Sunday 6 August 2017

// हम युद्ध नहीं चाहते - पर चीन तो युद्ध थोप रहा है .. तो उगलो क्या कीजे ?? .. ..//


क्या कोई समझदारी का दावा करने वाला समझदार मुझे बताएगा कि .. ..
ऐसा मानना या ऐसा विश्वास करना या ऐसा बोलना या ऐसा समझाना या ऐसा बताना कि .. चीन बहुत शातिर है - बहुत खुराफाती है - बहुत ताकतवर है - बहुत बदमाश है - बहुत बदनीयत है - और युद्ध की धमकी दे रहा है - और यद्ध भी कर सकता है - और हमें सबक सिखा सकता है - आदि .. क्या देशद्रोह है या बुज़दिली है या कायरता है - या डूब मरने जैसी बात है - या "एंटी-नेशनल" है ?? .. ..

और क्या ऐसा कहना भर कि - हम चीन को सबक सिखा देंगे - देशप्रेम है या बहादुरी है ?? .. ..

वैसे अभी मैं खामोश हूँ .. क्योंकि कई बार एक तरफ गड्ढा और एक तरफ खाई की स्थिति होती है .. और लाचारी भी .. .. और इसलिए ही मैं केवल समझदारी का दावा करने वाले समझदारों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहा हूँ .. .. और भक्तों और फ़ोकट फूंफां करने वालों को नज़रअंदाज़ !! .. ..

पर हाँ इतना जरूर बताना चाहूंगा कि मैं भी समझदार होने का दावा करता हूँ और चेताना चाहता हूँ कि स्थितियां विकट हैं .. चीन हम पर युद्ध थोपने पर आमादा है .. और यदि "युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं" तो क्या ऐसी स्थिति में युद्ध करना उचित होगा या पीठ दिखाना ???? .. ..

और यदि युद्ध करना उचित होगा तो क्या साम्प्रदायिकता से भरपूर सभी मुद्दों को विराम दे पूरी एकता के साथ मुकाबला करने के अलावा भी कोई अन्य विकल्प होगा ?? .. और यदि कोई अन्य विकल्प नहीं होगा - तो क्या कोई पंडित इस कार्य हेतु कोई मुहूर्त निकालेगा या ऐसा करना तत्काल ही उचित होगा ?? .. ..

तो आइए कुछ समय के लिए जरा साहेब के धाँसू नारे "सबका साथ - सबका विकास" को थोड़ा एडजस्ट कर लेते हैं .. और सब मिलकर नारा लगाते हैं .. ..

" सबका साथ - सबका युद्ध !! .. !! जय हिन्द !! " .. ..

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