Tuesday 14 March 2017

// प्यार और युद्ध में - तथा कांग्रेस के साथ - सब जायज़ है ....//


दादा-भैया बुलंदी पर हैं - और दादागिरी चरम की ओर - और शायद इसलिए अब जरा जोर-शोर से बारम्बार बोले जाने लगा है कि .. " प्यार और युद्ध में सब जायज़ है " .. " राजनीति में सब चलता है " .. ..

और ऐसा बोल-बोल कर धड़ल्ले से खुल्लमखुल्ला वो सब किया जा रहा है जो अवांछनीय है घटिया है शर्मनाक है और अमर्यादित है .. और राजनीति केवल घृणा उपहास मारा-कूटी बेइज़्ज़ती करने का लाइसेंस प्राप्त करने का एक आधिकारिक संवैधानिक माध्यम बन कर रह गई है .. .. और साम दाम दंड भेद से भी यदि कुछ ज्यादा होता होगा तो वह केवल राजनीति में ही किया जाकर और जायज़ मानकर वाकई युद्ध ही लड़े जा रहे हैं .. ..

और इसलिए मैं महसूस कर रहा हूँ कि प्यार तो फ़ोकट बदनाम किया जा रहा है - क्योंकि अब राजनीति में प्यार का क्या काम ?? .. है ना !! .. ..

पर ध्यान रहे - मैं ऐसा लिख गोवा या मणिपुर की घटनाओं के विरुद्ध नहीं बोल रहा हूँ .. क्योंकि गोवा और मणिपुर में जो हुआ वह यद्यपि स्वस्थ राजनीति के अनुरूप ना हो - पर कांग्रेस के साथ जो हुआ वो तो श्रेयस्कर ही हुआ .. क्योंकि कांग्रेस की हालत तो ऐसी हो गई है कि ना तो कांग्रेस से कोई युद्ध लड़ने में मज़ा रह गया है और ना ही प्यार करने का कोई कारण है .. इसलिए अब कांग्रेस के साथ तो जो नाजायज़ करना है कर लो .. सब जायज़ ही माना जाएगा .. ..

यानि आप चाहें तो नया जुमला गढ़ सकते हैं कि .. प्यार और युद्ध में तथा कांग्रेस के साथ सब जायज़ है .. .. और ऐसा ही तो है भी ना !! .. ..

पर ध्यान यह भी रहे कि कांग्रेस और भाजपा में भी कोई मूल फर्क नहीं है .. इसलिए जुमले का भविष्य में विस्तार होना भी तय होगा .. .. बस आप देखते जाइये !! .. ..

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