Tuesday 23 May 2017

// तो क्या 'धूर्तता' करने वालों को भी 'धूर्त' नहीं कहेंगे - 'माननीय' ही कहते रहेंगे ?? ....//


इस देश में सरकार में बैठे किसी साधारण प्रतिभा और असाधारण जुगाड़ के व्यक्ति को कोई यदि "धूर्त" कह देता है तब तो उसकी 'मानहानि' हो जाती है और वो भी नपी-तुली सटीक १० करोड़ रूपए के मूल्य बराबर और वो भी न्यायविदों के ठप्पे के साथ .. ..

पर इसी देश की इसी सरकार में बैठे सरकार की 'सामूहिक-जवाबदारी' से लादे गए इसी व्यक्ति समेत पूरी सरकार के अन्य सभी 'माननीय' व्यक्ति - जब इसी देश में चरम की गुंडागर्दी के चलते और पंगु और अंध न्याय व्यवस्था के चलते - जब न्याय को ठेंगा बताते सरकारी संरक्षित गुंडों के द्वारा निरपराध नागरिकों को धर्म और सम्प्रदाय के वर्गीकरण के कारण सरेआम बेख़ौफ़ पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया जाता है - तब इन्हीं सरकारी प्राणियों की 'धूर्तता' की चरम अवस्था देखें - कि तब ना तो इनके अभिमान की - ना इनके ईमान की - ना इनके मान की कोई हानि होती है .. .. यानि आप कह सकते हैं - बेईमान !! .. ..

और ना तो इनकी आत्मा इन्हें कचोटती है और ना ही कोई इन्हें कचोटता है .. और पीड़ितों का चीत्कार इनके बुलंद अट्टाहास में दबकर सुनाई देना बंद हो जाता है .. ..

और फिर ऐसी 'धूर्तता' करने वालों को भी देश "माननीय" ही संबोधित करता रहता है .. ..

और इसलिए प्रश्न उठता है कि .. क्या 'धूर्तता' करने वालों को भी 'धूर्त' तक नहीं कहेंगे - 'माननीय' ही कहते रहेंगे ?? .. आखिर कब तक ?? .. और आखिर क्यों ?? .. क्या केवल इसलिए कि 'धूर्त' बोला नहीं १० करोड़ लगे नहीं ?? .. तो क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल्य भी अब इस देश में १० करोड़ रूपए बराबर .. यानि यदि जेब में १० करोड़ हैं तो ही 'धूर्त' को 'धूर्त' बोलने कि 'धूर्तता' करो अन्यथा तो 'माननीय' ही बोलना पड़ेगा ?? .. ..

और क्या चोर को चोर बोलने के लिए या भ्रष्ट को भ्रष्ट बोलने के लिए भी पहले अपनी जेब और औकात को टटोलना होगा ?? .. .. क्या न्यायलय में चोरी के मुक़दमे में आरोपित चोर को चोर या शातिर या बदमाश या उचक्का या धूर्त बोलना निषेध रहेगा ?? .. ?? .. ?? ..

मित्रो !! यदि पीड़ितों के चीत्कार को आप सदैव अपने ज़हन में रखेंगे तो मुझे लगता है खाली जेब भी आप 'धूर्त' को 'धूर्त' बोलने का साहस कर सकेंगे - और करना ही होगा .. वरना तो भक्तों के इन सभी 'माननीयों' को भक्तों के समान ही "माननीय" बोलते रहें .. मर्ज़ी और मजबूरी आपकी - आप ही जानें !! .. ..

वैसे आत्मग्लानि तो मुझे भी हो रही है कि मैंने भी इतना घुमा-फिराकर ही कहने का प्रयास किया पर हिम्मत नहीं कर पाया कि सीधे-सीधे धूर्त को डंके की चोट पर धूर्त कह दूँ .. लेकिन फिर भी काफी कुछ तो कह दिया ना !!  .. ..

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