Thursday 8 June 2017

// 'किसान आंदोलन' या 'किसान विद्रोह' - या अब दमन या आक्रोश !! - आगे क्या ?? ..//


जी हाँ !! .. सामान्यतः इसे 'किसान आंदोलन' कहा माना जा रहा है ..
अपरिपक्व बिकाऊ मोदिया इसे बिना अक्ल और क़ाबलियत सब कुछ 'किसान संबंधित' बता जो चाहे भोंडे तरीके से पेल रहा है - धकेल रहा है - उछाल रहा है - मजे ले रहा है ..
भाजपा सरकार इसे चालाकी और बेशर्मी से राजनीति बता रही है ..
और भक्त इसे सदैव वाली मूर्खतावश साज़िश बता रहे हैं ..
और कुछ अधिक मूर्ख इसे गुंडई भी बता रहे हैं ..

और कुछ समझदार समझ गए हैं कि ये 'किसान आंदोलन' नहीं - ये 'किसान विद्रोह' है ..
और किसानों की हत्याएं ये सबूत दे रही हैं की ये तो 'किसान दमन' ही है .. ..

और मैं महसूस करता हूँ कि ये सब कुछ पूरे देश की 'किसान दुर्दशा' के रहते एक चालाक स्वार्थी सनकी प्रधानमंत्री का एक यूपी प्रदेश के चुनाव जीतने के लिए यूपी में असंवैधानिक तरीके से 'किसान क़र्ज़ माफ़ी' की घोषणा कर देने का दुष्परिणाम है .. और पूरी भाजपा तथा मोदी द्वारा २०१४ चुनाव पूर्व से अब तक लगातार किसानों को उनकी दुर्दशा से बाहर निकालने के सब्जबाग दिखा उल्टे किसानों की दुर्दशा कर देने का दुष्परिणाम है .. ..

और नतीजा ये है कि अब ये तथाकथित किसान आंदोलन "आक्रोश" में बदल चुका है .. और सरकार और बैंक 'किसान क़र्ज़ माफ़ी' की औकात नहीं रखते - और अन्य वायदे पूरी करने की नीयत नहीं रखते .. और किसान मोदी और सरकार को माफ़ करने के मूड में नहीं दिखते .. ..

इसलिए मामला गंभीर हो उलझा उलझाया है .. और स्थायी समाधान का तो पता नहीं - पर तात्कालिक समाधान तभी संभव होगा जब मरता खपता किसान मन मसोस खून के घूँट पी संवेदनशीलता का परिचय दे जनहित में आंदोलन - विद्रोह - आक्रोश प्रदर्शन आदि खत्म कर देगा - वर्ना बेशर्म टुच्ची सरकारों की तो कोई औकात बची नहीं दिखती .. है ना !! .. ..

!! जय किसान !! !! जय हिन्द !! .. ..

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