खादी ग्रामोद्योग के कैलेंडर में गांधी जी गायब - चरखा मौजूद - और चरखा कातते दिख रहे भक्तों के मोदी .. ..
और अब जगहंसाई शुरू हो गई है - जो बेचारे भक्तों के लिए भी एक और चिंता का विषय हो चली है .. ..
और चिंता का विषय इसलिए भी है कि गांधी जी ने तो खादी और स्वदेशी को प्रोत्साहित किया था - पर इस 'चरखे' ने तो कपडा मिलों का बट्टा बैठाते ही - अपने को चरखे के साथ विज्ञापित कर दिया ....
और इसलिए अब आप कह सकते हैं कि - "मजबूरी का नाम मोदी चरखेवाले" !!
थोड़ा इंतज़ार और करिए जनाब .. मेरा अनुमान है कि जो १००० का नया नोट आएगा तो उस पर भी महात्मा गाँधी के बजाय 'चरखे' की ही तस्वीर छपी होगी .. और कोई बड़ी बात नहीं यदि असत्य के पुजारी द्वारा कटु सत्य लिख भी दिया जाए कि - मैं धारक को एक भी रुपया अदा करने की नीयत और कूवत नहीं रखता हूँ - नरेन्द्र दामोदरदास मोदी चरखेवाले .. ..
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