Friday 5 January 2018

// "तन-मन" के आगे "तन-मन-धन" और "क़ाबलियत" का महत्व समझना होगा....//


'विश्वास से विश्वासघात' के नाम पर पूर्व से आहत और 'आप' आहाते में घुसे अविश्वास-योग्य आजकल हलाकान हो मुखर हो रहे हैं.. और तो और कई सैंकड़ों भाजपाई सोशल मीडिया पर 'आप' पार्टी छोड़ भी चुके हैं..

और सत्य या अर्ध-सत्य या कुछ थोड़े से असत्य पर आधारित दलीलें दुहाइयाँ कुछ यूँ दी जा रही हैं कि..

हम संस्थापक सदस्य थे - कार्यकर्ता थे - आंदोलन के साथी थे - आंदोलन को आंदोलित करने वाले थे.. हमने अपने ५-६-७ साल खपा दिए - हमने डंडे खाए भूखे प्यासे सोए - हमने पार्टी खड़ी करने में अपने खून-पसीने का योगदान दिया.. आदि !!..

और इनका दुखड़ा और आरोप हैं कि.. पार्टी और केजरीवाल धनबल के आगे झुक गए..

मेरी तन-मन-धनी तनी हुई प्रतिक्रिया.. ..

उपरोक्त सत्य या अर्ध-सत्य ये स्थापित करते हैं कि बहुत से लोगों ने पार्टी और जनता की "तन-मन" से सेवा की.. पर ऐसा कहीं से भी इंगित नहीं होता कि इनमें से संतप्त किसी ने भी "तन-मन" के साथ "धन" भी अर्पण करा हो.. और इस वास्तविकता में कोई बुराई भी नहीं है..

मसलन मेरा दावा है कि कुमार विश्वास जैसे लोगों ने पार्टी से खर्चे पानी के लिए कुछ वाजिब धन लिया ही होगा - पर उन्होंने धनी होने के बावजूद अपनी गाँठ का धन अर्पण किया हो मुझे नहीं लगता.. बल्कि अधिक संभावना तो ये है कि आंदोलन और पार्टी से जुड़ने के कारण उन्हें धन आवक जावक उपरांत परोक्ष अपरोक्ष रूप से धन आवक में बढ़त ही हासिल हुई होगी.. और ऐसी किसी वास्तविकता में भी कोई बुराई नहीं है.. 

अस्तु मेरा सभी संतप्त आत्माओं से निवेदन है कि "तन-मन-धन" की सच्चाई और महत्व को भी समग्र रूप से समझें और "तन-मन" से सेवा करते हुए उचित समय का इंतज़ार करें - जो उनके और पार्टी के और समाज के और देश के लिए आवश्यक है..

पर साथ ही ये भी समझ लें कि हर बेहतरीन निष्ठावान कार्यकर्ता को मंत्री सांसद विधायक पार्षद नहीं बनाया जा सकता और ना ही शीर्ष पद दिया जा सकता है.. क्योंकि अंकशास्त्र और तर्कशास्त्र अनुसार ऐसा होना केवल जुमला ही हो सकता है.. और वैसे भी "क़ाबलियत" का भी तो अपना महत्व होता ही होगा ना !!..

और हाँ 'आप' पार्टी में अन्य किसी भी अन्य पार्टी की ही तरह "शीर्षस्थ पद" तो एक ही है - केवल एक - जिस पर अत्यंत काबिल केजरीवाल' बैठे हैं या बिठाए गए हैं.. और केजरीवाल पद खाली कर बेगार टालने और बकवास करने और बेवकूफी करने या फिर बेरोजगार ही होने के मूड में तो तनिक भी दिखते नहीं.. और इस वास्तविकता में भी कोई बुराई तो है नहीं.. नहीं ना !!

अतः स्पष्ट है कि यदि आपकी सोच इच्छा इरादे आकांक्षाएं योग संयोग से बहुत ऊँचें हैं और लक्ष्य उच्चतम - तो मेरा सुझाव है कि आपके "कार्यकर्ता" वाली ट्रेनिंग और अवधि सफलता पूर्वक पूरी हो चुकी है.. बेहतर होगा आप अपनी "क़ाबलियत" का मूल्यांकन कर "कार्यकर्ता" से केजरीवाल जैसे स्वतंत्र नेता बनने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएं और "तन-मन-धन" या "तन-मन" सहित सर्वस्व झोंक दें..

ईश्वर की कृपा से और बड़ों के आशीर्वाद से और मुझ जैसी नाचीज़ की शुभकामनाओं से आप जरूर सफल होंगे .. ईश्वर पर अपने आप पर और मुझ पर भरोसा रखें.. ठीक है !!.. समझ गए ना !!.. !! जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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