Saturday 23 September 2017

// ये जो पुलिस वालों की तोंद के पीछे पड़े हैं ना - इन्हें जूते मार-मार कर दुबलाया जाए ..//


कुछ दिन पहले अखबार में गृहमंत्रालय दिल्ली के हवाले से एक खबर छपी थी कि अब तोंद वालों और भ्रष्ट पुलिसवालों को सरकार से मैडल नहीं मिलेगा .. ..

पर मैडल बांटने का काम हथियाए इन अहंकारियों की दयनीय और शोचनीय स्थितियों के मद्देनज़र मेरी रोष भरी पर बिना गाली संवेदनशील प्रतिक्रिया .. ..

ऐसी तर्कसंगत उचित इंसाफ़ी कार्यवाही केवल पुलिस वालों के साथ क्यों ?? .. अन्य के साथ क्यों नहीं ?? .. ..

मसलन .. तो फिर क्या अमित शाह अरुण जेटली या गडकरी को भी पुरुस्कृत किया जाना निषेध नहीं कर देना चाहिए ?? .. ..

और मुझे एक और बात पर आपत्ति है कि केंद्र सरकार अब भ्रष्ट पुलिस वालों को नौकरी से निकाल बाहर करने की इच्छाशक्ति या क़ाबलियत या हैसियत या इरादा नहीं रखती !! .. और शायद उसे भ्रष्टाचार से अब कोई परहेज़ ही नहीं है !! .. ..

भ्रष्टाचार से विरोध तो केवल तब तक था जब तक मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे - और देश को बरगलाने में मशगूल थे .. और शायद अब बात यहाँ तक पहुँच गई है कि यदि पुलिस वाला भ्रष्ट होगा तो उसे मैडल नहीं मिलेगा - पर यदि भाजपाई भ्रष्ट होगा तो ही उसे कोई पद भी मिलेगा !! .. .. और यहां तक कि अब तो मोदी का प्रयास है कि विधायक-सांसद न्यायालय से सज़ा पाने के बाद भी विधायक-सांसद बने रहें .. और ये शायद इसलिए भी कि भाजपा में अपराधियों की ही भरमार जो हो चली है .. और यदि एक काम से गया तो पूरी पार्टी के साथ-साथ मोदी के काम भी लग जाएंगे .. ..

और अब तो हमने मोदी सरकार की ये नीति भी देख ली कि यदि कोई बाबा भाजपा समर्थित हो तो उसका हर प्रकार का व्यापार - फिर चाहे वो नंबर २ का व्यापार हो - या योग संयोग का - या चूरन मंजन का - या नेतागिरी का - या धार्मिक धंधे का - या आर पार का देह व्यापार ही क्यों ना हो - सब फलने फूलने दिया जाए और उसे सरकारी सहायता और सहूलियतें भी दी जाएं .. और उसके साथ हमाम में गोते भी लगाए जाएं .. ..

पर यदि कोई आम व्यापारी भाजपा समर्थित ना हो तो उसको ईमानदारी से व्यापार भी ना करने दिया जाए .. और यदि कोई पत्रकार या लेखक या कलाकार भाजपा समर्थित ना हो तो उसे डराया जाए धमकाया जाए ट्रोल किया जाए या मौत के घाट उतार दिया जाए .. और उसके बाद मृतक को गालियां दी जाएं और गालियां देने वालों को मोदी ट्विटर के जरिये 'मैडल' बांटे .. और बेचारे पुलिस वाले टुकुर-टुकुर देखते रहें .. ..

यानि कुल मिला के स्थिति ऐसी है कि ये जो पुलिस की तोंद की बात कर रहे हैं ना - इनके तो दोनों गाल भी पुलिस वालों की तोंद जैसे हो गए हैं - और इनकी मोटी चमड़ी अब खारिशी भी हो गई है .. ..

और अब आवश्यकता आन पड़ी है कि इनको मैंटल मानकर इनकी जूते मार-मार कर इनके तन-मन की छंटाई की जाकर इनको दुबलाया जाए और सूत-सांवल में लाया जाए - वो भी बिना किसी मैडल के .. ..

बस मेरा सुझाव इत्तू सा !! ..
बाक़ी यदि आपकी भी कोई हसरतें हों तो आप अपनी भी पूरी करें .. !! धन्यवाद !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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