Thursday 3 August 2017

// एक स्वतंत्र कुत्ते की अंतरात्मा की आवाज़ .. .. ..//


आज रात भर गली में बिना पट्टे का एक स्वतंत्र कुत्ता रोता रहा .. ऊंऊंऊं - ऊंऊंऊं .. और मुझे लगा कि ये उसकी अंतरात्मा की आवाज़ होगी .. ..

ऐसा इसलिए कि सावन के इस सीज़न में भिन्न-भिन्न जंतुओं की अंतरात्मा की आवाज़ों की झड़ी लगी पड़ी है .. ..

अभी अंतरात्मा से ओतप्रोत राष्ट्रपति चुनाव निपटे ही थे - कि ताज़ा-ताज़ा एक दोगले की अंतरात्मा की आवाज़ ना जाने कहाँ से निकली और उसे सुनाई भी दे गई - और उसने पलटी लगाई - उल्टी करी - हवा खराब करी - और टुच्चई भी करी .. ना मालूम आवाज़ अंतरात्मा की ही थी या पेट में अजीर्ण होने के उपलक्ष में निकली - ये तो उसकी आत्मा ही बेहतर जाने .. पर वो सर्टिफाइड तो अंतरात्मा की ही आवाज़ करी गई .. और सर्टिफिकेट भी किसी लल्लू-लालू ने नहीं दिया - बल्कि दिया सरकारी साहेब ने .. समझे !! .. .. 

और अभी ८ अगस्त को तो कुछ अपनी आत्मा बेच खाए नेता अपनी स्वयं की निजी अंतरात्मा की ही आवाज़ पर पार्टी बताए अनुसार वोट कर अपने ही जैसे कुछ और आत्मविहीनों को माननीय सदस्य चुनने वाले हैं ..  जी हाँ ये सब कुछ भी होगा अंतरात्मा की ही बुलंद आवाज़ पर .. ..

पर मूल प्रश्न तो यही खड़ा हो रहा है कि - कुत्ता क्यों रो रहा था ?? .. उसकी अंतरात्मा रुदाली क्यों कर रही थी ?? .. ..

और जो मैं समझ पाया वो ये कि - वो सोच रहा होगा कि - जब पैदाइशी कुत्ता वो - तो देश में इतनी कुत्तई कर ऐश ये इतने ढेर सारे ढोर नेता कैसे कर रहे हैं ?? .. ..

और मेरी अंतरात्मा कहती है कि - बिना पट्टे स्वतंत्र कुत्ते की अंतरात्मा की आवाज़ बिल्कुल स्पष्ट और सही है .. वरना पट्टे से बंधे गुलामों की क्या आत्मा और क्या अंतरात्मा और कैसी आवाज़ ?? .. है ना !!

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2 comments:

  1. Yes we agree with you but bhakta are like Patte wala kutta , So we cant expect loyalty against Democracy from Bhakts.

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  2. Yes we agree with you but bhakta are like Patte wala kutta , So we cant expect loyalty against Democracy from Bhakts.

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