Tuesday 19 September 2017

// महंगाई बढ़ी है और भ्रष्टाचार हुआ है - और ये रेनकोटी स्नान खुल्ले में कर रहे हैं ..//


महंगाई तो यकीनन बढ़ी है - यकीनन इसलिए कि भक्त मानें या ना मानें - हमने तो स्वयं महसूस कर ली है और स्वयं झेल रहे हैं - इसलिए अब हमें तो किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत है नहीं .. ..

और इसलिए अभी भी जो कहता है कि महंगाई नहीं बढ़ी है मैं उसे रईस या मक्कार मानता हूँ .. और जो महंगाई से सबसे ज्यादा व्यथित है उसे बेचारा गरीब मानता हूँ .. और जो बढ़ी महंगाई को जायज़ ठहरा रहा है उसे पागल धूर्त मानता हूँ .. और जो बढ़ी महंगाई से अनभिज्ञ है उसे लापरवाह मध्यमवर्गीय मानता हूँ .. और जो महंगाई सहन कर चुप है और मोदी जाप कर रहा है उसे बेवकूफ भक्त मानता हूँ .. और जो महंगाई बढ़ाने के दोषी हैं उन्हें निर्लज्ज निर्दयी नकारा निकम्मा टुच्चा चोर डाकू लुटेरा भ्रष्टाचारी मानता हूँ .. और जो महंगाई बढ़ने का दोषी है उसे अपना प्रधानसेवक मानता हूँ .. और प्रधानसेवक के इशारे पर कारनामे करने वाले को जेटली मानता हूँ .. ..

पर आज विमर्श हेतु मेरे पास एक और ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा है - और वो है कि इस महंगाई के दौरान बहुत बड़े-बड़े घोटाले भी अंजाम दे दिए गए हैं - और शायद लापरवाह जनता इन्हें समझ ही नहीं पाई है .. मसलन यदि तूवर दाल को कुछ महीने के लिए २०० रूपए की अस्वाभाविक दरों पर बिकवा दिया गया तो ये पैसा कहाँ गया ?? .. और इसी प्रकार कभी प्याज तो कभी टमाटर या आलू या अन्य खाद्य सामग्री के भाव बढ़वा करोड़ों का घपला किया गया - और फिर पेट्रोल डीजल और गैस के भाव भी तो बढ़वा अरबों के वारे न्यारे निरंतर किये ही जा रहे हैं .. तो ये पैसा कहाँ गया ?? .. ..

और यकीनन ये पैसे किसी भ्रष्टाचारी की जेबों में ही जा रहे हैं - यकीनन इसलिए कि मुझे ये पैसे सरकारी तिजोरी के मार्फ़त किसी जनकार्य पर खर्च होते नहीं दिख रहे .. .. यहां तक कि स्वछता जैसे कार्यों में भी सरकारी खर्च कम और नगण्य और जनभागीदारी से योगदान अधिक दिख रहा है .. .. और सरकारी खर्च तो बस गोदी मीडिया के पोषण हेतु धड़ल्ले से चल रहे विज्ञापनों पर और बेशर्म सत्ताधीशों के ऐशो आराम पर ही होता दिख रहा है .. और दरबारी खर्च चुनावों में .. ..

इसलिए मेरी नज़र में सरकारी लूटपाट और सरकारी भ्रष्टाचार अपने चरम पर है .. अभूतपूर्व है .. और भयावह है .. और अकूत है !! .. .. 

इसलिए आज महंगाई के नाम पर मोदी को धिक्कारता हूँ !! .. और भ्रष्टाचार के नाम पर तो कहता हूँ कि भले ही तुम्हारा रेनकोट मनमोहनसिंह से उम्दा और महंगा होगा - पर तुम बाथरूम में नहीं अब खुल्ले में सार्वजनिक नल पर नहा रहे हो .. और सबको सब कुछ दिख रहा है .. समझ आ रहा है .. .. समझे !!

वो क्या है ना कि शऊर भी तो कोई चीज़ होती है - जो सामान्यतः हेकड़ीबाज़ों में कम पाया जाता है !! .. और बड़बोलों में तो बिलकुल नहीं !! .. .. सच्ची !! .. कस्सम भक्तों की !! .. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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