Friday 24 March 2017

// डरने की जरूरत नहीं है ?? .. या फिर डराना ही नहीं चाहिए ?? ....//


रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में ऐसे कई वाकये आते हैं जब कोई किसी को कह रहा होता है कि डरो मत डरने की जरूरत नहीं - पर सामने वाला डर रहा होता है .. वो डर रहा होता है कभी बिना किसी ठोस कारण के और कभी बहुत ही वास्तविक कारण से भी .. ..

मसलन एक स्थिति ऐसी होती है कि - एक 'खराब लापरवाह मेजबान' अपने घर में डॉगी को खोल के रखता है - और जब मेहमान डरता है तो उसे समझाता है - डरो मत ये कुछ नहीं करेगा - और लगे हाथ डॉगी को हिदायत भी देता रहता है - नो !! कम !! .. और उधर डॉगी मेहमान के आस पास मंडराता रहता है और डर के मारे मेहमान की जान सूखती रहती है .. और कभी कभार ऐसा बद्तमीज़ मेजबान मेहमान का उपहास भी करता है - और एक अजब ही प्रकार के आनंद की अनुभूति भी करता है .. ..

और दूसरी स्थिति ऐसी होती है कि - एक 'अच्छा शिष्टाचारी मेजबान' घर में मेहमान आने पर डॉगी को चेन से बांध देता है - और फिर मेहमान का स्वागत करता है - और फिर भी यदि डॉगी के भौंकने मात्र से ही मेहमान डरे तो वो डॉगी को जोर से डांटता भी है - डॉगी नो !! - और उसे चुप कराता है - या फिर उसे वहां से लेजाकर कहीं और बाँध आता है .. और तब मेहमान कृतज्ञ हो काफी बेहतर महसूस करता है .. ..

लेकिन अफ़सोस !! .. आजकल देश में ये डरने डराने की 'खराब लापरवाह मेजबान' जैसी स्थिति निर्मित हो रखी है .. .. जब से केंद्र और अब यूपी में भाजपा की सरकार आई है - कुछ विशेष लोगों को खुल्ला छोड़ कहा जा रहा है कि .. अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है .. .. गोया कि समझाया जा रहा है कि "डॉगियों से डरने की जरूरत नहीं है - ये डॉगी कुछ नहीं करेंगे - डरो मत" .. .. और 'डॉगी' अपनी हरकतों से बाज़ आएँगे ऐसा भरोसा होता ही नहीं है .. और इसलिए स्वाभाविक ही एक डर का वातावरण व्याप्त हो रहा है .. ..

और मेरा कहना सिर्फ इतना ही है कि आप देश का वातावरण ही ऐसा बना कर रखें कि यहाँ कोई भी स्वाभाविक रूप से ही ना डरे .. और हाँ डराने का कुत्सित प्रयास कर किसी का उपहास करने की और आनंदित होने कि तो सोचें भी नहीं .. क्या है ना कि ऐसा अकारण करना आपको शोभा नहीं देता .. ये तो शिष्टाचार के मूल सिद्धांतो के ही खिलाफ है  .. इसे बद्तमीज़ी भी कहते हैं .. ..

यानि बेहतर होगा कि उपरोक्त उदहारण के परिप्रेक्ष्य में एक 'अच्छे शिष्टाचारी मेजबान'  का परिचय दिया जाए और 'डॉगियों' को चेन से बांधकर रखा जाए .. ..

और यदि अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा अच्छा व्यवहार होगा तो ना केवल वो स्वतः ही नहीं डरेंगे - बल्कि वो निडर प्रसन्न कृतज्ञ हो आपके गले भी लगेंगे - और सबके साथ कंधे से कंधा मिला देश को आगे बढ़ाएंगे !! .. .. तो कुछ ऐसा ही कर के तो देखें जनाब !! .. धन्यवाद !! .. !! जय हिन्द !! .. ..

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