Thursday 8 March 2018

// एक कुचक्र !!.. इंसान - बनाम - मूर्तियां.. .. //


पूरे होशोहवास में मुझे आज एहसास हो रहा है कि..

बहुत से इंसानों की जानें बेवजह ज़ाया जाने के बाद भी नहीं चेते.. इसलिए बेजान मूर्तियों के तोड़े जाने की हिम्मत और नौबत आ गई..

और अब जब बेजान मूर्तियां तोड़ी जा रही हैं तो निश्चित ही और अधिक इंसानों की जानें ज़ाया जाएंगी..

क्योंकि भले ही न्यूटन या डार्विन या महान सतपाल ने ये ना बताया हो पर देश के हर पकौड़े तलने वाले विशेष को ये मालुम है कि ऐसा कुचक्र स्वाभाविक रूप से चल ही जाता है.. चलाया भी जाता है..

और ऐसा कुचक्र इसलिए भी चलेगा क्योंकि.. ..

भारत में बसने वाले भक्त इंसान किसी मूर्ती से अधिक ज़िंदा भी कहाँ हैं ??..
और जो ज़िंदा होकर भी मूक हैं वो भी लाशों से अधिक चैतन्य कहाँ हैं ??..

और बेवजह इंसानों की जानें लेने वाले ही तो मूर्तियां तोड़े जाने की हिम्मत कर रहे हैं.. और उनके लिए इंसानों और मूर्तियों में फर्क भी कहाँ है ??..

इसलिए ही मुझे भारत में बसने वाले भक्त और इंसानों पर तरस आता है.. और मूर्तियों पर भरोसा ही नहीं होता.. फिर चाहे वो मूर्ती किसी भगवान् की हो या इंसानी रूप में किसी देवी देवता की या फिर खालिस इंसान की या फिर इंसान जैसा दिखने वाले नेता की - पत्थर की हो या सोने की - १०० इंच की हो या १०० मीटर की - किसी धार्मिक स्थल की हो या चौराहे की !!..

और हाँ इसलिए ही मुझे उन इंसानों से भी घृणा होती है जो निर्जीव मूर्तियों के नाम पर और धर्म और जाति के नाम पर अपनी घृणित सांप्रदायिक राजनीति करते हैं..

और निश्चित ही मैं इसलिए ही अब तक केवल नाराज़ बताए जा रहे प्रधानसेवक से घृणा करने लगा हूँ.. और सबसे पहले संवैधानिक पद पर बैठे त्रिपुरा के राज्यपाल के मूर्ती तोड़ो कृत्य के पक्ष में बयानबाज़ी करने के लिए उन्हें तत्काल बर्खास्त कर देने को अति आवश्यक मानता हूँ !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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