Friday 2 June 2017

// जब तक कोई पीटेगा नहीं - ये पिटेंगे कैसे ?? .. ..//


'मन की बात' चल रही थी ..
किसी ने पूछ लिया .. बिना अंडा फोड़े चूज़ा बाहर आ सकता है ?? ..
दिमाग था नहीं ..
डेढ़ अक्ल का उपयोग कर बोले .. ये अंडे में चूज़ा अंदर घुसता कैसे है ?? ..
अंडा फोड़ के नहीं घुसता ..
तो फिर कैसे घुसता है ?? ..
वो तो अंदर ही पैदा होता है .. जैसे विकास पैदा होता है ..
अच्छा अच्छा समझ में आ गया ..
तो पैदा क्यूँ नहीं किया ?? ..
बस विकास होने ही वाला है ..
पर मैं विकास का नहीं चूज़े का पूछ रहा हूँ - चूज़ा पैदा क्यों नहीं किया ?? ..
हुआ नहीं ?? ..
हुआ नहीं की किया नहीं ?? ..
कुछ भी समझ लो ..
यानि केजरी सही कह रहा है ?? ..
क्या मतलब ?? ..
यानि जब तक छेड़ोगे नहीं - छिड़ेगी नहीं ..
बात तो सही है ..
तो फिर मूल प्रश्न का जवाब दो - बिना अंडे फोड़े चूज़ा बाहर आ सकता है ?? ..
नहीं आ सकता ..
तो बिना ईवीएम छेड़े सही परिणाम आ सकता है ?? ..
नहीं आ सकता ..
तो क्या अब पिटोगे ?? ..
नहीं ..
क्यों ?? ..
तुम ही बताओ .. जब तक कोई पीटेगा नहीं - कोई पिटेगा कैसे ?? ..

और इसलिए मुझे लगा .. कि अब चूँकि भक्त लोग अंडे और गधे के बाद गाय बैल सांड भैंस को निपटाने के बाद मोर पर देश को बरगलाए और उलझाए हुए हैं - और इसके पहले कि वो बरगद पीपल बिल्ली काले कुत्ते पर देश का ज्ञानवर्धन कर डालें - और सांप और मोर के प्रजनन के अंतर के बारे में चर्चा करने लगें - बेहतर होगा मैं आपको मर्म की बात समझा ही दूँ - और वो भी संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग के क्रियाकलापों के हवाले से .. और मर्म की अकाट्य बात यही वही एक ब्रह्मवाक्य में समाहित है कि .. ..

जब तक कोई पीटेगा नहीं - ये पिटेंगे कैसे ?? .. ..

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