वो कहते थे विकास आएगा .. ..
हमने कह दिया था जनने का सामर्थ्य नहीं तो कहाँ से आएगा ?? .. ..
वो और सलवारी बाबा कहते थे कालाधन आएगा .. ..
हमने कह दिया था सब मिलबाँट हड़प कर लिया जाएगा .. ..
वो चिल्लाते थे जेएनयू में देश विरोधी नारे लगे थे .. ..
हमने कह दिया था चिल्लाने वाले ही साज़िश कर रहे थे .. ..
सब कह रहे हैं कि जेएनयू से नजीब गायब हुआ है .. ..
हम मानते हैं कि साहेब का इक़बाल गायब हुआ है .. ..
वो कहने लगे गाय हमारी माता है .. ..
हमने बता दिया था तुम्हें कुछ नहीं आता है .. ..
उन्होंने अट्टाहास लगा कहा नोटबंदी कर दी .. ..
हमने कहा तुमने अपने दिमाग की नसबंदी कर दी .. ..
वो इतरा रहे हैं कि उन्होंने जीएसटी लागू कर दिया है .. ..
हम उन्हें चेता रहे हैं कि जीएसटी उन्होंने ही लागू किया है .. ..
वो कहते हैं गौरी लंकेश को उन्होंने नहीं मारा .. ..
हम कहते हैं तुमने नहीं तो किसने मारा ?? .. ..
वो कहते थे उन्होंने भ्रष्टाचारियों के पीछे कुत्ते छोड़ दिए .. ..
हमने देखा बीएचयू में छात्राओं के पीछे कुलपती छोड़ दिए .. ..
कल टीकमगढ़ के थाने में किसानों के कपडे उतरवा दिए .. ..
हमने देखा भाजपाई सरकारों ने खुद अपने अंतर्वस्त्र उतार दिए .. ..
और अब वो कह रहे हैं लोग निराशा फैला रहे हैं .. ..
हमारा कहना है ये आशान्वित टुच्चे ही तो निराशा फैला रहे हैं .. ..
क्योंकि ये टुच्चे ही तो हैं जो कुछ ज्यादा ही निराश कर रहे हैं !! .. ..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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