Monday 3 April 2017

// विदेशों में पड़ा कालाधन साहब ने यूं ही छोड़ दिया होगा ?? .. मज़ाक है क्या ?? ....//


ओत्तेरेकी !! .. बात बात में पोल खुल गई - दिमाग की बत्ती जल गई !! ..

टिकाऊ भक्त टेके पे टेका लगाए जा रहा था .. .. साथ तो सबका ही लिया ना - ऐसे थोड़े ही जीत गए - विकास भी सब का हो रहा है तभी तो सब ने वोट दिया .. नए रोजगार पैदा कर तो दिए - देखा नहीं नोटबंदी के बाद से अब तक कितने साथी एजेंट का काम करने लगे - फिर पुराने धंधे यदि बंद हुए तो नए लोगों को काम करने का अवसर मिलेगा कि नहीं - तो नए-नए रोज़गार के अवसर आएँगे कि नहीं .. जब पुरुषों पर ज्यादती की जा रही है तो महिला सुरक्षा का काम ही तो हो रहा है ना - क्योंकि महिलाओं को असुरक्षा तो पुरुषों से होती थी ना .. ..

बस भक्त फ्लो में था  .. और फिर कह गया .. कालाधन लाने का कहा था ले आए होंगे .. आप कैसे कह सकते हैं कि नहीं लाए होंगे ?? .. !! .. ?? .. !!

बस दिमाग की बत्ती जल गई !! .. साहब ने कहा था - कालाधन विदेशों में .. साहब गए विदेशों में .. साहब को तो सब पता था - कहाँ कितना - तो विदेशों में पड़ा कालाधन साहब ने यूं ही छोड़ दिया होगा ?? .. ..

नहीं !! - विदेशी कालेधन का कर लिया होगा जुगाड़ - ठीक वैसे ही जैसे कई बार पुलिस के हत्थे चढ़े चोर से पुलिस चोरी-चोरी डकैतों की तरह पूरा माल हथिया डकार लेती है - या कई बार मिल बाँट भी लेती है .. .. ..

चुनावों में धनबल से प्राप्त जीत - और बिना जीत भी विजय - इस धंधे में एक बड़ा इन्वेस्टमेंट हुआ दिखता भी है .. .. और अब एमसीडी में धनप्रवाह के साथ धाराप्रवाह कुप्रयास शुरू हो ही गए हैं - तथा महाराष्ट्र में एक नए विजय फॉर्मूले का क्रियान्वयन भी सन्निकट है .. ..

इसलिए साहब ने जो कहा कर मारा .. कारनामा हो गया .. वर्ना कौन विश्वास करेगा कि साहब ने कहा था कि विदेशों में पड़ा कालाधन लाएंगे - और वो नहीं ला पाए .. साहब लल्लू-चप्पू-पप्पू हैं क्या .. मज़ाक है क्या ?? .. ..

और बता दे रहा हूँ कि यदि आप ये सोच रहे हैं कि मैं कोई मज़ाक कर रहा हूँ तो आप जाने .. क्योंकि क्या है ना कि मैं कई बार मज़ाक भी गंभीरता से करता हूँ - और कई बार गंभीर बात भी मज़ाक में कर जाता हूँ .. जी हाँ !! गंभीर बात मज़ाक में !! .. हा !! हा !! हाँ !! .. ..

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