My blog is my reaction and analysis of the current Political and Social affairs of our country - India.
Tuesday 3 January 2017
/.. मेरी मर्ज़ी !! .. मर्ज़ी ?? .. जी हाँ आप चाहें तो होटल में सर्विस चार्ज दें या ना दें .. यानि मोदी जी के राज में तो बस सब मर्ज़ी से ही चल रहा है .. लोगों ने मर्ज़ी से गैस की सब्सिडी छोड़ दी - और खुल्ले में शौच करना भी .. .. मोदी ने मर्ज़ी से ५००-१००० के नोट बंद कर दिए .. और कई लोग मर्ज़ी से घंटों बैंकों की लाइनों में खड़े रहे .. .. खैर कुछ बेवकूफ लोग मनमर्ज़ी करते रहते हैं .. मसलन होटल में सर्विस चार्ज मर्ज़ी से देने का प्रावधान कर देना - या अपना पैसा निकालने के लिए घंटों बिना किसी ठोस उचित प्रत्याशा में खड़े रहना - या बस यूं ही शौक के लिए या 'शौक' देने के लिए नोट बंद कर देना - मनमर्ज़ी के ही ताज़ा उदाहरण हैं .. .. पर मैं यह बात समझ नहीं पा रहा हूँ कि - नोटबंदी के ५० दिन पूरे होने उपरांत जो लोग मोदी को बुरा-बुरा कह रहे हैं वो मर्ज़ी से ऐसा कर रहे हैं या मजबूरी में ?? .. और होटल में मर्ज़ी से सर्विस चार्ज देने वाला और भाजपा को मर्ज़ी से वोट देने वाला बेवकूफ क्यों नहीं कहलाएगा ?? ..../.... मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ
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