Saturday 13 January 2018

// यदि सलीके से ही होता तो सत्य दफ़न और सलीका ही तो ज़िंदा रह गया होता.. ..//


अभी कई " सलीकेबाज " पिले पड़े हैं कि ४ जजों को ऐसे प्रेस-कांफ्रेंस कर पूरा मामला मीडिया के सामने सार्वजनिक नहीं करना था.. और एवज़ में कुछ यूँ करना था कुछ वूँ करना था.. या फिर कुछ यूँ-वूँ भी कर लेना था.. आदि !!..

यानि जितने टेढ़े मुँह उतने सलीके !!..

इसलिए मेरी सीधे मुँह सलीके की प्रतिक्रिया..

माना कि सत्य बोलने का भी कोई सलीका होता होगा..
पर सत्य ना बोलना कौनसा सलीका होता होगा..

और बदसलूकी करने वाले भी तो थोड़ा सलीका सीख लें..
सलीके पर कांव-कांव और सत्य पर ख़ामोशी भी क्या कोई सलीका होता होगा..

वो तो शुक्र है सत्यवादियों ने सलीके की परवाह नहीं करी..
नहीं तो सलीके के चक्कर में सत्य दफ़न और सलीका ही तो ज़िंदा रह गया होता..

और हाँ बरखुरदार क्या मक्कारी करने का भी कोई सलीका नहीं होता होगा..
अरे होता भी होगा तो क्या ख़ाक होता होगा..

बड़े सलीके से अब पेश आ रहे हो सलीका बताने वालों..
कहीं डर तो नहीं कि कूटने-पीटने का भी किसी के पास नायाब सलीका होता होगा..

(ब्रह्म प्रकाश दुआ -१३/०१/१८) 

'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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