए नोटबंदी के क्रियान्वयन को घोर कुप्रबंध से ग्रसित संगठित लूट करार दे दिया है .. .. .. तो भक्तों क्या इतनी शर्म भी नहीं बची कि उन्हें भी देशद्रोही कहो .. या अब इतना तो कह ही दो कि आज सिद्ध हो गया कि मनमोहन सिंह के पास पूर्व के घोटालों के करोड़ों रूपए ५००-१००० के नोटों में पड़े होंगे - इसलिए वे बौखला रहे हैं .. .. कह दो यार कहने में क्या जाता है .. अब तुम्हारी इज़्ज़त भी कितनी बची है जो संकुचित होने की आवश्यकत पड़े .. खुल के बोलो बिंदास बोलो छूट बोलो .. और बोलते रहो .. .. अच्छा लगता है ..../


/.. लगता है हमारे बेचारे देशवासियों को पहले सामने खड़ी बाधा रुपी ऊँची दीवार का एहसास कराया गया .. फिर दीवार दिखा दी गई .. फिर टूटी फूटी तिकड़मी सीढ़ी लगा दी गई .. फिर कहा गया .. तुम्हें ये बाधा पार करनी ही पड़ेगी - और कोई विकल्प नहीं .. चढ़ जाओ सीढ़ी .. .. बेचारे देशवासी चढ़ते गए चढ़ते गए .. दीवार के ऊपर पहुंच गए .. अब कह रहे हैं कूद जाओ .. और कुदाई जारी है .. .. अब गिरते पड़ते मरते सबको भगाया जाएगा .. और फिर पीछे से दाग दिया जाएगा .. .. .. मुझे पूरा दृश्य 'भोपाली एनकाउंटर' के समानांतर ही दिख रहा है .. बस अंतर इतना सा है - तब हताहत आतंक के आरोपी हुए थे .. अब हताहत और हलाकान आतंकित देशवासी हो रहे हैं .. .. .. वो भी आतंक का एक चेहरा था - ये भी तो आतंक का ही एक नया चेहरा लगता है - शायद उससे भी भयावह ..../


Wednesday 23 November 2016

/.. मेरा यकीन मानें .. मोदी जी के चेहरे पर लिखा गया है - और भक्तों के पूरे शरीर पर गुदा गया है कि - नोटबंदी का कदम सिर्फ फुस्स्स ही नहीं बेकार ही नहीं घातक और फ़ोकट परेशान करने वाला 'मोदिया' सिद्ध हो गया है .. .. .. और मुझे लगता है इसे आंशिक या पूर्ण रूप से परोक्ष अपरोक्ष रूप से वापस लेना पड़ सकता है .. पर ऐसा करते 'मोदिया' स्टाइल में ठीकरा भी किसी ना किसी के सर फोड़ा जाएगा .. .. अभी मुझे २-३ सर तो दिख रहे हैं जिस पर ठीकरा फोड़ा जाना संभावित है .. पहला अर्थक्रांति वाले बेचारे अनिल बोकिल साहब .. दूसरा दोस्त के रिश्तेदार उर्जित पटेल .. या फिर नाकाम कोशिश दुश्मन नंबर १ केजरीवाल पर भी हो सकती है .. .. .. अतः सभी को चेतावनी !! .. हेलमेट पहन के घूमें नहीं तो कब कहाँ ठीकरा फूटेगा कह नहीं सकते .. समझे ..../


/.. क्या आपको "शहीद" की आधिकारिक परिभाषा मालुम है ?? .. नहीं ना !! .. पर शहीद का मतलब तो अच्छे से मालुम होगा .. .. .. तो क्या आपको भक्त की परिभाषा मालुम है ?? .. मालुम है ना !! .. पर भक्त का असल व्यवहारिक मतलब शायद नहीं मालुम होगा .. .. .. तो मैं बता देता हूँ .. .. भक्त मतलब जो मोदी पर शहीद हो जाने को तैयार दिखे और आज की तारीख में "नोटबंदी" बोलने पर भाग खड़ा हो ..../


/.. सीमा पर जवान शहीद होते ही रहे .. यकीनन हर शहादत के बदले में मुंहतोड़ जवाब की दरकार है .. .. सीमा के अंदर साहेब ने नोटबंदी की लाइन लगवा दी .. लाइन में भी निर्दोष नागरिक खपते मरते ही रहे .. .. क्या हर मौत पर मुंहतोड़ जवाब की दरकार नहीं ?? .. क्या कोई राष्ट्रवाद की अपनी ही संकुचित परिभाषा गढ़ के किसी भी मौत पर मुंहतोड़ जवाब के बदले अपना मुंह मोड़ सकता है ?? .. और क्या हमने मुंहतोड़ जवाब दे दिया था ?? .. और क्या कोई अपना मुंह नहीं मोड़ रहा ?? .. और क्या सेना के हर जवान की शहादत पर यदि हर नागरिक का सर झुकता है तो क्या हर निर्दोष नागरिक की दुःखद मृत्यु पर भी हर नागरिक का सर नहीं झुकना चाहिए ?? .. क्या टीवी बहस में हमारे पूर्व सैनिकों ने जवान-जवान ही बोलने की कसम खाई है - क्या कुछ अतिरिक्त शब्द निर्दोष नागरिकों के लिए निकालने में भी अतिरिक्त शौर्य की आवश्यकत होगी ?? .. और क्या निर्दोष मृत नागरिक को दुखी होकर भावावेश में शहीद कह देना गुनाह माना जाएगा ?? .. तो क्या भारत सरकार "शहीद" की परिभाषा प्रस्तुत करने के लिए तैयार है ?? ..../


Tuesday 22 November 2016

/.. अरे यार !! .. अबे यार !! .. .. ये देश की राजनीति में सास बहू टाइप रोने-धोने वाला ससुरों का नया सीरियल क्यों चालू हो गया मेरे भाई ??.. या फिर ये कहीं रियलिटी शो तो नहीं ?? ..../


/.. मोदी जी ने अब देश से नोटबंदी पर राय मांगी है .. मेरी प्रत्येक देशवासी से अपील है कि अपनी राय मोदी जी के और नोटबंदी के पक्ष में ही दें .. इस के दीर्घकालिक अच्छे परिणाम निकलेंगे .. अन्यथा हो सकता है आपकी राय का बहाना बना मोदी जी नोटबंदी निरस्त कर बच निकलें .. और देश फिर किसी अन्य तुगलकी फरमान को झेलने के लिए अभिशप्त बना रहे ..../


/.. नोटबंदी का श्रेय केवल मोदी जी को !! .. इस पर इतराए इतराए मोदी जी जापान से इस विषयक बकवास करते हैं .. फिर गोवा से बयानबाज़ी फिर गाज़ीपुर से भी बयानबाज़ी करते हैं .. .. .. पर इस अभूतपूर्व प्रभावकारी राष्ट्रीय जनहित के मुद्दे पर एक सांसद होकर और प्रधानमंत्री होकर भी अब घबराए घबराए सदन में घुसने तक से बचते नज़र आ रहे हैं .... शायद सही कर रहे हैं .. वो देशहित में नोटबंदी की ये लड़ाई भले ही हार जाएं - पर "मोदी" के नाम पर किसी भी प्रकार का बट्टा लगते नहीं देखना चाहते .... क्योंकि "मोदी" के खत्म होते ही बहुत कुछ ख़त्म हो जाएगा .... आमीन !! ..../


// मोदी जी पलटना नहीं .. बस आगे बढ़ो .. बढ़ते चलो .. और अब बढ़ ही लो ..../


मोदी जी "जिओ" .. आपने नोटबंदी कर दी .. एक झटके में .. अभूतपूर्व साहसिक कदम .. यानि अब तक का सबसे साहसिक कदम .. दुस्साहस से कूट-कूट कर भरा साहसिक कदम .. सब सन्न .. सन्न ही नहीं सनन सनन .. बहुत अच्छा किया - गजब किया .. पूरा देश आपके साथ .. आपके भक्त सभी अभिभूत .. यानि अभी भूत जैसे छाए .. सभी का मानना है कि आपके इस साहसिक कदम से देश का भाग्य बदल जाएगा .. पूरा देश सुखी हो जाएगा .... और इसलिए आपके इस नोटबंदी के निर्णय में पूरा देश आपके साथ खड़ा रहा .. और मैं भी खड़ा ही रहा ....

पर अब एक शर्त - एक प्रार्थना - एक सुझाव - और वो सौ बात की एक बात है कि .. .. 

मोदी जी आगे बढ़ो - बढ़ते चलो .. ये विपक्ष के सभी लोग तुम्हें गालियां देंगे - सहन कर लेना .. कई लोग तुम्हें फ़ोकट ज्ञान देंगे - ध्यान ही मत देना .. कई लोग तुम्हें ना ना प्रकार के सुझाव देंगे - सुनना ही मत .. बस तुम तो दृढ़निश्चित हो ढीठ हो अड़ियल हो जरा भी डिगने की सोचना भी मत .. थूक के कहीं चाट ना लेना .. पलटी मत मार देना .. पलटी तो क्या पीछे पलट कर भी मत देखना - अच्छे परिणामों के संकल्प के साथ दुष्परिणामों पर गौर तक मत करना .. बस पूरे साहस के साथ आगे बढ़ते रहना .. बढ़ते ही रहना .. और फिर बढ़ ही लेना .. ..

फिर भले ही निकल लेना किसी पतली गली से .. पर पीछे मत हटना .. पलट कर अपना मुंह भी मत दिखाना .. अब पूरा देश तुम्हारे पीछे खड़ा है .. पीछे पड़ा है .. मैं भी तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ .. अब बेहतर तुम तो इस्तीफ़ा दे ही देना .. बोले तो मर मिटना - शहादत दे देना .. देशहित में .... आमीन !!

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Monday 21 November 2016

/.. इंदौर-पटना रेल दुर्घटना में घायलों को रेलवे ने पुराने ५००-१००० के नोटों में मुआवज़ा बाँट दिया .... तो अब मेरा निष्कर्ष अच्छे से समझ लीजियेगा कि .. .. .. रेल प्रभु भरोसे - देश अल्लाह भरोसे - मोदी भक्त भरोसे ..../


/.. नोटबंदी भी "सर्जिकल स्ट्राइक" ?? .. और नोटबंदी से हर देशवासी भी प्रभावित ?? .... मासूम से भक्तो !! एक ज्ञान की गूढ़ बात ध्यान से समझने की पूरी कोशिश करना .. .. .. नोटबंदी "सर्जिकल स्ट्राइक" नहीं है .. इसे हिंदी में "धूल में लट्ठ चलाना कहते हैं" .. .. .. क्या है कि सुना तो होगा ना - अंग्रेज चले गए औलाद छोड़ गए .. ये कुछ वही अधपढ़े लोग हैं जोे तुम्हें भी लाइन में लगा "सर्जिकल स्ट्राइक" के नाम पर "डौंकी" बना रहे हैं .. समझे ?? ..../


Sunday 20 November 2016

/.. जिस देश में विश्व के सबसे विस्फोटक नेता को अपने गरीब पिछड़े शोषित वंचित अशिक्षित लोगों को इतनी सामान्य सी केवल एक बात समझाने में ढाई साल लग गए कि शौच शौचालय में करनी चाहिए .. समझ में नहीं आता कि किस बेवकूफ की बची-खुची टेढ़ी अकल चल निकली कि वही लोग शौचालय में बैठे-बैठे हल्के होते ही पूरा ई-अर्थतंत्र बस यूँ ही समझ जाएंगे ?? .... शौचालय ना हुआ सोचालय हो गया !! ..../


/.. मितरोंssss !! .. ५० दिन की जिंदगी है .. जीना मरना लगा हुआ है .. .. .. पहले "जिओ" ले आया था .. अब "मरो" ..../


/.. अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी यदि आज मोदी का गुलाबी नोट देख लेते तो हाथ में पकड़ी लाठी अब तक भांज दिए होते .. खुद सूट पहन लेते और .. और मोदी करमचंद जैसे दिख रहे होते .. .. और ना जाने क्या-क्या .. .. .. कभी कभी हिंसा की कल्पना भी सीमित करनी पड़ती है भाई ..../


/.. सोनम गुप्ता बेवफा क्यों ?? ... बाग़ों में बहार है ?? ... बाहुबली ने कटप्पा को क्यों मारा ?? .... भक्तों के लिए स्वर्णिम अवसर .. उपरोक्त ३ सरल प्रश्नों में से किन्ही भी २ प्रश्नों का उत्तर दें .. या फिर केवल १ कठिन प्रश्न का उत्तर दे दें कि .... मोदी २००० का नोट क्यों ले आए ?? ?? ?? .. .. .. सही उत्तर देने वाले प्रत्येक भक्त को मेरी तरफ से बैंक की लाइन में खड़े हो राष्ट्रहित में अपना योगदान प्रदर्शित करने का सौभाग्य प्राप्त करने का १ स्वर्णिम मौका दिया जाएगा ..../


Saturday 19 November 2016

/.. नोटबंदी के पक्ष में पटर-पटर किए गए दावों पर ज़रा गौर फरमाइए .... नोटबंदी से आतंकवाद उग्रवाद नक्सलवाद में कमी आएगी - गरीब और अमीर के बीच की खाई कम होगी - देश में से कालाधन ख़त्म हो जाएगा - देश की सभी विपक्षी पार्टियां कालेधन के अभाव में आगामी सभी चुनाव हार जाएंगी - देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो जाएगी - एवं नोटबंदी का सबसे ज्यादा फायदा गरीब मजदूर किसान मध्यवर्ग का होगा .... और इसलिए मैं सोच रहा था कि इतना छोटा सा एक कदम किसी भी बेवकूफ ने पिछले ६० साल में क्यों नहीं ले लिया ?? .. और ये कदम मोदी जी के द्वारा ही क्यों लिया गया ?? .. शायद प्रश्न में जवाब भी कालेधन जैसा ही छुपा है .. सोचियेगा तो जान जाइयेगा .. धन्यवाद !! ..../


// कुछ-कुछ बदलेगा - कुछ बदला ना जाएगा .. बदलाव तो पंजाब चुनाव के बाद आएगा ..//


साहेब ने रोते चिल्लाते बिलखते ५० दिन मांगे थे .. देश को देने ही थे सो छोड़ दिए थे - उन्होंने लेने ही थे सो झपट लिए थे .. और अब तक उन ५० में से १० दिन बीत गए हैं .. यानि बचे ४० दिन .. तो क्या ४० दिन बाद सब कुछ बदल जाएगा - या बदला जाएगा ?? .. .. ..

मुझे लगता है कि नोटों की किल्लत तब तक खत्म हो चुकने में होगी .. परेशान ज़िन्दगी कुछ सामान्य हो रही होगी .... गरीब हो या अमीर - मज़दूर हो या मालिक - कालाधन रखने वाला माननीय अपराधी हो या ईमानदार - सबका नुक़सान हो चुका होगा .. और ऐसे सभी लोग नुक़सान पर पछता रहे होंगे .. साहेब को बुरा-भला कह रहे होंगे .. .. ..

पर कुछ लोग नए चूर्ण-लाटरी छाप गुलाबी नोटों की गड्डियां हड़प झड़प कर इतरा भी रहे होंगे - और मोदी मोदी मोदी का जाप करते हुए केजरीवाल हाय हाय कर ही रहे होंगे .. .. ..

यानि नोटों की ही तरह बहुत सारे पुराने भक्त प्रचलन में नहीं होंगे और कुछ नए भक्त जन्म ले चुके होंगे .. और इसलिए तब तक कई नए शिगूफे भी छूट चुके होंगे .. .. ..

और अंततः इस तरह ५० दिन निकल चुके होंगे .. और लोग पिछले वर्ष की ही तरह एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दे रहे होंगे .. .. ..

यानि कुछ-कुछ बदलेगा - पर कुछ बदला ना जाएगा .. .. ..
बदलाव तो पंजाब चुनाव के बाद ही आएगा .. .. .. हा !! हा !! हा !! .. .. .. जय हिन्द !!

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Friday 18 November 2016

/.. नोटबंदी से लगता है अब काफी लोगों को कष्ट होने लगा है और इसलिए केजरीवाल से कष्ट पाने वालों का कष्ट भी कई गुना बढ़ गया है .. .. .. और लोगों को कष्ट अब इसलिए होने लगा है कि उनमें से कई लोगों को अपने रूपए निकालने के लिए सरकार द्वारा बनवाई गई लाइन में खड़े-खड़े बिना पैसे पाए सीधे देवलोक गमन करना पड़ गया है - और भक्त समझाते रहे कि साथ कुछ नहीं जाता - रुपया पैसा सब यहीं रह जाता है .. बात भी सही है .. .. .. पर भक्तों का कष्ट इसलिए बढ़ गया है कि केजरीवाल ने कह दिया कि समझदारों ये सब तुम्हें बेवकूफ बना रहे हैं - और कुछ बेवकूफों में समझ का संचार होते दिखने लगा है .... बस !! .. बात इत्तू सी छोटी सी - इस बहुत बड़ी निर्मित समस्या के मद्देनज़र ..../


/.. भक्तों यदि आप ये सोचते हैं कि धार्मिक संस्थाओं और धार्मिक ठेकेदारी में भ्रष्टाचार व्याप्त नहीं है - तो मेरा दावा है कि आप गलत ही सोचते हैं .. और यदि आप गलत नहीं सोचते हैं तो जवाब दें .. .. क्या ऐसा संभव नहीं कि - धार्मिक स्थलों में जो लाखों करोड़ों के दान चढ़ावे - जो छोटे वैध नोटों या सिक्कों या फिर ५००-२००० के नए वैध नोटों में प्राप्त हो गए होंगे - और हो रहे होंगे - उसे बंद किये गए ५००-१००० रूपए के कालेधन से बदला नहीं जा सकता ?? .. और बदल नहीं दिया गया होगा ?? .. और बदला नहीं जा रहा होगा ?? .. और बदला नहीं जाने वाला होगा ???? .... केजरीवाल को गालियां फिर कभी .. इस राष्ट्रीय मुद्दे पर यदि 'गाली-रहित' जवाब हो तो ही दें - नहीं तो आपकी गालयों से आपको ही पटकनी देने की कला केजरीवाल को बहुत अच्छे से आती है .. समझे ?? ..../


नोटबंदी के बाद पहले पुराने नोट बदलने की सीमा घोषित हुई ४००० रूपए .. फिर इसे बढ़ाकर किया ४५०० रूपए .. क्यों ?? .. होगा कोई कारण - हमें क्या ?? .. .. फिर अब इसे घटा कर कर दिया २००० रूपए .. क्यों ?? .. होगा कोई कारण - हमें क्या ?? .. .. ये १००० का नया नोट अब नहीं लाएंगे .. क्यों ?? .. होगा कोई कारण - हमें क्या ?? .. .. ये ५००-१००० के नोट बंद कर २००० के नोट लाए .. क्यों ?? .. .. होगा कोई कारण - हमें क्या ?? .. .. हम तो मोदी को चुन उस पर भरोसा कर लाइन में लगे हैं .. नोटबंदी के राष्ट्रीय त्यौहार का मज़ा ले रहे हैं .. मोदी !! मोदी !! मोदी !! .... मैं कहता नहीं था कि इस देश के लोग बहुत अच्छे हैं - देशभक्त हैं - ईमानदार हैं - सहिष्णु हैं - सीधे हैं .. और यदि कहीं खोट कमी है या कहीं मक्कारी बेईमानी पसरी है तो इस देश के नेताओं में .. मेरा आंकलन गलत तो नहीं ?? ..../


Thursday 17 November 2016

/.. साहेब ने बताया था कि पाकिस्तान द्वारा नकली नोट छापने और भारत में भेजने और आतंकवादी गतिविधियों में उपयोग करने के कारण नोटबंदी जरूरी हो गई थी .. और अपने भक्तों से कहलवा भी दिया है कि नोटबंदी से पाकिस्तान की हवा निकल गई है .... निकल गई होगी - पर हिंदुस्तानियों की हवा तो टाइट हो गई दिखती है .. और देश की हवा ख़राब .... क्या करें भाई - सब कुछ हवा हवाई ..../


/.. कब अपना धन पराया हुआ पता ही नहीं चला - कब गरीब का छुपा सफ़ेद धन भी काला-काला सा हुआ पता ही नहीं चला - कब अमीर का काला धन झटके से सफ़ेद हुआ होगा पता ही नहीं चला .. और कब पुराना-नया १००० का नोट विलुप्त हुआ पता ही नहीं चला - कब २००० का नया गुलाबी नोट भी काला हुआ पता ही नहीं चला .... पता चला तो जनाब बस ये कि .... अपने सफ़ेद नोटों के लिए दिन-ब-दिन लाइन में खड़े-खड़े एक के बाद एक करीब ३०-४० गरीब निपट गए - और धीरे-धीरे हौले-हौले आहिस्ता-आहिस्ता कितने ही बेमौत मरणासन्न हुए .. और साहेब को अब तक सब कुछ पता होते हुए भी कुछ पता ही नहीं चला ..../


/.. अब तो ९-१० दिन हो गए .. लोग रोज नई पुरानी बातें सुन रहे हैं - कभी राहत देने वाली तो कभी परेशान करने वाली - कभी लगता है वे राष्ट्रहित में सहन कर एक अच्छे निर्णय में अपना योगदान दे रहे हैं - तो कभी लगता है कि वे बेवकूफ बन रहे हैं या ठगे जा रहे हैं .. कभी लगता है कि सामान्य दिन शीघ्र लौटेंगे - कभी लगता है शीघ्र तो नहीं - लौटेंगे भी कि नहीं पता नहीं .... और इस समस्त उहापोह के बीच पहले अधिकांश लोग नोटबंदी के निर्णय को बढ़िया साहसिक मान रहे थे - तो अब उसी निर्णय के क्रियान्वयन को हद्द दर्जे का बेकार और शर्मनाक .. .. .. पर कुल मिलाकर अब मुद्दे की एक अकाट्य बात बता दूं .. अब लोग केवल सुन और सोच ही नहीं रहे हैं - अब लोग "तन-मन" से कुछ-कुछ और बहुत कुछ महसूस भी कर रहे हैं .. और वो कैसा महसूस कर रहे हैं ये आप आसानी से सोच सकते हैं - क्योंकि सोचना बंद कर देना भी कहाँ की समझदारी है .. है ना !! ..../


Wednesday 16 November 2016

/.. आज के हालात में बस यूँ ही ध्यान में आया कि .... यदि कुत्ते को खम्बा मिल जाए - तो धार उसी पर .. यदि नेता को गरीब मिल जाए - तो मार उसी पर .. .. .. वैसे आप सोचियेगा कि क्या खम्बे और गरीब में कोई संबंध है ?? .. और क्या कुत्ते और नेता में कोई संबंध नहीं ???? ..../


/.. उफ़्फ़ !! - ये तो सारे देशद्रोही हैं जो नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं .. यानि इस देश की केंद्र सरकार में अनेक शिवसेना के सांसद और महाराष्ट्र की सरकार में अनेक शिवसेना के विधायक देशद्रोही हुए .. और मोदी सरकार और फडणवीस सरकार को बिन मांगे समर्थन दे रहे हैं ?? .... पर मुझे पूरा विश्वास है कि आज मोदी और फडणवीस जी देशद्रोहियों का अनमाँगा अनचाहा समर्थन ठुकरा देंगे .. पर मुझे यह भी पूरा विश्वास है कि लाख ठुकराए जाने के बाद भी लाख बेइज़्ज़त होने के बाद भी शिवसेना अपना समर्थन वापस नहीं लेगी .. क्यों ?? .. क्योंकि समर्थन भी तो बेइज़्ज़तों को ही है .. यूँ बेइज़्ज़त होकर बेइज़्ज़तों के कारण यूँ ही बर्बाद होना या बर्बाद करना कहाँ की समझदारी ?? .... समझे समझदारों ?? ..../


/.. DEMONETISATION starts with DEMON .. कोई शक़ ?? ..../


Tuesday 15 November 2016

// ये कैसा संयम ?? .. ये कैसी परीक्षा ?? .. ये कैसा न्याय ?? ....//


आज नईदुनिया अखबार में छपी खबर से मैं विचलित हो उठा हूँ ....
खबर अनुसार - उच्च न्यायालय के तत्कालीन जस्टिस दिलीप रावसाहेब देशमुख २०१२ में दतिया से भोपाल जा रहे थे - उनकी आरक्षित बर्थ किसी और को आवंटित हो गई - और उन्हें दूसरे कोच में बर्थ दी गई जो उन्हें नागवार गुजरी - और बस माननीय न्यायमूर्ति महोदय जी ने रेलवे पर केस ठोक दिया ....

और खुद जज साहेब का केस - तो आप अंदाजा लगा लें - क्या हुआ होगा .. जी हाँ !! पहले जिला उपभोक्त अदालत ने उनके पक्ष में रेलवे को ६० हज़ार रूपए मुआवज़ा देने का "न्यायसंगत" निर्णय दिया - जिसे अब दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने भी "न्यायसंगत" ही मानते हुए बरक़रार रखा ....

और इस निर्णय के मायने कि आपके हमारे सरकारी पैसे से माननीय न्यायमूर्ति महोदय जी को ६० हज़ार रूपए का मुआवज़ा दिया जाएगा ....

और जब मैं अपने ही पैसों के लिए लंबी लाइनों में लगते खपते मरते लाखों करोड़ों गरीबों को देख रहा हूँ तो सोच रहा हूँ कि ये कैसे कानून - कैसी व्यवस्था - कैसे उपभोक्ता - कैसा मुआवज़ा - कैसे न्यायालय - कैसा न्याय - कैसे न्यायमूर्ति - कैसे नेता - कैसी शर्म - कैसा पक्षपात - कैसी लूट - कैसी दादागिरी - कैसी सोच ???? .. और मैं यह भी सोच रहा हूँ कि उस न्यायमूर्ति को कुछ घंटे की यात्रा में अपनी आवंटित बर्थ के एवज़ में अन्य किसी बर्थ पर अपने शरीर को आराम देना पड़ा तो कितना बड़ा अनर्थ हो गया ?? .. और लाखों करोड़ों गरीबों को अपना पेट भरने की मजबूरी में अपने पैसे प्राप्त करने हेतु घंटो खड़े रह कष्ट झेलने में कुछ भी अनर्थ नहीं हुआ ना !! .. वो तो खड़ा है - तो आराम से खड़ा रहे - देशहित में खड़ा रहे - खड़े-खड़े भी ऐश करे .. और हाँ "संयम" से ही खड़ा रहे ???? ....

इसलिए आज विचलित हो यह भी सोच रहा हूँ ... कि ये कैसा "संयम" ???? ....
आज देखूँगा और समझूंगा ये "संयम" क्या बला है - इसके क्या मायने - और इसके क्या गुंताड़े ?? .... 

क्योंकि मेरा संयम तो टूट सा रहा है .. पर संयमित हो जो कर सकता था कर दिया - दुखते दिल से ये लेख लिख दिया .. अब आप चाहें तो मेरे संयम को धिक्कार भी सकते हैं सराह भी सकते हैं .... पर मैं ऐसी भीड़ के ऐसे संयम पर तरस ही खा सकता हूँ - और ऐसे संयम की परीक्षा लेने वाले को एक बार फिर धिक्कारता हूँ .... और मांग करता हूँ कि यदि उस न्यायमूर्ति को ६०००० रूपए का मुआवज़ा देय है - तो वैसे ही प्रत्येक गरीब को भी प्राप्त कालेधन में से ही ६०००० रूपए का मुआवज़ा देय हो .... और ऐसे संयम की परीक्षा लेने वालों को "मध्यप्रदेश के मंत्रीपुत्र के फॉर्मूले अनुसार पानी में गीली कम से कम एक चप्पल" तो रसीद हो ....

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Monday 14 November 2016

/.. अरे ओ मोदी जी बहुत गर्राए भर्राए टर्राए हो भाई !! .. लगता है गजब कर दिए हो - मास्टर स्ट्रोक लगा दिए हो - सर्जिकल स्ट्राइक कर दिए हो - ब्रह्मास्त्र छोड़ दिए हो - शाब्बाश - बहुत खूब - हुर्रे !! .. .. .. तो अब मान के चलूँ कि ३१ दिसंबर को आटे दाल चावल प्याज टमाटर नमक शक्कर तेल घी दूध पेट्रोल और डीजल के भाव २६ मई २०१४ के बराबर आ जाएंगे ?? .... हाँ ना ?? .. बोलो हाँ ना ?? .. हाँ बोलो ना !! .. अरे यार मोदी जी ऐसा क्या टपोरी जैसा कर रहे हो - हाँ कर दो ना !! .. प्लीज मोदी जी प्लीज - आपको १२५ करोड़ देशवासियों की कसम - हाँ कर दो ना !! .. .. .. क्या कहा शायद नहीं कर पाओगे ?? .. अरे यार तो इतना घबरा क्यों रहे हो - ना तो ना सही !! .. हम कौन विश्वास कर लेंगे - और ३१ दिसंबर को तुम्हे पकड़ कर चौराहे पर पीट देंगे !! .. हम भी तो बस यूँ ही लफ़्फ़ाज़ी कर रहे हैं - समझे ?? .. पर ठीक भी है जनता का क्या भरोसा .. है ना ?? ..../


/.. आजकल काफी लोग देशप्रेम प्रदर्शित करने के स्वर्णिम मौके के रूप में भावनात्मक डायलॉग दे रहे हैं कि - हमारे जवान सीमा पर खड़े हैं और गोली खा रहे हैं तो क्या हम १-२ दिन लाइन में खड़े नहीं हो सकते ?? .. .. .. मेरा उनको जवाब .. जवान देश के लिए खड़े हैं तो क्या हम अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए बैठ कर देशहित की बात नहीं कर सकते ?? .. क्या जरूरी है कि जवान सीमा पर गोली खा रहे हैं तो हम उनका मनोबल बढ़ाने के लिए अपनी कनपटी पर पिस्तौल रख कर चला दें ?? .. और क्या सीमा पर खड़े सैनिकों के परिवारों को भी लाइन में खड़ा कर परेशान करना देश को शोभा देता है ?? ..../


/.. मैं यकीनन मानता हूँ कि ५००-१००० के नोट बंद करने का निर्णय उपयुक्त था पर २००० के नोट चालू करने का निर्णय कहीं अधिक गलत .. मैं यह भी देख रहा हूँ कि देश के अधिकांश लोग तमाम कष्ट झेलते लाइन में लगे मोदी के इस अभियान को अभूतपूर्व बिना शर्त समर्थन देते बताए जा रहे हैं .. मैं यह भी देख रहा हूँ कि मोदी के इस अभियान को सफल बनाने में सभी बैंक भरपूर सहयोग दे रहे हैं - और मीडिया भी मोदी के पक्ष को बखूबी प्रसारित कर रहा है - और मोदी अपने दांव पर कायम दिख रहे हैं .. .. .. तो फिर समस्या क्या है ?? .. मोदी इतने उतावले क्यों - विपक्षी पार्टियों को गालियां क्यों - और भक्त सोशल मीडिया पर इतने परेशान और आक्रामक क्यों ?? .. कहीं ऐसा तो नहीं कि अब खुद समझ आ रहा है कि कहीं ना कहीं गच्चा खा गए ?? .. या गच्चा देने में असफल हो गए ?? ..../


/.. मेरे परम प्रिय मित्र (स्वर्गीय भगवान सिंह सिसोदिया) हमेशा कहते थे कि .. "गरीब अपनी कुटिया में खुश रहते हैं ये अफवाह हमेशा से धूर्त अमीर ही फैलाते रहे हैं" .. आज मोदी जी बोले - "गरीब चैन की नींद सो रहा है" .. .. .. सही बोलते थे मेरे दोस्त - तुमको हज़ार नमन !! ..../


/.. गाजीपुर की रैली से साहेब का मूल्यहीन धाँसू सीधा प्रसारित भाषण सुना .. जिसमें सभी पुरानी बातें पुरानी शैली में सुनने को मिलीं - पर एक नई विकट बात मेरे दिमाग में बड़ी सहजता और आसानी से यूँ ही आ गई कि - इतनी बड़ी रैली के लिए रोकड़ भाजपाइयों के पास कहाँ से आ गई - वो भी राहुल गाँधी जैसे बिना लाइन में लगे ?? .... उत्तर भी मुझे मालुम है .. और यह भी मालुम है कि आपको भी मालुम है .. और मुझे तो लगता है कि शायद कुछ सामान्य टाइप भक्तों तक को भी मालुम होगा कि इंतज़ाम बहुत पहले से हो चुका था .. है ना !! .. ये पोस्ट तो मैने इसलिए लिखी कि मेरा एक मित्र मुझ पर इलज़ाम लगा रहा था कि मुझे ये बात नहीं मालुम है .. मूर्ख कहीं का !! ..../


/.. ८ तारीख को साहेब नोटबंदी का धाँसू फरमान पटक जापान निकल लिए थे .. वहां से लौट भयंकर भाषण बाज़ी कर रहे हैं - आम जनता त्रस्त है - पर साहेब रुंधे गले से रो भी रहे हैं हंस भी रहे हैं और बात कर रहे हैँ रूपए - पैसे - नोट - धन - मैं मोदी - मैं देख लूँगा - मैं निपटा दूंगा - मैं मैं - मैनें मैनें - मैं मैं .... उफ्फ़!! .. मेरे प्यारे देशवासियों !! .. इसी दौरान सीमा पर हमारे ६-७ जवान भी शहीद हो गए .. पर साहेब ने शहीद या श्रद्धांजलि का "श" तक नहीं बोला .... शsssssss .. शांति - चुप - "नेशनल इंटरेस्ट" में साहेब के साथ अधिकांश लोग खड़े हैं - कहीं सुन ना लें .. फ़ोकट सुलग जाएगी ..../


/.. क्या है कि फटे में रफू तो होती है .. पर फटे में रफू जैसा थेगड़ा लगाना ज़रा मुश्किल होता है .. और थेगड़े में रफू करना तो और मुश्किल .. पर फिर रफू को भी रफू करना .. बाप रे बाप !! .. पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ये सब बखूबी कर लेते थे .... लेकिन लगता है किसी ने फटे में टांग डाल दी है - थेगड़ा लगाना असंभव हो गया है .. और किसी ने पूछ लिया है - बागों में बहार है ?? .... किसी को कुछ मालुम हो तो बताने की दरकार है .. किसी को मिले तो १०० रूपए दे देने की दरकार है .. आज सोमवार है - शायद वो पिछले कई वार से फरार हैं ..../


/.. "नोटबंदी" की घोषणा "गोपनीय" थी .. बहुत अच्छे !! .. पर "बेनामी संपत्ति पर चोट" की घोषणा बिना गोपनीयता खुल्ले में ?? .. जैसे कि उल्टी दस्त खुल्ले में !! .. बताया था ना खुल्ले में शौच नहीं .. फिर ये आर्थिक शौच खुल्ले में क्यों ?? .. चुपचाप अपना काम क्यों नहीं करते ?? ..../


/.. कल मोदी जी ने जनता को मक्कारी से लतपत ऑफर दिया था कि - "यदि गलत निकला तो चाहे जिस चौराहे पर मुझे सज़ा दे देना" .. .. .. मेरा आदेश .. .. .. किसी चौराहे पर नाटक-नौटंकी करने की जरूरत नहीं - चुपचाप इस्तीफ़ा दे देना .. समझे ?? ..../


Sunday 13 November 2016

/.. मेरे प्यारे झकोरों और भक्तों !! .. फेंकू घबरा रहा है - बौरा भी रहा है - ५० दिन मांग रहा है - और भरोसा दिला रहा है कि वो ५० दिन में कालाधन खल्लास करवा देगा .... तो क्या तुम उसकी गारंटी देते हो कि यदि तुम्हारे पास भी कालाधन होगा तो वो तुन्हें भी नहीं छोड़ेगा ?? ..../


/.. मेरे प्यारे देशवासियों !! .. फेंकू ५० दिन मांग रहा है - बेवकूफ बना रहा है .. पर फिर भी दे दो .. दे दो !! .... पर लिखित वचन पत्र भी देने के लिए कह दो .. कह दो लिख के दे कि .. ५० दिन बाद सबसे ज्यादा कालाधन रखने वाले कम से कम ५० कलाकारों को देश के सामने नंगा खड़ा कर देगा ..../


/.. बहुत तुर्रमखां बन रहे हैं ?? .. और हाथ ऊँचे कर दिए हैं कि कालेधन को पकड़ने के लिए सफ़ेद धन वाले करोड़ों गरीब ईमानदार लोगों को नाहक परेशान किये हुए इनके पास कोई विकल्प नहीं है .. इनकी सीबीआई पुलिस इनकम टैक्स और सभी विभाग गुप्चार एजेंसियां फेल हैं .. यानि पूरी सरकार विफल है .... और ज़रा ध्यान देवें !! .. ये छुछुंदर ज्यादा से ज्यादा कालेधन को नष्ट करवा देने का दावा कर रहे हैं - पर क्या कालाधन रखने वालों को पकड़ने की बात कर रहे हैं ?? .. नहीं !! .. एक भी दुष्ट को अब तक इन्होंने पकड़ा नहीं है - ना पकड़ने का प्रयास दिखा है ना नीयत दिखी है ना कोई योजना ना दावा .... इसलिए मैं कहता हूँ ये तुर्रमखां नहीं छुछुंदर हैं .. किसी चूहे की तुलना में भी लुंजपुंज .. छि: ..../


/.. मैं गवाह हूँ - हर देशवासी चुनाव आयोग राष्ट्रपति और इतिहास गवाह है कि - देश द्वारा २८ मई २०१४ को मोदी को पूरे ५ साल यानि १८२५ दिन दे दिए गए थे - और अभी केवल ९०० दिन गुजरे हैं - और आज की तारीख में भी पूरे ९२५ दिन मोदी के पास हैं जो बात मोदी अच्छे से जानते हैं .... पर मोदी हैं आज गोवा से बार-बार चिल्ला-चिल्ला फोकटिया गुहार लगा रहे थे .. "देशवासियों मैं आप से केवल ५० दिन मांगता हूँ - मुझे केवल ५० दिन दे दो - ५० दिन - केवल ५० दिन" .... और मुझे इसलिए एक बार फिर लगा - शायद मोदी घबरा गए हैं क्योंकि वो अभी तक असफल रहे हैं - और ये मक्कारी इस बात का द्योतक है ..../


/.. अभी-अभी गोवा से मोदी का अभी तक का सबसे ओजस्वी और धाँसू भाषण सुना .. वो बहुत अच्छा बोलते हैं पर आज अच्छे के साथ बहुत ज्यादा 'नाटकीय' भी बोले और थोड़े घबराए और परेशान भी दिखे .... और क्योंकि मैं उनके कई भाषण सुन और उनकी करनी देख उन पर विश्वास खो चुका हूँ - आज की नाटकीयता के पुट से परिपूर्ण उनकी बातों पर तो मुझे तनिक भी विश्वास नहीं हुआ .. पर आम हिंदुस्तानी की तरह आशावादी होते हुए आज केवल इतना ही कहूँगा कि काश देशहित में मोदी जैसा बोले वैसा कम से कम अब तो कर ही दिखाएं ..../


/.. तो बैंकों के बाहर लगी भूखी प्यासी थकी संयमित लंबी लाइनों से आज तो स्थापित हो जाता है कि - जो बोलते थे इस देश के कई लोग घटिया - स्वार्थी - देशद्रोही - अराजक - पाकिस्तानी - नक्सली - जिस थाली में खाते उसमें छेद करने वाले दोगले - आराम पसंद - मक्कार - असहिष्णु - भ्रष्ट - आदि - इत्यादि .. वो स्वयं निहायत झूठे - अफवाहबाज - जुमलेबाज - और बिना अक्ल और तर्क वाले बेवकूफ हैं .. जिन्हें एक शब्द में भक्त कहा जाता है .... और जो जनता के संयम की परीक्षा ले अक्षम्य गुनाह कर रहे हैं ..../


Saturday 12 November 2016

/.. साहेब और चंगू कह रहे हैं - नोटबंदी के बहुत बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे - बस देशहित में आप सब आज हो रही सारी तकलीफ सहन कर लो .. .. .. मेरी प्रतिक्रिया .. .. .. कसम २००० के नए नोट की - जब बेहतर परिणाम आ जाएंगे तो हम आपकी भूरी-भूरी प्रशंसा करेंगे साहेब .. बस देशहित में आप आज हमें हो रही तकलीफ के लिए सहर्ष सारी गालियां शराफत से अपने गले उतार लो ..../


/.. वित्त वाले भैया की पत्रकार वार्ता .. कई पत्रकारों ने महाशय से जनता को हो रही अभूतपूर्व परेशानियों के बारे में प्रश्न पूछे .... आँख मिचका-मिचका ऊपर देख बोला .. काम बहुत बड़ा है - ऐसा ही होना था - इसका तो अंदाज़ भी था .. अभी एटीएम मशीनों को चालू करने में २-३ सप्ताह और लगेंगे ये भी पहले से ही पता था .... और मित्रो कस्सम से - मुझे भी ये पहले से पता था कि ये आदमी नहीं पायजामा है ..../


/.. मेरे भारत के प्रधानमंत्री जापान में बोले हैं - ईमानदार लोगों को डरने की जरूरत नहीं .... मेरा जवाब .... आदरणीय मोदी जी !! .. भारत में ईमानदार लोग डर नहीं रहे हैं - वे बेहद परेशान हो रहे हैं .. भारत लौट कर आपको पूर्व से ज्ञात इस ज़मीनी सच का पता चल जाएगा - ऐसी नाउम्मीद रखता हूँ ..../


/.. जो इस अपुष्ट बात पर बौरा रहे हैं कि मोदी के नोटबंदी से पाकिस्तान की हवा निकल गई है - शायद उन्हें हवा के रुख का कोई इल्म ही नही हैं .... और ऐसे लोग हवा हवाई हवाबाज़ी करने के पुराने रोगी रहे हैं .. इनका इलाज मैंने aerodynamics की एक किताब में पढ़ा था - इन्हें २०० रूपए किलो के नमक के साथ हींग का सेवन करा उल्टा टांग डकार दिलवा इनकी हवा निकालना शायद मुफीदकारक रहेगा ..../


/.. बहुत गंभीरता से लिख रहा हूँ .. जो पागल नोटबंदी को अब तक भी मोदी का 'मास्टर स्ट्रोक' बता रहे हैं असल में वो एक 'मास्टर' का 'स्ट्रोक' है - जबकि 'मास्टर' बहुत धूर्त है - और 'स्ट्रोक' बहुत पीड़ा दायक .. और यह बात अब हर गरीब और आम आदमी के चेहरे पर भी लिखा गई है .. क्योंकि इस 'स्ट्रोक' का असर कालेधन से पहले हक़-हलाल के सफ़ेद-धन पर हो गया है ..../


Friday 11 November 2016

/.. मोदीजी के ५००-१००० के नोट बंद करने मात्र से अति उत्साहित मध्यप्रदेश के वनमंत्री पुत्र मुदित शेजवार ने फेसबुक पर पोस्ट डाली - "अब किसी ने पूछा की अछे दिन कब आएँगे , तो चप्पल गिली करके चिपकाऊँगा" .... अपनी पोस्ट में अनपढ़ लोग ऐसी ही गलतियां और खिसियाए लोग ऐसी ही बातें करते रहते हैं इसलिए इनके मुंह लगना फ़िज़ूल .... इसलिए मंत्री पुत्र से फ़िज़ूल में ये तो नहीं पूछूँगा कि "अच्छे दिन कब आएँगे" - पर ये तो ज़रूर पूछूँगा - नए नोट मिल गए ?? .. और फिर उनके भक्तों से सविनय पूछना चाहूँगा कि ५००-१००० के पहले अब तक की नाकामियों के लिए क्या उन्हें या उनके नेतापुत्र को किसी ने सूखी या गीली चप्पल चिपकाई थी ?? ..../


/.. हे भगवन ज़रा गौर फरमाएं - और जवाब दें .. .. .. भगवन मोदी को तो आप जानते ही होंगे .. ८-९ नवम्बर की दरम्यानी रात से ५००-१००० के नोट बंद कर दिए - यानि ५००-१००० के नोट देना या लेना अवैधानिक .. भगवन समझे ना !! .. .. .. पर भगवन अब यदि आपको कोई मंदिर दरगाह पर आज ११/११/१६ को पुराना अवैध ५००-१००० का नोट चढ़ा जाता है तो फिर आप या आपके भक्त क्या करेंगे ?? .. और मोदी क्या करेंगे ?? .. और वैधानिक क्या ?? .. और क्या आप अवैधानिक गतिविधि के भागीदार होना पसंद करेंगे - क्या ७ साल तक जेल जाएंगे .. .. .. भगवन आप बहुत मौन रह लिए .. क्या अब जवाब देंगे ???? ..../


/.. ये जो एक वित्त वाले मंत्री हैं - कल बताए कि ढाई लाख से ज्यादा किसी ने कालाधन जमा कराया तो टैक्स भी वसूला जाएगा और उस पर २००% पेनल्टी भी लगेगी .. और मोदी ने पहले बताया हुआ है कि अर्थ अपराधी को ७ साल की सजा होगी .... अब जानिये कि यदि जेटली का कोई नौकर १०० लाख रुपए बैंक में जमा कराता है तो उसे ८४,७५,०००/- की पेनल्टी भरनी पड़ेगी और उसके हाथ रह जाएंगे १५,२५,०००/- और साथ ही एफआईआर डंडे घिसाई रगड़ाई बदनामी जगहंसाई भी और ७ साल की जेल भी .. जबकि १०० लाख के १५-१६ लाख से कहीं ज्यादा उसे बाजार में आज भी मिल सकते हैं - और कल भी .... मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि मोदी जेटली शाह ने ये कैसे मान लिया कि देश के वित्त अपराधी गली के भक्तों जितने पगले हैं .. या इसे मासूमियत समझा जाए या शानपत या मक्कारी या ..?? ..../


/.. माना कि २ दिनों की दादागिरी और बेवकूफी पटकने के बाद आज तुमने जनता को २००० के नए नोट दे दिए .. पर इन २००० के नोट से १० रूपए का 'कमल पसंद गुटखा' या ५० रूपए की भांग या तुम्हारे लिए ५ रूपए के धतूरे के बीज या १०० रूपए का लट्ठ कैसे खरीदा जा सकेगा ?? - खुल्ले कहाँ से आएँगे ???? .. और ये तो बताओ तुमने अपना ईमान कितने में बेचा ?? .. और भक्तों ने अपनी अक्ल कितने में बेच खाई ?? ..../


// करे कोई भरे कोई मरे कोई .. ऐसा व्यवहार न्यायोचित नहीं ....//


बचपन से सुनते आए कि फलां-फलां केस में आरोपी को 'शक के लाभ' में या 'सबूतों के अभाव' में बरी कर दिया जाता रहा - और ये भी कि कानून अँधा होता है - आदि !! ....

फिर दलील सुनते कि हमारे देश का कानून कुछ यूँ है कि भले ही ९९ दोषी छूट जाएं पर एक भी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए .. .. ..

पर आज देख रहा हूँ कि ५००-१००० के नोट बंद करने के सही कदम के तुगलकी फरमानों और बेवकूफाना क्रियान्वयन के कारण अब तक कालेधन्नासेठ प्रभावित नहीं दिखे पर सफ़ेद धन वाले आम जन हलाकान दिखे .. बुरी तरह प्रभावित दिखे .. चिंतित दिखे .. ठगे दिखे .. रोते दिखे .... 

मुझे यह भी महसूस हुआ कि कालेधन्नासेठ को १०० के नुक़सान से भी उतनी परेशानी नहीं होनी है जितनी कि एक गरीब को १ के नुक़सान से होनी है .. क्योंकि धंधे चौपट हो गए और गरीब में १ के नुक़सान उठाने की क्षमता नहीं है .... इसलिए मार तो गरीब को ही पड़ी है .. वो भी बिना किसी अपराध या फिर उचित या वैधानिक कारण के ....

यानि साफ़ दिखा कि ....

करे कोई भरे कोई मरे कोई ..
निर्दोष की कोई सुने नहीं ..
दोषी को कोई असर नहीं ..
चौकीदार भारत में नहीं ..
सरकार में अक्ल नहीं ..
बागों में बहार नहीं ..
और ....
ऐसा व्यवहार न्यायोचित नहीं ..

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Thursday 10 November 2016

/.. अरे ये क्या लगा रखा है - चिन्दियों जैसी हरकत - झकोरों जैसी फितरत .. पहले 'कुछ-कुछ' कुछ को बताया २००० का नोट आ रहा है - लेकिन बंद कर दिए ५००-१००० के नोट .. फिर बोले २००० का नोट आएगा .. फिर आ गए ५००-२००० के नए नोट .... और अब कह रहे हैं १००० के भी नए नोट शीघ्र लौटेंगे .. .. .. .. ठीक है आप ऐसा ही करते रहें आपका अधिकार .. पर ध्यान रहे जनता भी आपको टुकड़ों टुकड़ों में प्रतिबंधित कर एक झटके में नई सरकार ले आएगी .. और फिर आप कभी लौट भी ना सकोगे .. समझे ..../


/.. नईदुनिया में आज फोटो सहित खबर छपी है कि ईओडब्लू के एक एसपी मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात इंदौर के एक प्रतिष्ठान में ठुसी भीड़ में सम्मिलित हो सोना खरीदते दिख रहे हैं .. कल्पना करें कि इन श्रीमान और इन जैसे अन्य टुच्चों के सौजन्य से कितने बड़े अपराधी छोड़े गए होंगे और कितने छोटे अपराधी या निरपराधी परेशान किए गए होंगे .... तो क्या इनका 'भोपाली एनकाउंटर' नहीं होना चाहिए ?? .... वैसे याद करें वो कौन फाँकू था जिसने हमें विश्वास दिलाया था .. "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" ..../


/.. अमेरिका में ट्रंप जीत गए .... अब जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू .. विरोधी खिसिया रहे हैं - गुस्सा कर रहे हैं .. यानि विरोधी कपड़े फाड़ रहे हैं .... दिल्ली में केजरीवाल जीत गए थे .. विरोधी आज तक कपड़े फाड़ रहे हैं .... ये हालत है दुनिया की दो सबसे बड़ी डेमोक्रेसी की ऐसी की तैसी की .... समझे क्या ?? ..../


/.. क्या बकर चकर करने वाले चुप देशभक्तों को मालुम है कि कल बुधवार को कुपवाड़ा सेक्टर में हमारा एक और जवान शहीद हो गया ?? .. नाम सतनाम सिंह .. .. .. वैसे इन्हें यह तो मालुम ही है कि आज गुरूवार से बैंकों में पुराने नोट बदले जा रहे हैं .... जय हिन्द !! ..../


/.. बकर चकर मगर फकर - घंटा भर लगा समझाया कि ५००-१००० के नोट बंद क्यों .. २ मिनिट और समझाना था ना २००० के नोट चालू क्यों ?? .. .. .. ओ दाजी !! .. जल्दी में था - धंधे का समय हो रहा था - जापान जाना था ना !! ..../


Wednesday 9 November 2016

// हुर्रे-वुर्रे .. नहीं !! .... अब तो मोदी जी - हुर्र !! हुर्र !! हुर्र !! ....//


कल मोदी ने कहा ५००-१००० के नोट बंद - अपन ने कहा .. हुर्रे !! हुर्रे !! हुर्रे !! .. मोदी जी धन्यवाद !! ....

फिर पता चला - २ दिन बाद २००० के नोट चालू होंगे - अपन ने कहा .. धत्त तेरे की - गई भैंस पानी में ....

फिर किसी ने और भक्तों ने और कइयों ने सूचना दी कि २००० के नोट में चिप लगी होगी जिसके कारण २००० के हर नोट का मूवमेंट पता किया जा सकेगा - और इसलिए पुनः कालेधन संग्रह का कारण नहीं बन सकेगा .... और अपना दिमाग चला और सोचने लगा - हाय रे कुर्बान जाऊं ऐसी बात पर जैसे मैं कुर्बान हो गया था ऐसी ही बात पर कि टूथ ब्रश को रोटी से जलाकर जेल के ताले की चाबी बना कैदी फरार हो गए थे .... चल हट बे !! ....

पर सुबह जब २००० के नोट पर चिप वाली बात दैनिक भास्कर अखबार में पढ़ी .. तो दिमाग फिर चकराया .. जिसे शांती तब जाकर मिली जब मोदी के वित्तमंत्री डीडीए वाले भैया जेटली जी ने पहली बार स्पष्ट और सत्य बात बोली और बता दिया - २००० के नोट में कोई चिप-विप नहीं .. यानि चिप भी एक जुमला है जो चिपक नहीं रहा है ....

यानि तय हुआ कि २००० के नोट कालेधन संग्रह के काम में बखूबी आएँगे .... इसलिए आज मोदी जी को - हुर्रे !! हुर्रे !! हुर्रे !! के स्थान पर - हुर्र !! हुर्र !! हुर्र !! ....

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/ अमेरिका शाना - उसका मीडिया शाना - उसके पोलस्टर्स शाने - यानि शानों का जमावड़ा - और शानों ने प्रीपोल में बता दिया था हिलेरी जीतेंगी ट्रम्प हारेंगे .. लेकिन ठीक उलट - ट्रम्प जीत गए .. .. .. शानों की कमीं हमारे यहाँ भी नहीं - हमारे यहाँ तो डेढ़ शाने भी बहुतायत में - और वो कह रहे हैं यूपी में भाजपा - और पंजाब में कांग्रेस आगे रहेगी .... हे भगवान !! ये बात शाने समझेंगे कि नहीं ?? ..../


/.. कल शाम से देख रहा हूँ - इंडिया पाकिस्तान की बॉर्डर पर हो रही मुंहतोड़ गतिविधियों पर कोई नियंत्रित तड़ातड़ समाचार नहीं .. और ना ही 'दिल्ली सरकार वाली दिल्ली' के प्रदूषण पर .... और समाचार केवल ५००-१००० पर और - भक्त मीडिया की अमरीकन बुआ ताऊ के बीच के कांटाफोड़ चुनाव पर .. .. .. इससे तय हुआ हम कितने देशभक्त हैं - और कितने दिल्ली प्रिय .... और हमें सैनकों के प्रति कितनी श्रद्धा है और दिल्ली वासियों के स्वास्थ्य का कितना ख्याल .... और ये ना ना प्रकार के भक्त कितने खुदगर्ज़ हैं ..../


/.. 500-1000 रूपए के नोट बंद करने के मोदी के अप्रत्याशित निर्णय के कारण 'आज कल या कुछ दिन' तक 'कुछ लोग' परेशान होंगे .. जिसके लिए खेद और सांत्वना .. .. .. पर मुझे लगता है पिछले 'कई दिनों' से ऐश कर रहे 'कई लोग' आने वाले 'कई दिनों' तक हलाकान रहेंगे .. जिसके लिए हर्ष और .. टिल्ले-लिल्ले !!!! ..../


Tuesday 8 November 2016

/.. अब समझ आया .. जनधन में खुले 0 बैलेंस के करोड़ों अकाउंट काले धन को वापस जीवित करने के लिए कितने काम आएँगे .... अब से हर एक 0 बैलेंस अकाउंट भी बहुमूल्य .... तो क्या गरीब भी अमीर ?? .. तौबा !! .. क्यों मज़ाक करते हो साहेब !! ..../


/.. धत्त तेरे की !! .... ५००-१००० के वर्तमान नोट बंद .. पर फिर उसके बाद जल्दी ही ५०० और २००० के नए नोट जारी होंगे .... यानि कालेधन का कारोबार हवाला भ्रष्टाचार फिर एक बार चालू ?? .... गई भैंस पानी में ..../


/.. हुर्रे !! हुर्रे !! हुर्रे !! .. मोदी जी धन्यवाद !! .... आज पहला काम आपने सही किया .. ५०० - १००० के नोट बंद .. और आपका यह कदम अभूतपूर्व है .. धाँसू है .. ५६ इंची छाती का परिचायक है .. और मुझे यकीन है कि इससे भ्रष्टाचार और काले धन पर लगभग पूर्ण रोक लग जाएगी .. मैं आज लंबे समय के बाद इस कदम पर आपके साथ हूँ ..../


/.. पंजाब के ‘शाहों’ ज़रा ध्यान से समझना .... गुजरात के ‘मोदी के शाह’ डियर डायर ने जुमला छोड़ा है - यदि वो यूपी में जीतते हैं तो वो यूपी को नम्बर १ राज्य बना देंगे .... यानि अब उन्होंने मान लिया कि वो पंजाब तो नहीं जीत रहे हैं .... बधाइयां !! .... वैसे बधाइयां तो ‘यूपी के भैय्यों’ को भी - क्योंकि वो यूपी भी कहाँ जीत रहे हैं .. हा !! हा !! हा !! ..../


/.. 'मुंह एक जुमले अनेक' .... और .... 'जुमला एक मुंह अनेक' .... बूझो तो जानें !! .... .... .... .... मोदी .... और .... #बागों_में_बहार_है ..../


Monday 7 November 2016

/.. भोपाली मुठभेड़ में ८ आरोपित आतंकियों को ढेर करने वाली भोपाली पुलिस को दिल दिमाग सर्वस्व दे चुके हमारे शिवराज चौहान ने पहले हड़बड़ाहट में उगल दिया था कि NIA के द्वारा जांच होगी .. पर फिर व्यापम के जरिये प्राप्त व्यापक अनुभव के कारण पलट गए - यानि अब NIA से जांच-वांच नहीं होगी .... तो अब ये कैसे पता चलेगा कि - फर्जी एनकाउंटर का स्क्रिप्ट कौनहूँ भोपाली टपोरी लिखा था या खुद भोपाली मामा शिवराज ???? ..../


/.. बता रहे हैं कि वो पंजाब के खेंतों में "खूँटी" जला रहे हैं - और दिल्ली का वातावरण ख़राब है .... मुझे पूरा पुख्ता पक्का यकीन है .... ३ महीने बाद जब वो पूरे पंजाब में "खूँटे" उखाड़ेंगे - तब दिल्ली का वातावरण सुधर जाएगा ..../


// चट्ट्टाक !! ....//


( मेरा ये लेख #NDTV_इंडिया के रवीश कुमार की उच्च पत्रकारिता को समर्पित )

क्या आप मौन रहकर सवाल पूछ सकते हैं ???? ....

जवाब में मेरा प्रतिप्रश्न ....

क्या आप बिना हाथ उठाए टुच्चों को चांटा मार सकते हैं ???? .. चट्ट्टाक !! ....

वस्तुतः शायद नहीं ना !! ....
इसलिए यदि आप मेरी मानें तो आप मौन रहकर कम से कम टुच्चों से सवाल तो नहीं पूछ सकते हैं !!

तो सवाल तो उठते हैं कि - क्या मौन रहना उचित ?? .. यानि क्या सवाल पूछना जरूरी नहीं ????

सोचियेगा !! अन्यथा भविष्य में टुच्चों का चांटा आपको भी पड़ सकता है .. चट्ट्टाक !! ..

और यदि आपने बिना मौन हुए सवाल पूछने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर दिया .. तो मान के चलिएगा आपने टुच्चों को चांटा मार दिया .. वो भी यकीनन बिना हाथ उठाए .. चट्ट्टाक !! ..

धन्यवाद !!

पुनश्च : वैसे मुझे सुखद अहसास हो रहा है कि शायद मैंने अभी-अभी बिना हाथ उठाए किसी टुच्चे को चांटा मार दिया है .. चट्ट्टाक !! ..

हा !! हा !! हा !! .... 

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Saturday 5 November 2016

/ मोदी जी !! .. शत्रुघन सिन्हा ने ट्विटर के जरिए भोपाल और दिल्ली में पुलिस और प्रशासन के रवैये को शर्मनाक बता दिया है .... और वो हमेशा आपको डेरिंग डैशिंग डायनामिक कहते हैं .... इसलिए सवालों का सवाल .. शत्रु भाई आपके शत्रु हैं या हितैषी ?? .... खामोsssssश !!!! ..../


/ NDTV इण्डिया पर कल रात प्राइम टाइम में रवीश कुमार का नायाब प्रोग्राम देखा .. आज फिर देखा .. और भी कई बार देखना चाहूंगा .... और सवाल पूछने पर सवाल क्यों ?? पर उच्चकोटि के कलात्मक मुंहतोड़ कटाक्ष को देख मेरे दिमाग में भी एक सवाल कौंध गया है .. क्यों मोदी जी रवीश का प्रोग्राम कैसा लगा - और कहाँ लगा ?? ..../


Friday 4 November 2016

/ मोदी सरकार द्वारा NDTV के प्रसारण पर १ दिन की पाबंदी लगाने की एक और बेवकूफाना हरकत की गई है .. इसलिए ये प्रमाणित हो गया कि NDTV के समाचारों पर अन्य चैनलों की तुलना में अधिक भरोसा किया जा सकता है .. और आप अर्नब गोस्वामी की चिल्लाहट और मोदी की लफ़्फ़ाज़ी की अपेक्षा रवीश कुमार की पत्रकारिता पर कहीं अधिक भरोसा कर सकते हैं ..../


// फर्जी चूक - फर्जी मुठभेड़ - असल साज़िश .... एक और "भोपाली मुठभेड़" की दरकार ..//


भोपाल जेल से कैदी भागे थे या भगाए गए थे .. और इसे "चूक" बताया जा रहा है .. पर मैं इसे चूक नहीं 'फ़र्ज़ी चूक' निरूपित करता हूँ .. क्योंकि मैं अक्ल रखता हूँ और समझता हूँ कि मुख्यमंत्री सहित समस्त बड़े-बड़े टुच्चे अधिकारियों के बंगलों पर जेल प्रहरियों से गैरकानूनी मजदूरी पूरी बेशर्मी के साथ करवाई जा रही थी जो केवल "चूक" की श्रेणी में नहीं आती .. ये चूक तो "फ़र्ज़ी चूक" ही कहलाएगी .. और अपराध भी - वो भी जघन्य अपराध - वो भी शायद आतंकियों के अपराध से बड़ा अपराध .... क्योंकि १६० में से ८० जेलकर्मियों की ड्यूटी जेल के बाहर टुच्चों के यहाँ अपराध नहीं तो फिर क्या ???? .... 

और फ़र्ज़ी चूक के भरोसे भागे भगाए ८ कैदियों को जिस प्रकार मार गिराया गया - और मार गिराया गया बताया गया - और किस प्रकार मार गिराया गया अब पता चल रहा है - उससे मुझे साफ़ है कि ये मुठभेड़ "फ़र्ज़ी मुठभेड़" थी ....

यानि "फ़र्ज़ी चूक" और फिर "फ़र्ज़ी मुठभेड़" मुझे पुख्ता यकीन दिलाती है कि एक "असल साज़िश" के तहत ही भाजपा और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नियोजित प्रायोजित यह काण्ड संपन्न हुआ होगा ....

अब आगे क्या ?? ....

कुछ विशेष प्रकार के बेशर्म कमलगट्टे फ़र्ज़ी मुठभेड़ में ८ आरोपियों को मार गिराए जाने को भी सही बता रहे थे - इस बिनाह पर कि वो आतंकी थे वो मुजरिम थे .. फिर उन्हें क्यों जेलों में बंद कर खिलाया पिलाया जाता रहे - क्यों फालतू का मुक़दमा - क्यों फालतू का न्याय - क्यों फालतू की समय बर्बादी .. बस जो किया ठीक किया - क्योंकि त्वरित न्याय हो गया ....

और इसी बिनाह पर आज मेरी मांग .. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी जेल अधिकारियों को "फ़र्ज़ी चूक" के आरोप में - और समस्त असली पुलिस वालों को फ़र्ज़ी मुठभेड़ के आरोप में - एक और मुठभेड़ कर मार गिराया जाना उचित होगा .. कोई आरोप-पत्र नहीं - कोई निलंबन नहीं - कोई केस नहीं - कोई न्याय प्रणाली नहीं - कोई समय बर्बादी नहीं .. बिना किसी असल साज़िश के - बस जस का तस - खुल्लमखुल्ला !!!!

है किसी भक्त या कमलगट्टे में ताकत या औकात जो मेरी तार्किक असंगत (जी हाँ "असंगत") बात के विरुद्ध तर्क दे सके ????

और मेरा सुझाव है कि भविष्य में ऐसी मुठभेड़ को "भोपाली मुठभेड़" ही कहा जाए - ताकि कोई कमलगट्टा अन्याय हो जाने का "फ़र्ज़ी इल्ज़ाम" लगाने की ज़ुर्रत न कर सके .... जय भोपाल !! 

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Thursday 3 November 2016

/ मोदी सरकार के एक बोझिल मंत्री वी.के सिंह कह रहे हैं कि .. पूर्व सैनिक रामकिशन जिसने आत्महत्या कर ली - वो तो कांग्रेसी था .. और मैं रहस्योद्घाटन करता हूँ कि सरदार वल्लभ भाई पटेल भी कांग्रेसी थे - कमलगट्टे कदापि नहीं .... और रीता बहुगुणा भी कांग्रेसी थी - समझदार कदापि नहीं ..../


/ एक पूर्व सैनिक वी.के सिंह कह रहे हैं कि - सैनिकों को चार पैसे के लिए हंगामा नहीं करना चाहिए .... एक वर्तमान मंत्री वी.के सिंह यह नहीं कह रहा है कि - मोदी सरकार वही चार पैसे के लिए ही तो टुच्चई कर रही है .... हद्द हो गई .. इसलिए भद्द भी हो गई ..../


/ हरयाणा भिवानी के बामला गांव में पूर्व सैनिक रामकिशन के अंतिम संस्कार में केजरीवाल राजनीति करने पहुंचे !! .. उसके पहले राहुल सांत्वना देने पहुंचे ?? .. बाक़ी सब आग लगाने ???? ..../


// अब जिन रोतलों को केजरीवाल द्वारा राजनीति करने से परेशानी हो रही है - उन्हें हास्य नग्न तांडव नृत्य करना बंद करना ही पड़ेगा ....//


Wednesday 2 November 2016

मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि मोदी सरकार सेना पर कुर्बान है या सेना को कुर्बान करेगी ??


// यहां तो हर 'बड़े' मुंह पर ताले लगे हैं .. यहां तो हर 'बड़ी' अक्ल पर ताले पड़े हैं ....//


ताले तो लगे थे जेल पर ..
पर ताले पड़े थे अक्ल पर ..

ताले कुछ यूं खुलते चले गए ..
प्रश्न कुछ यूं उलझते चले गए ..

कौन मुजरिम था कौन मुजरिम है ..
कौन भागा था कौन भाग रहा है ..

प्रश्नों के जवाब अब कौन देगा ..
यहां तो हर 'बड़े' मुंह पर ताले लगे हैं ..

जवाब आ भी गए तो फिर प्रश्न क्यों ..
यहां तो हर 'बड़ी' अक्ल पर ताले पड़े हैं ..

(ब्रह्म प्रकाश दुआ - ०२/११/१६)

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// SIMI कैदियों की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट .. भक्तों को जश्न मनाने का एक और मौका ....//


भोपाल जेल से जिन्दा बाहर हुए - जेल से ८-१० किलोमीटर दूर खुल्ले में से सीधे जन्नत प्रस्थित हुए - वो ८ के ८ SIMI कैदियों की लाशों की इस जहन्नुम में डॉक्टरों द्वारा संपन्न पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट प्राप्त होने का दावा एक टीवी चैनल पर हो गया है .... चैनल का नाम - "आज तक" ....

और पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट के अनुसार तो ........... जी हाँ !! ये स्पष्ट होना प्रतीत होता है कि - उन दुर्दान्त कैदियों के साथ बहुत कुछ वो हुआ जो पुलिसिया कार्यवाही में होना अपेक्षित नहीं होता है .... और मेरा दिमाग इसकी पुष्ठि करता है कि उन कैदियों को जिस तरह से मारा गया .. वो कानूनन जुर्म है ....

और इसलिए मुझे लगता है कि भक्तों के लिए ये जश्न मनाने का एक और मौका है .... जी हाँ !! .. भक्तघोषित एवं भक्तसत्यापित दुर्दांत आतंकियों के प्रति क्रूरता पर जश्न मना देशभक्त होने का स्वप्रमाणपत्र ससम्मान हथिया लेने का एक और स्वर्णिम मौका ....

इसके लिए भक्तों को धिक्कार के साथ बधाई !! ....

और इसलिए मैं क्षुब्ध और स्तब्ध हूँ .. और भक्तों तथा दुर्दांत आतंकियों के प्रति मेरी नफरत और सरकार के प्रति मेरा गुस्सा बढ़ता जा रहा है .... और देश के प्रति मेरी चिंता बहुत बढ़ रही है ....

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Tuesday 1 November 2016

// भोपाल फर्जिकल स्ट्राइक .. एक सवाल मेरा भी - एक जवाब मेरा भी ....//


मोदी रे मोदी .... मरे या मारे ८ .. केवल ८ - और प्रश्न ८ हज़ार .... और गालियां देने के लिए तमाम - पर जवाब देने के लिए अब तक कोई नहीं श्रीमान !! ....

तो बहती छलछलाती प्रश्नगंगा में एक सवाल मेरा भी ....

ये SIMI के आतंकी दुर्दांत होते हैं या बेवकूफ ???? ....

और सवालों के सागर में पहला जवाब भी मेरा ही ....

ये SIMI के आतंकी दुर्दांत होते हैं लेकिन - भक्तों - भोपाल पुलिस - शिवराज चौहान से ज्यादा बेवकूफ नहीं - और भोपाल जेल के कर्मियों और अधिकारियों से ज्यादा बेचारे भी नहीं ....

अब यदि किसी के मिर्ची लगी हो तो पहले वो बता दे कि ८ कैदियों के जेल के कपड़े उतार किसने किया नंगा .. और किस नंगे ने फिर उनको नए कपड़े पहनाए ???? .... नहीं मालुम ना ?? .. इसलिए फकर-फकर करना नहीं .... और यदि मालुम हो तो फिर तो फकर-फकर बिल्कुल मत करना .. अन्यथा तुम भी शिवराज चौहान से ज्यादा बेवकूफ कहलाओगे .... समझे कि नहीं ?? ....

इसलिए कहता हूँ कि भक्तों आज तुम पूरे पारदर्शी हो चुके हो .... यानि नंगे हो चुके हो .. समझे ??

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