निचली अदालत ने तो माया कोडनानी को २८ साल की सजा सुनाई थी.. पर आज उच्च अदालत ने बरी कर दिया !!..
और उच्चतम न्यायालय छटपटा रहा है - और तो और धमका भी रहा है - कि न्यायालय के निर्णयों पर टीका टिप्पणी भी ना हो ??..
कारण ??.. दाढ़ी में संटियाँ हैं.. दाल काली है.. सब कुछ स्पष्ट है.. राज़ बेपर्दा हैं..
और डरा धमका वो रहे हैं जो डर रहे हैं - डर गए हैं - क्योंकि वो मुजरिम हैं.. पर मुजरिम करार नहीं हैं - क्योंकि कानून अँधा है - बावजूद इसके कि कानून बहरा नहीं है - बहुत बोलता भी है - पर या तो बिका हुआ है - या अपह्रत है - या धर-दबोच लिया गया है.. .. ..
व्यथा बहुत स्पष्ट और गहरी हो चली है.. हमारी भी - देश की भी.. और कानून की भी..
प्रश्नों का अंबार लग चुका है.. और जवाब या समाधान एक ही है.. बदलना होगा - बहुत कुछ बदलना होगा..
और टुच्चों से बदला भी लेना होगा - इसी न्याय की कसौटी पर कसकर - और जमकर !!..
!! जय हिन्द !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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