बस बजट आने वाला है .. अपने नियत समय पर कुछ मिनटों के बाद..
और बजट भी नियत ही होगा.. और अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार पूरी बदनीयत के साथ..
और बताया जा रहा है और आशा भी की जा रही है कि बजट में मध्यमवर्ग के लिए फायदा होगा.. और उच्चवर्ग का नुकसान तो ना कभी हुआ है ना कभी होगा.. और इस सरकार के राज में तो संभव ही नहीं..
तो पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था में सीमित रोकड़ के रहते क्या निम्नवर्ग गरीब को मारने वाले एक और बजट की आशा नहीं की जा रही है ??..
या फिर मध्यमवर्ग के बजाय निम्नवर्ग के लिए कुछ राहत हो.. कम से कम ऐसी आशा तो कर ली जाए.. नहीं क्या ??.. ..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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रवीश ने कहा, ‘इस वक्त भारत में थर्ड क्लास नेता मुख्यमंत्री बन गए हैं’
ReplyDelete26 Jan 2018/JanPost Staff
https://janpost.whatthebeep.in/is-waqt-bharat-me-third-class-neta-mukhyamantri-ban-gaye-hai-ravish-kumar/
आज देश में गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है लेकिन बीते के कल की बात करे तो इसी संविधान को हानि पहुचाते हुए देश भर में एक फिल्म को लेकर हंगामा हुआ। कुछ मंत्री संविधान को बदलने की बात करते है और इन्ही हालात पर बात करते हुए और सरकार पर निशाना साधते हुए वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने टिप्पणी की है।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पर लिखा, ‘आज फिर से हम कमज़ोर होने लगे हैं। चुप रहने लगे हैं। अफसोस इस वक्त भारत में थर्ड क्लास नेता मुख्यमंत्री बन गए हैं। यकीनन थर्ड क्लास हैं।’ रवीश ने हमला जारी रखते हुए लिखा, ‘ये मुख्यमंत्री थर्ड क्लास न होते तो ये संविधान की रक्षा में 25 जनवरी को खड़े नज़र आते। एक फिल्म के बहाने जो लोग उत्पात मचाते रहे और जो लोग उस उत्पात के बहाने सांप्रदायिक गौरव में चुपचाप ढलते रहे उन सबने संविधान की आत्मा को धोखा दिया है।’ रवीश कुमार ने उम्मीद किरन पर लिखा, ‘कोई नौजवान आएगा जो संवैधानिक आदर्शों से लैस होगा और संवैधानिक व्यवस्था की सर्वोच्चता को कायम करेगा।’
रवीश कुमार ने संविधान पर हमले की बात करते हुए लिखा, ‘संविधान पर हमले होते रहेंगे मगर स्याही छिड़क देने से किताब नहीं मिट जाती है। संविधान की करोड़ों प्रतियां हैं। आप किसी भी प्रति को उठा लीजिए।’ रवीश इशारा देते हुए लिखते हैं, ‘अपनी कमियों पर भी उसी साहस से बात कीजिए जिस साहस से हम अपने गौरव की बात करते हैं। वो गौरव जाति का नहीं होना चाहिए। संविधान से मिली व्यवस्था के कारण हम जो भी हासिल करते हैं, उसका गौरव गान कीजिए। पगड़ी पहनकर रंगीन मत बनाइये। सब कुछ फिल्म का सेट नहीं है। शादी के समय बारात के स्वागत और गणतंत्र के समारोह में फर्क कीजिए। हाथ में संविधान की किताब लेकर आइये।’
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रवीश लिखते है कि ‘क्या हम आज़ाद जांच एजेंसी, आज़ाद पुलिस व्यवस्था, आजा़द न्याय व्यवस्था की भी झांकी निकाल सकते हैं? फिलहाल नहीं। मगर इन्हीं व्यवस्थाओं में ऐसे आज़ाद लोग हैं जो अपने अकेले दम पर संविधान की हिफाज़त में खड़े रहते हैं। वैसे लोगों का आज के दिन स्वागत कीजिए।’ रवीश ने अंत में लिखा, आपका नागरिक बनना ही, संविधान का सम्मान है।