Saturday 3 June 2017

// खपते मरते किसान को क्या करना था क्या नहीं - बेशर्मों से जानिए ?? .. ..//


महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी फूटी किस्मत किसानों का गुस्सा फूटता दिखा - और दोनों ही भाजपा अभिनीत सरकारों का रवैय्या भी टुच्चा सा .. .. वो इसलिए कि हर कोई किसानों की समस्याओं को तो नकार ही नहीं रहा है - पर हर बेशर्म पूरी बेशर्मी से यही कह रहा है कि आंदोलन नहीं करना चाहिए था - और करना भी था तो आंदोलन का यह तरीका गलत है .. .. कोई कह रहा है कि सब्जियों को सड़क पर फेंक ऐसी बर्बादी ठीक नहीं - इससे बेहतर होता कि गरीबों में बाँट देते .. दूध को ऐसे डोल कर बर्बाद करना भी गलत - बेहतर होता भूखे बच्चों के पेट में डाल देते .. ..

और मैं सोच रहा हूँ कि ये भक्त नेता सरकारें कितनी बेशर्म हो गई हैं कि अब सोच रही हैं कि अपनी ही समस्याओं से जूझ रहे आत्महत्या कर रहे आंदोलित किसान गरीबों को मुफ्त सब्जियां भी बांटें और भूखे बच्चों के पेट में दूध भी डालें .. भयावह !! .. ..

कितने घिनौने लोग हैं ना ये सब !! .. बेशर्म टुच्चे अतार्किक मक्कार स्वार्थी !! .. .. और इन्हीं लोगों के द्वारा ही ऐसी समस्याओं को गरीब के आंसू पी-पी कर जन्म दिया गया लगता है .. .. बस यही मौका है पहचान करें ऐसे लोगों की और इन्हें सत्ता और समाज के उच्च पदों से उखाड़ फेंकने का प्रयास करें .. ..

अन्यथा ये सारी फल साग सब्जी दूध मलाई सब डकार गरीब को भूखे मरने पर मजबूर करते रहेंगे .. और उपदेश भी देते रहेंगें - ये बहुत खतरनाक प्रजाति के लोग हैं .. इनसे संभल कर भी रहना होगा .. सावधान !! .. .. क्योंकि शायद सब्जी दूध डुलने से व्यथित हो प्रवचन देते ये वही लोग हैं जो गौरक्षा का अभियान भी आप देखें कितनी वीभत्स्ता और क्रूरता और बेशर्मी और अधार्मिक और असंवैधानिक तरीकों से चला रहे हैं .. ये तो मरी गाय के चमड़े की बेल्ट से ज़िंदा आदमी को पीट-पीट कर मार देते हैं .. यानि दरिंदगी की भी तौबा !! .. ..

और हाँ इस प्रजाति के दिल दिमाग को झकझोरने के लिए एक सुझाव भी .. .. मैं किसानों की हर मांग का समर्थन करता हूँ - और यदि मेरे मुख्यमंत्री शिवराज भी किसान समस्याओं और उनकी मांगों को उचित मानते हैं (जैसा कि उन्होनें सार्वजनिक बयान में कह डाला है) तो उन्हें आंदोलन से हो रहे समस्त नुक्सान की भरपाई की जिम्मेदारी भी स्वतः वहन करनी चाहिए .. ..

और भक्तों को चाहिए कि वे शिवराज और उनके पूरे मंत्रिमंडल से कहें कि वो अगले कुछ वर्ष तक साग सब्जी दूध का त्याग कर गरीबों में अपने व्यक्तिगत खर्च पर (सरकारी खर्च पर नहीं) मुफ्त वितरण करें .. .. बची है किसी भक्त में इतनी मिद्द ?? .. !! जय हिन्द !!

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