Saturday 10 June 2017

// "ढाई युद्ध" का डायलॉग - "डेढ़ अक्ल" का परिचायक तो नहीं ?? .. ..//


भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने कहा कि सेना एक समय में अपनी आतंरिक सुरक्षा के साथ पाकिस्तान और चीन के साथ "ढाई युद्ध" लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार है ....

मेरी प्रतिक्रिया .. ..

मैनें माना कि सेना बिल्कुल तैयार होगी - पर मैं इसे "डेढ़ अक्ल" का परिचायक मानता हूँ - इसलिए नहीं कि मुझे अपनी सेना की क्षमता पर या रावत साहब की सैन्य कुशलता पर कोई शक़ है - बल्कि इसलिए कि मुझे लगता है कि सेनाध्यक्ष को इस प्रकार के ५६ इंची डायलाग देने से बचना चाहिए .. अपनी ना सही - अपने पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए .. ..

ज्ञातव्य हो कि कुछ दिन पहले भी विपिन रावत जी बड़ी बेबाकी से कह गए थे कि - "लोगों को आर्मी का डर होना ही चाहिए - जिस देश में आर्मी का डर खत्म हो जाता है उस देश का पतन भी तय हो जाता है" .. .. और उनके द्वारा कश्मीरी शख्स को जीप के बोनट से बांधने वाले मेजर गोगोई वाले प्रकरण में भी कई बयान दिए गए थे .. और उसके बाद इतिहासकार पार्था चटर्जी ने सेना प्रमुख रावत की तुलना जनरल डायर से कर दी थी तो विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी .. ..

और यह भी ज्ञातव्य हो कि पूर्व में रावत साहब सहित कई अन्य जिम्मेदार इस आशय की बातें कह चुके हैं कि सेना की क्या तैयारियां हैं या उसकी क्या क्षमता है या उसकी क्या योजना है - वो कभी भी पहले से सार्वजानिक नहीं की जा सकतीं या की जानी चाहिए .. .. 

जहां तक तैयारी की बात है तो ये सेनाध्यक्ष का कर्तव्य है कि वो अपनी इस जिम्मेदारी का बेहतर से बेहतर निर्वहन करे .. और बयान बयानवीर जेटली जैसे रक्षामंत्री को देने दें जिन्हें ये और यही काम बेहतर तरीक से करते आता है .. .. 

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