Saturday 7 January 2017

// मैं पंजाब में 'आप' की चाहत जो रखता हूँ ....//


(प्रिय अरविन्द केजरीवाल को समर्पित)

सर झुका कर चलना मेरी फितरत नहीं ....
सर उठा कर चलना मेरी आदत ही सही ....

ऊपर जब भी देखता हूँ आसमाँ देखता हूँ ....
स्वच्छ विशाल खुल्ला आसमाँ तकता हूँ ....

सावन भादो तो मुझे बहुत ही भाते हैं ....
पानी वाले बादल मुझे बहुत लुभाते हैं ....

पर यूँ ही मंडराते बादलों से नफरत करता हूँ ....
रोशनी अवरोधी बादलों से नफरत करता हूँ ....
काले दगाबाज़ बादलों से नफरत करता हूँ ....
उड़ते हलकट बादलों से नफरत करता हूँ ....
मैं नशे में चूर बादलों से नफरत करता हूँ ....

क्योंकि ....

मैं खुल्ले आसमाँ की चाहत रखता हूँ ....
मैं मेरी धरती से बहुत प्यार करता हूँ ....
मैं मेरे भारत से बहुत प्यार करता हूँ ....

मैं पंजाब में 'आप' की चाहत जो रखता हूँ ....

( ब्रह्म प्रकाश दुआ - ०७/०१/१७ )

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