Thursday 9 March 2017

// क्या पुलिस मैन्युअल में लिखा है कि किसी को ढूंढने के पहले उद्घोषणा जरूरी है ?? ..//


आज के दैनिक भास्कर में एक खबर छपी है - जो किसी के लिए बहुत चिंतनीय और किसी के लिए रोचक हो सकती है .. ..

खबर के अनुसार - लखनऊ में मंगलवार रात आतंकी सैफुल्ला के साथ मुठभेड़ के चलते पूरे यूपी में हाई अलर्ट था .. और इस अलर्ट के चक्कर में इटावा पुलिस ने तेलंगाना एटीएस के ३ जवानों को ही आतंकी समझ पकड़कर हवालात में डाल दिया और रात भर अच्छी खासी धुनाई भी की .. बेचारों का कसूर इतना था कि उन्हें हिंदी नहीं आती थी और यूपी के होनहारों को तेलगू संपट नहीं पड़ती थी .. ..

वाह !! सदके जावां !! ऐसे जवानों पर - और ऐसी पुलिस पर - और ऐसे तालमेल पर - और ऐसी पेशेवर दक्षता पर .. सुभानअल्लाह !! .. ..

और भक्त हमें कोसते हैं कि हम दिमाग क्यों रखते हैं और उनकी बातों पर विश्वास क्यों नहीं करते - और तो और यदि कोई और किसी बात का विवरण या सबूत मांगे तो उसका साथ क्यों दे देते हैं .. ..

और यही कारण है कि मुझे बेचारे भक्तों की अक्ल पर तरस आता है .. और उन जिम्मेदारों पर भी जो यूपी पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मारे जाने वाले आतंकी के बारे में सबकुछ पहले से ही जानते हुए सबकुछ तत्काल और लगातार उगलते ही जाते हैं - और उसके मारे जाने के पहले ही सबकुछ उगल देते हैं .. .. है ना !!

और तो और अब तो हद्द ये हो गई कि अब यहाँ तक उगला जा रहा है कि सैफुल्ला का बॉस था कोई डीएम खान - और अब पुलिस उसे भी ढूंढ रही है .. ..

शायद बेवकूफों का ज्ञान ये कहता होगा कि पुलिस मैन्युअल में किसी अपराधी को ढूंढने के पहले ऐसी घोषणा करना आवश्यक हो कि जांबाज़ पुलिस तुम्हें ढूंढने निकल पड़ी है - तुम में दम हो तो अब छुप के बताओ .. .. ऐसा भी तो हुआ ना !! .. .. छी: !! .. ..

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