आंकड़ों में अकड़े जकड़े भक्त जरा अकड़ छोड़ गौर फरमाएं : -
जुलाई २०१३ - पेट्रोल ७०.४४ रूपए प्रति लीटर - कच्चा तेल ६१७० रूपए प्रति बैरल .. ..
जनवरी २०१७ - पेट्रोल ७०.६० रूपए प्रति लीटर - कच्चा तेल ३५९९ रूपए प्रति बैरल .. ..
और तब जो बड़बोले मोदी सौम्य मनमोहन सिंह को "मौनमोहन" बोले थे - वो बड़बोले हर विषय पर तो बड़-बड़बड़-बड़बड़ाते ही रहे - पर शर्म बेच खाने वाले काफी विषयों पर अब मौन हो चुके हैं .. ..
मसलन एक विषय और .. ..
तब बड़बोले मोदी रूपए की गिरती कीमत पर उठते हुए उठ-उठ उचक-उचक बोले थे - "दिल्ली में बैठी सरकार और रूपए में होड़ लगी है कौन कितना गिरेगा" .. .. और कहा तो यहाँ तक भी गया था कि - "जैसे जैसे रुपया गिरता है वैसे वैसे देश की गरिमा गिरती है" .. ..
और आज रुपया मोदीमय हो अपने सबसे निचले स्तर ६८.८० पर गिर चुका है .. .. और गिरे रूपए और गिरे मोदी का गिरना बिना किसी होड़ के जारी है .. ..
और नोटबंदी की शर्मनाक विफलता के बाद भी यदि लुटी पिटी जनता उद्वेलित ना हो मौन है - और भक्त स्तब्ध हो उचक रहे हैं - और बड़बोले बड़बड़ा ही रहे हैं - तो मेरे मन में भी एक प्रश्न तो खड़ा होता है कि - क्या लुटी पिटी जनता को बड़बोले मोदी अब भी पसंद हैं ?? .. ..
लेकिन विवेचना से मुझे एक बात तो स्पष्ट होती है कि .. या तो मैं बेवकूफ हूँ .. या फिर लुटी पिटी सहमी जनता बेवकूफ है .. या फिर ये बात सिरे से गलत है कि लुटी पिटी जनता बड़बोले मोदी को अब तक भी पसंद करती है .. ..
भक्तगण अपनी प्रतिक्रिया खुल कर दे सकते हैं ताकि इस बात का भी आंकलन कर पाऊं कि आखिर भक्तों का गिरता स्तर भी कहाँ तक गिरा - रूपए जितना ?? .. या फिर उनका गिरता मनोबल कहाँ तक फिसला - कच्चे तेल जितना ?? .. ..
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