/.. फेंकने में विश्वास करने वालों को नववर्ष की शुरुआत भी अपना जूता उतार फेंकने से ही करना पड़ी है .. शायद अब अपनी नियति और औकात अनुसार अपने कपड़े भी उतार उतार फेंकने पड़ेंगे .. क्योंकि केजरीवाल चीज़ ही ऐसी हैं - उनका स्मरण कर ही साहेब और भक्त बौरा जाते हैं - और केजरीवाल हैं कि उन्हें हमेशा अपने जूते की नोंक पर ही रखते हैं - और अपने जूते भी अपने कण्ट्रोल में रखते हैं ..../.... मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ
No comments:
Post a Comment