Tuesday 7 February 2017

/.. और मौक़ा ताड़ - अब तक संसद से मुहँ छुपाते भागते फिरते मोदी जी ने आज संसद में अपना मुहँ खोला .. और एक बार फिर अपने घटिया अंदाज़ में लफ़्फ़ाज़ी का परिचय दिया .. और शुरुआत में ही 'कुत्तों' तक का ज़िक्र करते हुए उन्होंने 'जनशक्ति' की महत्ता की बात कही .. .. मैं भी आज यही कहना चाहता हूँ कि जनशक्ति के आगे ना तो कोई कुत्ता टिका है ना कोई टिकेगा .. ..
और मुझे ये भी एहसास हुआ कि - यदि हम किसी चायवाले फ़क़ीर रोतले अकर्मण्य खोखले चरखे व्यक्ति को प्रधानमंत्री जैसा पद सौंप देंगे - तो ऐसे ही चुहलबाज़ी वाले भाषण सुनने को मिलेंगे .. .. वो तो केवल दूसरों की कमियां गिनाते रहे और दूसरों का मज़ाक और दूसरों के बारे में चुटकुले ही सुनाते रहे .. और ढाई साल के बाद भी गैस यूरिया नीम कोटिंग मनरेगा गरीब सब्सिडी-बचत स्वच्छता चोरी-रोक सरकारी-फायदा आदि के बारे में घिसी पिटी बातें ही करते रहे - क्योंकि उनके पास इससे ज्यादा की उपलब्धि भी नहीं है और क़ाबलियत भी नहीं है .. और इस कारण मुझे अभी तक तो किसी का भला हुआ हो ऐसा कुछ भी दिखा नहीं .. .. पर यदि आपको लगता है कि मोदी आपका भला कर सकेंगे तो आपको मुबारक .. मुझे तो ऐसा आभास तक नहीं होता - और इसलिए मेरा उनके प्रति जिम्मेदारी के साथ विरोध जारी है और रहेगा .. ../
मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ

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