Saturday 14 January 2017

// लफड़ा ये है कि भ्रष्टाचार चरखेवाले 'चरखे' की केंद्र धुरी में ही आकूत विद्यमान है ....//


सेना के जवान तेज बहादुर को कोई भी शिकायत सोशल मीडिया पर नहीं डालनी चाहिए थी .. पर शिकायत पर केंद्र को भेजी गृह मंत्रालय की प्रारंभिक रिपोर्ट - जिसमें शिकायत को झूठ करार दिया गया बताया गया है - सार्वजनिक हो जाने या किये जाने में किसी आपत्तिकर्ता को आपत्ति नहीं हुई .. ..

ये ठीक ऐसा ही है कि - मोदी क्योंकि प्रधानमंत्री हैं इसलिए किसी को उनके विरुद्ध अशोभनीय टीका टिपण्णी या बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए .. पर यदि मोदी ऐसा ही करते हैं और करते ही रहते हैं तो वो अशोभनीय नहीं माना जाएगा .. क्यों ?? .. क्योंकि समर्थ का तो कोई दोष होता ही नहीं और असमर्थ कभी सही हो सकता ही नहीं .. और क्योंकि वैसे भी मोदी का हर मापदंड दोहरा तिहरा ही होता है .. मसलन मोदी अपने 'मन की बात' लाइव सर्वाजनिक कर सकते हैं - पर उस पर यदि कोई उनकी तारीफ करे तो मोदी मंत्रमुग्ध और यदि बुराई कर दे तो मोदी विक्षुब्ध .. ..

और इस बार जवान तेज बहादुर ने कुछ वैसा ही कर दिया जैसा अनुराग कश्यप या कपिल शर्मा ने कर दिया था .. यानि वैसा ही जिससे चरखेवाले के मान या अहम् या इज़्ज़त या स्वार्थ को बैठे बैठाए बस यूँ ही ठेस लग गई .. ..

पर ठेस क्यों लगनी चाहिए थी ?? .. राजनीति लोकतंत्र और सार्वजनिक जीवन में तो ऐसा होता ही रहता है - फिर क्यों ?? .. ऐसा इसलिए कि चरखेवाले को स्वयं १००% मालुम है कि 'अच्छे दिन' और 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" मात्र जुमले दिए गए थे - और जुमलों के विपरीत भ्रष्टाचार 'चरखे' की केंद्र धुरी में ही आकूत विद्यमान है .. इसलिए भंडाफोड़ का डर उन्हें हमेशा सालता रहता है - यानि मरता क्या ना करता - यानि चोर की दाढ़ी में तिनका .. ..

और जिसका एक और जीवंत हो उठा प्रकरण है - व्यापमप्रदेश के कटनी एसपी से सभी समर्थों और भक्तों का भय और कटाव और बदहवास बचाव .. वो भी व्यापक हवाला काण्ड के प्रारंभिक 'जाँच' में ही चरखेवाले तक 'आँच' पहुँचने ना देने के कुप्रयास में पूरी मुस्तैदी के साथ .. है ना ??

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