Monday 6 March 2017

/.. कहा जाता रहा .. "सुबहो बनारस - शामे अवध - शबे मालवा" की तो बात ही न्यारी है .. ..
पर अब ये बात हुई पुरानी .. .. नया ज़माना - नई बात .. ..
चुनाव हों तो .. पौ फटी काशी - सूर्योदय वाराणसी - पहली प्रभात बनारस - सुबहो बनारस - दोपहर बनारस - सूर्यास्त बनारस - शामे क्योटो - शबे क्योटो - नाइटो क्योटो - वाह !! क्या बात है .. ..
और फिर प्रचार ख़त्म .. और फिर रात गई बात गई .. और भैंसे गईं गंगा में .. और गधे सरपट दौड़ फरार .. ..
अब शायद अगली बात होगी .. ..
उठने से सोने तक और सोने से उठने तक .. वड़नगर वड़ोदरा गुजरात .. .. माँ-सी साबरमती ने बुलाया .. .. आइये गुजरात .. २-४ रात भी बिताइए - कच्छ में साथ-साथ ..../

मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ

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