Friday 9 June 2017

// कृपया किसानों से आंदोलन करने का श्रेय छीनने की धूर्तता तो ना करें .. ..//


अब नई बात सुनो !! .. .. कुछ लोग कह रहे हैं कि .. यह किसान हो ही नही सकते - जिन्होंने फल वालों का ठेला उलट दिया - महिलाओं का सर फोड़ दिया - बसों में आग लगा दी - ट्रकों को लूटकर फूंक दिया - लाखों लीटर दूध बहा दिया !! .. .. फिर ये कौन हैं जो किसान को बदनाम कर रहे हैं ?? .. ..

मेरी प्रतिक्रिया .. ..

जिन्होंने फल वालों का ठेला उलट दिया - महिलाओं का सर फोड़ दिया - बसों में आग लगा दी - ट्रकों को लूटकर फूंक दिया - लाखों लीटर दूध बहा दिया .. तो क्या वो छात्र हो सकते हैं - क्या वो मजदूर हो सकते हैं - क्या वो शिक्षक हो सकते हैं - क्या वो व्यापारी हो सकते हैं - क्या वो जाट हो सकते हैं - क्या वो दलित हो सकते हैं - क्या वो मुसलमान हो सकते हैं - क्या वो हिन्दू हो सकते हैं .. या इनमें से भी कोई नहीं ?? .. ..

तो यानी ये तो असामाजिक तत्व ही हो सकते हैं .. है ना !! .. ..

तो क्या पूर्व में किसी छात्र मजदूर शिक्षक व्यापारी जाट दलित मुसलमान हिन्दू ने कभी आंदोलन नहीं किया जिसमें फल वालों का ठेला नहीं उलट दिया - महिलाओं का सर नहीं फोड़ दिया - बसों में आग नहीं लगा दी - ट्रकों को लूटकर नहीं फूंक दिया - लाखों लीटर दूध नहीं बहा दिया था ?? .. ..

तो फिर क्या ये मान लूँ कि आंदोलन तो असामाजिक तत्व ही करते हैं ना ?? ..
तो फिर प्रत्येक आंदोलन को कुचला क्यूँ नहीं जाए ?? .. ..

अब या तो मेरी बात का जवाब दें - या फिर मान लें कि वर्तमान में जो आंदोलन चल रहा है वो किसान आंदोलन ही है .. कृपया किसानों से आंदोलन करने का श्रेय छीनने की धूर्तता तो ना करें .. ..

अन्यथा इन किसानों की आने वाली पीढ़ियां भी इनको कोसेंगी कि - बिना कोई आंदोलन करे या प्रयत्न करे या प्रतिकार करे ये यूँ ही खप मर गए - या मार दिए गए - और ये हार मान ऊपर चले गए और हमें नकारा सरकारों और असामाजिक तत्वों के हाथों शोषित होने के लिए छोड़ गए !! .. ..

बहुत अन्याय हो चुका किसानों पर - अब कृपया उन्हें बख्श दें .. धन्यवाद !! .. ..

जय किसान !! जय हिन्द !!

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