ये जो भाजपा है न इसके डीएनए में ही अलगाव है .. यानि अलग करो - टुकड़े करो - लड़ाओ - भिड़ाओ - भड़काओ - फिर चाहे वो संस्थाएं हो या परिवार या अन्य पार्टियां या अन्य संगठन .. और फिर ये भाजपा जहां भी टूटन देखती है सबसे पहले लूटन पहुंच जाती है .. वो भी लार टपकाती चाटती .. ..
विश्वास ना हो तो पहले इनके गिरेबान में झांक लें ..
अलग गोरखालैंड की मांग करने वाले "गोरखा जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन भाजपा के साथ ..
अलग नागालैंड की मांग करने वाले "नागा जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन भाजपा के साथ ..
अलग बोडोलैंड की मांग करने वाले "बोडो जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन भाजपा के साथ ..
आज़ाद कश्मीर की मांग करने वाली "पीडीपी" का गठबंधन भाजपा के साथ ..
आज़ाद खालिस्तान की मांग करने वाले "अकाली दल" का गठबंधन भाजपा के साथ ..
आपला मानुस की मांग करने वाली "शिवसेना" का गठबंधन भी भाजपा के साथ ..
और वर्तमान देख लीजिये - कांग्रेस आप या अन्य किसी भी पार्टी में कोई अलग होने की सोचे भी तो ये टुट्टे टोटे टूटनहार लपालप पहुंच जाते हैं - और उसे तोड़ ले आते है .. .. ताज़ा उदाहरण भ्रष्टाचार के अच्छे ब्रांड एम्बेसडर रहे सज़ायाफ्ता सुखराम और उनके पुत्तर जो वर्षों से कांग्रेस में रहते खानदानी और वंशवादी परम्पराओं का निर्वहन करते भ्रष्टाचार कर रहे थे - आज टूट कर भाजपा में शामिल हो गए .. ..
और तो और अब तक प्यार मोहब्बत के प्रतीक माने जाने वाले ताजमहल की भी ये अब वाट लगाने पर तुल गए हैं .. और ये तो इतिहास तक बदलने पलटने तोड़ने मरोड़ने पर तुले हैं .. ..
और तो और इन्होनें तो गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने के बजाय बाप बेटे यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा तक को आपस में भिड़ा दिया .. शर्मनाक !! .. ..
और फिर कैसे हिंदू और मुसलमान भाइयों को ये रोज़ लड़ा भिड़ा कर अलग करने के प्रयास कर रहे हैं - किसी से छुपा नहीं है .. बस फर्क इतना सा है कि भाजपा के इस प्रयास की और अलगाव की और टूटे-टूटे डीएनए की हम भर्त्सना करते हैं - और भक्त भाजपा की इसी कला के कायल हैं .. वे धार्मिक उन्माद के शिकार हो भाजपा के हर तोड़ने के प्रयास और कामयाबी पर तालियां पीटते हैं .. ..
पर शायद वो यही नहीं जानते कि टूटने और तोड़ने में वो मज़ा कहाँ .. जो जुड़ने और जोड़ने में है .. कभी अनुभव किया हो तो ही तो जानें .. ..
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद - और भाजपाई क्या जाने जुड़ने का एहसास .. ..
शायद शादी ब्याह ना करना भी इसी प्रवृत्ति का द्योतक है - और परिवार छोड़ गुनाह की दुनिया में खिसक लेना भी .. .. इसलिए आज भक्तों के परिवारों को भी सचेत करना चाहूंगा कि गलत सोहबत का असर भी गलत ही होता है .. ..
इसलिए सावधान !! - कहीं ये टूटने तोड़ने की प्रवृत्ति आपके निजी जीवन में भी ना घुस जाए !! .. .. और कहीं आप के परिवार का भी कोई सदस्य समाज के अन्य लोगों से टूट कर समाज को ही ना तोड़ दे .. ..
अलगाव से बचें .. भाजपा से बचें !! .. ..
एक रहें खुश रहें सुखी रहें संपन्न रहें !! .. धनतेरस की शुभकामनाएं !! .. ..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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