Sunday 2 April 2017

/.. अब सहिष्णुता तो अपने चरम पर पहुँच कर रहेगी ..

क्योंकि असहिष्णुता जैसी तो बात करना भी अब जोखिम भरा होता जा रहा है .. और इसे दमन भी कहते हैं जो मुट्ठी भर लोगों के लिए लाभकारी होता है पर ज्यादातर के लिए हानिकारक .. ..
मुझे लगता है कि लोग पिछले ६०-७० साल से स्वच्छंदता से जीते-जीते ऊब से गए हैं .. शायद कुछ ठिठौली के लिए बदलाव चाहते हैं .. और बदलाव आता स्पष्ट दिख रहा है .. देश बदल रहा है !! .. ../

मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ

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