Friday 13 October 2017

// हमारी नाकाबिल जांच एजेंसियां दबाव में कुत्तों से बदतर .. और सत्तासीन बेशर्म ..//


अब न्यायलय के ताज़े निर्णयों को मानें तो तलवार दंपत्ति को अपनी ही बिटिया की हत्या में सरकारी प्रशासन द्वारा अपराधी मानकर उन पर केस चलाना उपयुक्त नहीं था - क्योंकि वांछित पुख्ता सबूत ही नहीं थे - यानि सबूतों के अभाव आड़े आ गए .. ..

पर कन्हैया कुमार के मामले में सरकारी आयोजित प्रायोजित उत्साहित जेएनयू प्रशासन के द्वारा लगाए गए आरोप एवं दिए गए मनगढंत सबूत ही बिना सिर-पैर निकले - और न्यायालय ने देशद्रोह के आरोपी कन्हैया को बरी कर दिया .. ..

और इस बीच अमित शाह ने कह दिया - उनके बेटे जय की कम्पनी ने कुछ गलत नहीं किया - यदि उसने गलत किया होता तो सबसे पहले खुद जय ही जांच की मांग करता .. ..

उपरोक्त ३ प्रकरणों से मुझे स्पष्ट होता है कि .. ..

हमारी जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता - और ये एजेंसियां किसी ना किसी दबाव में काम करती रहीं हैं और इनमें प्रोफेशनल काबलियत की भी कमी है .. .. और इसलिए कई वर्षों की उठापटक के बाद वो जगहंसाई की पात्र बन गई है क्योंकि लोग पूछ रहे है कि फिर आरुषि को मारा किसने ?? .. ..

 मुझे यह भी सपष्ट होता है कि जब हमारी जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव आन पड़ता है तो ये तोता तो क्या पालतू कुत्तों से भी बदतर हो जाती हैं - और इतनी गिर जाती हैं कि किसी भी देश के गरीब बेटे पर साज़िशन देशद्रोह के आरोप तक मढ़ देती है - और उस बेटे को कई लोग सार्वजनिक रूप से पीट तक देते हैं और उन पर कोई कार्यवाही तक नहीं होती .. ..

और मुझे ये भी स्पष्ट होता है कि इस देश में भाजपाइयों से ज्यादा बेशर्म नेता और किसी पार्टी में नहीं .. और अमित शाह यकीनन एक अपराधी संभावित लगते हैं - क्योंकि इनके अनुसार तो न्यायालय की आवश्यकता ही नहीं .. क्योंकि इनके लिए तो चोर ही न्यायाधीश तुल्य .. ..

अब यदि भक्तों को बात बुरी लगी हो तो मुझे जवाब दें कि क्या तलवार दंपत्ति ने और कन्हैया कुमार ने चीख-चीख नहीं कह दिया था कि वो निर्दोष हैं .. यदि हाँ तो फिर उन पर मुकद्दमे क्यों ?? .. और यदि उन पर मुकद्दमे चले तो फिर अमित शाह पर अब तक मुकद्दमा चला क्यों नहीं ?? - आखिर साक्ष्य तो यही कह रहे हैं ना कि जय शाह के धंधे में अनाप शनाप बढ़ोतरी हुई और परिस्थितिजनक साक्ष्य ये कह रहे हैं कि इसका कारण अमित शाह का रसूख है - वरना जय तो एक भक्त से भी गया बीता असली पप्पू टाइप प्राणी दिखता है जिसे न कुछ आता ना जाता - बस भारत माता .. तो वो अपने दमखम पर इतना कमा जाए असंभव लगता है .. उतना ही असंभव जितना किसी भक्त का अक्लमंद होना या भाजपाई का १००% ईमानदार होना या संघी का सेक्युलर होना .. .. है ना !! .. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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