Wednesday 30 May 2018

// 'टुच्चा' 'टुच्चे' और 'टुच्चई' के असल गूढ़ मायने या भावार्थ !!.. //


मेरे कई मित्र मुझसे पूछते रहे कि ये 'टुच्चा' का क्या अर्थ.. और मैं कहता था कि इसका अर्थ तो वैसे ओछा दुष्ट या कमीना ही होता है पर इसका भावार्थ कुछ बहुत अलग सा होता है.. पर मैं उन्हें ठीक-ठीक समझा नहीं पाता था..

तो आज शानदार मौका है 'टुच्चा' 'टुच्चे' और 'टुच्चई' का भावार्थ बताने का..

करनाटक चुनाव के चलते लगातार १९ दिन तक तेल के भाव नहीं बढे.. इसे चुनावी धांधली कहते हैं..

फिर १२ मई को चुनाव होते ही लगातार भाव बढ़ने लगते हैं.. इसे कहते हैं बेशर्मी और ओछापन..

फिर बढ़ते भाव लगातार १६ दिन तक बेतहाशा बढ़ते रहते हैं.. इसे कहते हैं लूट डकैती और दुष्टता ..  

और फिर १७वें दिन घोषणा होती है कि आज भाव ६० पैसे कम किए गए.. इसे कहते हैं शातिरता..

और फिर भक्तों के सीने फूलने लगते हैं.. इसे कहते हैं तेलिया भक्ति या कमीनापन..

पर फिर घोषणा कर दी जाती है कि भाव ६० पैसे नहीं - मात्र १ पैसे प्रति लीटर कम हुए हैं.. और इसे ही कहते हैं टुच्चई.. जी हाँ शुद्ध "टुच्चई" !!..

और जो टुच्चई करता है या करते हैं उन्हें कहते हैं 'टुच्चा' या 'टुच्चे' !!..

आज का "१ पैसे का बहुमूल्य 'टुच्चा' ज्ञान" यहीं पर समाप्त करता हूँ.. धन्यवाद !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Tuesday 29 May 2018

// ओ मैडम !!.. जब तक जनाज़े उठ रहे हैं - चर्चा तो होगी ही और जवाब भी देने होंगे..//


हमारे देश की एक वास्तविक विदेशमंत्री भी हैं जो कथित रूप से सुषमा स्वराज जी के नाम से जानी जाती हैं.. और जो कई दिनों बाद गोदी मीडिया के पटल पर अकस्मात् अवतरित हुईं.. और जब हुईं तो कुछ बोल भी गईं - और एहसास दिला गईं कि विदेश मामलों में वे भी कुछ बोलने का दखल जैसा कुछ-कुछ रखती हैं..

और भले ही वो बात पुरानी घिसीपिटी ही बोलीं पर चूँकि बहुत दिनों बाद स्वयं बोलीं तो बात से कुछ ऐसा भी लगा जैसे किसी ने ये बताने का प्रयास किया हो कि ताज़ा स्थितियां अभी भी पहले जैसी ही विकट बनी हुई हैं..

और वो बोलीं कि.. जब सीमा पर जनाज़े उठ रहे हों तो चर्चा कैसे की जा सकती है..

और इस पुरानी बात में पुराना दम कूट-कूट कर भरा है..
पर इस पुरानी बात पर मेरा एक नया नजरिया भी है..

और मैं कहना चाहूंगा कि जब सीमा पर जनाज़े उठते ही जा रहे हैं तो फिर इस बात पर चर्चा तक क्यूँ नहीं हो रही ??.. क्यों इस देश के पट्टेधारी खौलते खून वाले युवा अब मादरे वतन पर शहीद होने वाले जवानो की अत्यधिक संख्या को लेकर उग्र नहीं हुए और चर्चा केवल हिन्दू-मुसलमान पद्मावती जिन्ना राम नेहरू गांधी पटेल मोदी राहुल कर्नाटक कैराना पर ही करते रह गए ????..

इसलिए आज देश को कहना चाहूंगा कि आइए हम सुषमा मैडम को याद दिला दें कि हम '१ के १०' वाली बात भूले नहीं हैं.. और क्योंकि सीमा पर जनाज़े उठ रहे हैं - और दुश्मन के मुहं तोड़े नहीं जा रहे हैं - और उचित जवाब भी नहीं दिया जा रहा है - तो फिर इन सब विषयों पर चर्चा क्यों नहीं हो ??..

हम क्यों ना पूछ लें कि सर्जिकल स्ट्राइक के परिणाम निरर्थक साबित क्यूँ हुए ??.. और सर्जिकल स्ट्राइक पर तब इतना हल्ला क्यूँ और अब दुश्मन पर नया हल्ला क्यों नहीं ??.. क्या सर्जिकल स्ट्राइक कोई काठ की हांडी जैसी हुई जो दुबारा चढ़ाई ही नहीं जा सकती ??..

और चर्चा से पूरी सरकार भाग क्यों रही है ??.. कोई जवाबदारी से जवाब क्यों नहीं देता ??.. और जब वो देश की जनता से रूबरू हो रहीं थी तो क्यों उन पर और क्यों उनके द्वारा भी तंज़ कसे जा रहे थे - और 'पीएमओ' का चर्चा में बार-बार उल्लेख हो रहा था ??..

कुल मिलाकर बात इतनी सी है कि जनाज़े जब तक उठेंगे तो जनता द्वारा चर्चा तो होकर रहेगी.. और यदि चर्चा नहीं करोगे तो आप भी उठा पटक दिए जाओगे !!..

पर याद रहे कि चर्चा इस देश की जनता से ही करना है - दुश्मनों को तो मुहंतोड़ जवाब ही देने हैं.. और कहीं भक्तों माफिक उल्टा-सुल्टा अनर्थ मत समझ लेना.. थोड़ा दिल दिमाग का इस्तेमाल भी कर लेना.. समझे ??.. जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Monday 28 May 2018

// चुनाव आयोग की ईवीएम गड़बड़ और बोलती बंद भाजपा की.. क्या सांठगांठ है !!..//


महाराष्ट्र और यूपी के उपचुनावों में ईवीएम फेल हो गई.. और चुनाव आयोग की भद्द भी पिट गई और पोल भी खुल गई.. और दक्षता पर एक बार पुनः प्रश्नचिन्ह भी लग गया.. और निष्पक्षता और नीयत के परखच्चे उड़ गए..

और लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने ससमय आधिकारिक रूप से आपत्तियां दर्ज कराना शुरू कर दिया.. और चिल्लाना भी.. और आरोप लगाना भी.. और स्वाभाविक शंकाएं जाहिर करना भी..

पर भाजपा की बोलती बंद हो गई या भाजपा चुप सी रही या स्तब्ध सी हो गई या घुन्नी जैसी हो गई..

और मुझे पक्का भरोसा हुआ कि.. भाजपा के दिन लद गए.. क्योंकि चुनावी प्रक्रिया में स्पष्ट दोष सामने आने के बावजूद भाजपा अनभिज्ञ होने की या सोने की एक्टिंग करती रही - जिससे भाजपा की भी पोल खुल गई.. और भाजपा और चुनाव आयोग की सांठगाँठ सिद्ध हुई..

तो अब आगे क्या होगा ??.. आगे ये होगा कि ईवीएम के सहारे चुनाव जीतना चुनाव-दर-चुनाव कठिन होता जाएगा.. और शीघ्र ही ईवीएम के बिना भाजपा और मोदी का पतन हो जाएगा.. शर्तिया !!..

क्योंकि वैसे भी भक्तों को आजकल लू लग गई है - और लू लगने पर सर्किट काम नहीं करता ऐसा चुनाव आयोग ने बता दिया है.. और इसलिए बावरे भक्तों को क्या होश रहेगा कि वोट कहाँ और कैसे और किसे देना चाहिए.. कोई शक ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

बहुत गर्मी चढ़ गई है रे !!..


// 'चैलेंज-चैलेंज' में अब क्या टुच्चे की जान लोगे ??.. ..//


ये तो अन्याय की पराकाष्ठा है..

पहले पप्पू ने फेंकू को चैलेंज करा कि मैं १५ मिनिट बोलूंगा तुम सामने खड़े रह टिक के बताओ.. फिर फेंकू ने पप्पू को चैलेंज कर दिया कि पहले तुम १५ मिनिट बिना पढ़े बोल के बताओ और ५ बार विश्वसरैय्या बोल के बताओ..

और फिर एक 'विराट' ने टुच्चई पटक दी !!.. उसने फेंकू को ही चैलेंज कर दिया कि माननीय आप दंड पेल के बताओ..

और कमाल की बात देखिए.. फेंकू ने भी चैलेंज एक्सेप्ट कर लिया कि वो दंड पेल के बताएंगे..  

बस फिर क्या था सब पिल पड़े हैं चैलेंज देने.. कोई चैलेंज दे रहा है..
तेल के भाव कम करके बता..
कालाधन ला कर बता..
२ करोड़ रोजगार दिलवा कर बता..
अपनी डिग्री दिखाकर बता..
बिना ईवीएम के चुनाव जीत कर बता..
गंगा मैय्या निर्मल करके बता.. 
नर्मदा की ३००० किलोमीटर परिक्रमा यात्रा करके बता..

और कल से कोई कहेगा.. हिमालय चढ़ कर बता.. दिल्ली में केजरी को हरा कर बता..  

और मुझे ये सब सुन देख अच्छा नहीं लग रहा.. क्योंकि मुझे लगता है कि क्या टुच्चे की जान लोगे ??.. इतने बड़े-बड़े चैलेंज इतने टुच्चे व्यक्ति से ??.. क्या ये उचित है.. क्या ये शोभा देता है.. वो भी तब जबकि वो पप्पू तक का चैलेंज स्वीकार नहीं कर सका हो - वो भी केवल १५ मिनिट तक पप्पू के बोलते हुए खड़े टिके रह जाने का सड़ा सा चैलेंज ??.. ..

इसलिए मेरा कहना है कि यदि आप न्यायप्रिय हो तो कम कम से कम सामने वाले की औकात देखकर ही चैलेंज करना खेलभावना या संवेदनशीलता या बड़प्पन का परिचायक हो सकता है..

मसलन यदि फेंकू को चैलेंज करना ही हो तो बस इतना ही करना काफी है कि..
"झोला उठा चौराहे पर आकर तो बता.. .."

और मेरा भक्तों को चैलेंज..
पेट्रोल १०० रूपए लीटर कब होगा ??.. कोबरा कहाँ घुसा ??.. राफेल कहाँ उड़ा ??.. और हनीप्रीत का क्या होगा ??.. और क्या बागों में बहार है कि नहीं - और क्या कभी तुम्हारे साहब रवीश के सामने १५ मिनिट बैठ टिक पाएंगे ?? ५ सवालों का भी उत्तर दे पाएंगे - वो भी बिना पानी मांगे !!.. बताओ तो जानें !!.. हा !! हा !! हा !! .. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 24 May 2018

// इन्हें दो जूते मार कहो - आज खाना नहीं बस पुशअप.. चैलेंज भूत उतर जाएगा.. //


एक वायरस कुछ दिन पहले केरला से घुसा था.. 'निपाह' !!.. परन्तु थोड़ी ही तबाही मचा शायद ठहर गया है..

लेकिन ठीक इसके बाद एक और वायरस फ़ैल गया है.. कोई इसे 'पुशअप चैलेंज' कह रहा है कोई इसे 'फिटनेस चैलेंज' कह रहा है.. और ये उच्च कोटि के रईस मक्कारों में बहुत जल्दी फ़ैल रहा है.. इसे आप 'तबाह' वायरस कह सकते हैं..   

और अब हमारे बैठ-ठाले प्रधानसेवक से लेकर बहुत से सेलिब्रिटी इसकी चपेट में आ चुके हैं.. और इस वायरस का असर ये हो रहा है कि ये बिगड़ैल दिमागों को और सड़ा दे रहा है - और ये सामान्य सा तथ्य तक सोच समझ नहीं पा रहे हैं कि देश के करोड़ों मेहनतकश इंसानों को ना तो पुशअप की जरुरत है और ना ही थोथे फिटनेस की.. बल्कि उनकी जरूरत तो रोज़गार प्राप्त कर गरीबी से छुटकारा पाना है और भूख मिटाना है..

पर रईस पागल बावलों बेवकूफों में घुसा ये 'चैलेंज-चैलेंज' गेम का भूत तो अब तब उतरे ना जब कोई हर पुशअप पर दो जूते रसीद कर इनसे बोले कि आज खाना नहीं खाना - बस उठक बैठक लगाना - समझे !!

मेरा दावा है कि तब इन सब टुच्चों का चैलेंज देने और लेने का भूत तत्काल उतर जाएगा - ठीक वैसे ही जैसे जिन्ना का भूत अब उतर गया है !!..

आइए इस प्रकार हम 'निपाह' और 'तबाह' वायरस का सामना करें.. और देश की मुख्य समस्याओं पर अपना ध्यान केंद्रित रखें.. !! जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Wednesday 23 May 2018

// कैबिनेट में तेल के भावों पर चर्चा तक नहीं.. आइए इनके दिमाग सुलगाएं !!.. //


सुबह से हवा बनाई जा रही थी कि मोदी चिंतित हैं और मोदी सरकार तेल की कीमतें कम करने के लिए कुछ करने वाली है..

पर अभी-अभी पता चला कि कैबिनेट की तो मीटिंग भी हो गई और तेल के बढ़ते दामों पर तो कोई चर्चा तक नहीं हुई.. मुझे लगता है कैबिनेट भूल गई होगी..

भूल चूक लेनी देनी.. मैं भी तो सुबह से इस सरकार की शान में कुछ भी कहना भूल गया था..

तो आइए सरकार की शान में मेरी बात भी सुनिए..

ये सरकार निकम्मी नकारा बदमाश नालायक बेशर्म दोगली जनविरोधी चोर उचक्की झूठी निर्लज्ज बेहया खराब दोषी फाँकू बुरी घमंडी दम्भी मक्कार लुटेरी टुच्ची है..

कुछ मैं भी भूल गया हूँ तो आप याद दिला दें.. पर जब तक तेल के भाव ठिकाने नहीं आते आप भी इनकी शान में कसीदे पढ़ते हुए इनके दिमाग सुलगाते रहने की कोशिशें करना नहीं भूलें..

धन्यवाद !! जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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चल बावले !!.. फेंकने में स्पर्धा मत कर नहीं तो पकौड़े बेचोगे..


// मेरा महान हिन्दुस्तान .. बनाम .. पाकिस्तान-तालिबान.. //


ये सच है कि.. ये मेरा हिन्दुस्तान है.. ये मेरा देश है.. इस देश का अपना कानून भी है.. और यहाँ उसी कानून का राज भी है..

पर तौबा !!.. मेरे इसी हिन्दुस्तान में सभी कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए किसी इंसान को पीट-पीट कर मार भी दिया जाता है.. और जब ऐसा होता है तो बहुत पीड़ा होती है.. दिल झन्ना जाता है.. और दिमाग भन्ना जाता है..
   
और ऐसे में यदि कोई ये कह दे कि हिन्दुस्तान तो अब पाकिस्तान या तालिबान से भी बदतर हो गया है - तो इस देश में पाकिस्तानी और तालिबानी प्रवृत्ति के सांप्रदायिक लोग ऐसे प्रतिकार करने लगते हैं मानों उन्हें वाकई बुरा लग गया हो.. और इस बहाने वो देशप्रेम की डींगे हांकने लगते हैं और समाज में अपने आपको बेहतर नागरिक के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिशें करने लगते हैं..

यानि होता ये है कि टुच्चे अपराधी अपना काम कर जाते हैं - बेचारे गरीब निर्दोष मारे जाते हैं - और जिन्हें पीड़ा होती है वे देशद्रोही करार दे दिए जाते हैं.. और मोटी चमड़ी के वे धूर्त लोग जिनमें इंसानियत बची ही नहीं है वे अपना कालर और दुपट्टा ऊँचा कर टुच्चई पेलने लगते हैं.. और इस देश के कर्ताधर्ता बन जाते हैं.. 

अतः उपरोक्त तथ्यों के मद्देनज़र मैं राजकोट में एक गरीब इंसान की पीट-पीट कर की गई हत्या के विरोध में अपनी पीड़ा और गुस्से का इज़हार बड़े ही नपे तुले शब्दों में रखना चाहूंगा.. ..

क्योंकि अपने देश हिन्दुस्तान में किसी इंसान को पीट-पीट कर मार दिया जाता है - तो ईश्वर अल्लाह के लिए आप ये मान लें कि - अपना देश तालिबान या पाकिस्तान से बहुत बेहतर होकर भी उतना ही बदतर बना दिया गया है..

और ये कारनामा किया है हमारे ही देश के कुछ टुच्चों ने जिनकी सोच मानसिकता व्यवहार और कार्यशैली यकीनन तालिबानियों और शायद पाकिस्तानियों जैसी ही है..

अब आप ही बताएँ कि मैंने ये तो नहीं कहा ना कि मेरा देश तालिबान और पाकिस्तान से बदतर हो गया है.. बल्कि मैंने तो यही कहने का प्रयास किया है कि मेरा देश हिन्दुस्तान महान है.. बहुत महान !!.. और कुछ हिन्दुस्तानी टुच्चे हैं - बहुत टुच्चे.. नहीं क्या ??..

इसलिए खबरदार यदि किसी भक्त ने हिन्दुस्तान की शान में कोई बद्तमीज़ी करी तो..
चीर देंगे !!.. फाड़ देंगे.. और खीर भी नहीं देंगे.. समझे !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 22 May 2018

// रतजगा सुप्रीमकोर्ट केजरीवाल-बनाम-"दिल्ली के वाला" टंटे में सुप्त सुन्न क्यों ??.. //


यकीनन जब दिल्ली देश की राजधानी है तो दिल्ली और दिल्लीवासी अति महत्वपूर्ण तो हुए ही.. और इसलिए दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दे या रगड़े-टंटे भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं..

पर अब तो यह बात जगजाहिर है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट भी खुद के चुभते सालते उलझे मामलों में तो जनता के बीच आकर खुद के दुखड़े सुनाने लगता है - या फिर किसी एक व्यक्ति की फांसी के मामले में या किसी एक राज्य में किसी एक पार्टी की सरकार बनने या ना बनने के मामले में अँधेरी रात को भी जग उठ बैठ जाता है..
पर यही सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के केजरीवाल और केंद्र के "दिल्ली वाले वजूभाईवाला" यानि बोले तो जंग बैजल के बीच के लगातार चले आ रहे रगड़े-टंटों के बीच - दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर लम्म्म्म्म्बे समय से चले आ रहे उलझे उलझाए मामले में सुप्त सुन्न बना बैठा है - ठीक वैसे ही जैसे देश की वो जनता जिसका कोई खुद का सगा जब तक ना मर जाए रोने से भी परहेज़ करती है - और जब कोई खुद का मर जाए तो विलापने दहाड़ने धिक्कारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती..

और ऐसा क्यूँ है ?? ये मैं बताता हूँ .. इसके केवल तीन मुख्य कारण हैं.. 

पहला कारण : -
इस देश में कानून सबके लिए एक जैसा नहीं है.. और तो और कानून के मायने या कानून के लागू होने या करने में भी अजब गजब विरोधाभास हैं.. और तो और यहां कानून बनाने वाले भी भिन्न-भिन्न तरह से भिनभिनाने वाले भन्नाए लोग हैं जो ना मालुम किस दिन क्या कह दें क्या कर दें क्या लिख दें क्या बना दें क्या पटक दें और क्या बता दें.. 
दूसरा कारण : -
कांग्रेस और भाजपा के चाल चरित्र में कोई अंतर नहीं है.. केवल चेहरे अलग-अलग हैं.. और चेहरे भी असली हैं या मुखौटे हैं इसका भी कोई अता पता नहीं है.. और कई बार तो यही लगता है कि ये 'दो जिस्म एक जान' ही तो हैं..
तीसरा कारण : -
केजरीवाल अलग ही मिटटी के बने हैं और वो १००% सही हैं.. दिल्ली में सभी अधिकार एक चुने हुए मुख्यमंत्री के पास होने चाहिए पर उनसे ये अधिकार सुनियोजित टुच्चे तरीकों से छीने गए हैं - और ऐसा इसलिए क्योंकि हर बंदे और हर उल्लू तक को पता है कि केजरीवाल को अपने अधिकारों का सदुपयोग करना आता है.. या यूँ कहें कि उन्हें उल्लुओं को उलटना आता है..

पर उपरोक्त परिस्थितियों से मैं पूर्णतः निराश नहीं हूँ.. क्योंकि मुझे ऐसी आशा है कि सुप्रीम कोर्ट जैसे ही स्वतंत्र और उन्मुक्त और स्वविवेकी हो जाता है वैसे ही केजरीवाल और दिल्ली और देश को ससमय पूर्ण न्याय मिलने लगेगा !!.. और तब सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि कई उल्लू रात भर जागेंगे और दिन में तारे गिनेंगे !!.. सुप्रीम कोर्ट नहीं तो ऊपर वाले के न्याय पर तो भरोसा करना ही पड़ेगा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 21 May 2018

// 'कर्नाटक के नाटक' और 'तेल के खेल' ने सिद्ध किया.. अंधभक्त भक्तों से बेहतर !!.. //


भला हो कर्नाटक के चुनावों का जिसकी वजह से पहले कोई २०-२२ रोज़ तक तेल के भाव नहीं बढे..

पर कर्नाटक के चुनाव निपटे नहीं - अंततः भाजपा गई तेल लेने और मोदी की भी औकात सबके सामने आ गई.. और तेल के भाव अपने नियत उच्चतम रिकॉर्ड की ओर फिसल लिए..

और सिद्ध हुआ कि स्वघोषित नसीब वाले मोदी अब हुए बदनसीब - क्योंकि उनकी नीयत और औकात की पोलें खुल गईं..

और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि शायद अब तो भक्तों को भी एहसास हो चला है कि अंधभक्तों के दिमाग में तेल तो बचा ही नहीं - बस शुष्क भूसा ही बचा है.. और इसलिए उनका ठस दिमाग चलने लगे इसकी कोई गुंजाईश बची नहीं..

और इसलिए ही तो अब अंधभक्त भी चिल्ला-चिल्ला कर यही कहने लगे हैं कि कॉंग्रेस के राज में भी तो यही सब होता था - मसलन ऐसे ही बेकार नकारा मन्दबुद्धिमान वफादार माननहीं राज्यपाल हुआ करते थे जो कोई यूपीएससी से सेलेक्ट होके थोड़े ही आते थे - और ऐसे ही तो जोड़-तोड़ करके सरकारें बनती थीं या तोड़ दी जाती थीं.. और ऐसे ही तो तेल के दाम मनमाने ढंग से बढ़ा करते थे..

यानि मानों अंधभक्त अब ये सिद्ध करने के कुप्रयास में कि उनकी मोदी वाली भाजपा सबसे अच्छी है - वस्तुतः अपने बावलेपन या बेवकूफी में यह सिद्ध करते जा रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस में तो कोई अंतर है ही नहीं - और मोदी किसी कॉंग्रेसी से भिन्न नहीं !!..

और अब भक्तों और अंधभक्तों में बस यही अंतर बचा है.. अंधभक्त मुखर हो अब भी मोदी के नामे टेके लगा रहे हैं और भक्त बेचारे क्षुब्ध हैं और खामोश रहकर तेल और तेल की धार देख पा रहे हैं..

यानि मैं पहली बार अनुभव कर रहा हूँ कि अंधभक्तों का प्रदर्शन भक्तों से देशहित में बेहतर सिद्ध हो रहा है..

इसलिए अंधभक्तों की जय हो !!.. और मेरी बला से भक्त जाएं मोदी के पास तेल लेने.. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 19 May 2018

// कर्नाटक में हार चुके पप्पू ने ५६ इंची पहलवान को पटखनी दे मारी - वाह !! ..//


कर्नाटक के नाटक के प्रथम भाग का जो कुछ भी हश्र हुआ या पटाक्षेप हो गया.. उसके कारण मोदी जी दुखी या मासूम तो होंगे..

पर मुझे नहीं लगता कि शर्मिंदा भी होंगे..

अब भक्त तो कहेंगे ही कि ४० से १०४ पर पहुंचे और सबसे बड़े दल के रूप में उभरे तो फिर किस बात की शर्मिंदगी ??..

तो मेरा जवाब है कि जिस विधा में मोदी जी अपने आपको पारंगत समझते थे और पारंगत होने का दावा दम्भ भी भरते थे उसी विधा में एक पप्पू से हार गए !! .. तो अब शर्मिंदा नहीं होंगे तो फिर कब होंगे.. केजरीवाल से हारने पर ??..

और शर्मिंदगी तो इस बात पर भी होनी चाहिए कि एक प्रधानमंत्री होते हुए देश के प्रति आपको सौंपी गई जवाबदारियों की परवाह किए बगैर घटिया स्तर पर उतर कर जनता के पैसों का दुरपयोग कर जो २१ रैलियां की थी क्या वो सब करना जायज़ था ??..

इसलिए कहता हूँ कि जब-जब बदनीयती से और बदहवास हो ऊटपटांग करोगे और करवाओगे तो शर्मिंदा तो होना ही पड़ेगा और आपके विरोधियों को खुश होने का सुअवसर मिलेगा..

और मोदी जी विदित हो मैं खुश हुआ - किसीके जीतने के कारण नहीं बल्कि कर्नाटक में हार चुके पप्पू ने आपको पटखनी दे मारी इसलिए..  समझे ५६ इंची पहलवान जी !!.. हा !! हा !! हा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 18 May 2018

// कर्नाटक के नाटक में तो बहुत कुछ देशहित लोकहित में शानदार हो गया है.. //


कर्नाटक में अब तो बहुत कुछ शानदार हो गया है - देशहित में हो गया है - लोकहित में हो गया है..

क्योंकि न केवल कई बातों का और कई तथाकथित हस्तियों का और कई टुच्चों का पर्दाफाश हो गया है - बल्कि पर्दा फट चुका है और परदे के पीछे बहुत सारे टुच्चे अब नंग-धड़ंग दिखने लगे हैं.. और अब नंगई पर पर्दा डालने और पर्दा पड़ने की संभावनाएं भी खत्म सी हो गई हैं - क्योंकि अब कोई पर्दा तो बचा ही नहीं है..

और मैं बहुत खुश हूँ.. खुश इसलिए कि अब विमर्श इस बात पर हो चला है कि कॉंग्रेसी टुच्चई करते रहे पूरे ६० साल - तो भाजपाई क्यों नहीं कर सकते ??.. और जितनी टुच्चई कॉंग्रेसी ६० साल में कर सके उससे भी ज्यादा टुच्चई भाजपाइयों ने ४ साल के अंदर-अंदर करके सबके सामने सार्वजनिक रूप से पटक दी है - और ठप्पे से सिद्ध कर दिया है कि कॉंग्रेसियों के राज्यपालों से भाजपाइयों के राज्यपाल उनसे अपेक्षित विधाओं में ज्यादा निपुण हैं..

और मैं इसलिए भी खुश हूँ कि अब तो जनता भी चिंतित हो विचारमग्न हो चली है कि ये हमारे संविधान में कैसे प्रावधान हैं कि कोई भी शिखरसत्तासीन टुच्चा किसी भी टुच्चे को राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर आसीन करवा सकता है - और फिर वो टुच्चा हर प्रकार की टुच्चई को अंजाम दे सकता है - जिसे संवैधानिक टुच्चई मान सबको टुच्चों के आगे घुटने टेकने के लिए विवश किया जा सके..

और क्योंकि अब चिंता और विचारों का स्तर टुच्चों की क्या काट हो - या इनका क्या तोड़ हो - या इनसे निजात पाने के क्या तौर तरीके हों इस स्तर पर पहुँच ही गया है तो मुझे लगता है कर्नाटक में चल पड़े नाटक के परिणाम भी देशहित में ही होंगे.. भक्तों को मार्गदर्शन देने वाले और अंधभक्तों को रुलाने वाले ही होंगे.. आमीन !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 17 May 2018

// आत्माओं प्रेतात्माओं भूतों रूहों जिन्नों अन्तरात्माओं के बीच - ज़िंदा इंसान ..//


पिछले दिनों कई भली आत्माएं परमात्मा में लीन होती रहीं.. और कई प्रेतात्माएं भटकती-भटकती कहीं खो गईं - कई बड़े-बड़ों के भूत सर चढ़कर बोलते रहे और फिर उतर खिसक लिए - कई रूहें कांपती कांपती शिथिल हो गईं.. और कई जिन्नों की घर वापसी हो गई !!..

और अब बारी आई है इन सबसे खतरनाक टुच्चों की अन्तरात्माओं की - जिनकी उत्पत्ति कर्नाटक से हो चुकी है.. और ये सबसे खतरनाक इसलिए हैं क्योंकि ये टुच्ची अंतरआत्माएँ आवाज़ बहुत करती हैं - बल्कि चीखती हैं चिंघाड़ती हैं और अत्यंत विघटनकारी होती हैं - क्योंकि ये जिसको चाहें तोड़ दे मरोड़ दे खरीद ले बिकवा दे..

और इसलिए कानफाडू गर्जना करती इन टुच्ची अन्तरात्माओं की आवाज़ों से निजात पाने के लिए या तो आप कानों में रूई डाले हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें.. या फिर  इन आत्माओं प्रेतात्माओं भूतों रूहों जिन्नों अन्तरात्माओं के विरुद्ध तनकर खड़े हो इन सबको चुनौती दें.. 

और इन्हें एहसास करा दें कि - ज़िंदा इंसान भी कुछ महत्त्व और औकात रखते हैं - और ये ज़िंदादिल इंसान ही होते हैं जिनकी अंतरात्मा में भी इंसानियत रचती बसती है.. 

आज मेरी अंतरात्मा ने जो कुछ कहा सही कहा ना !!.. धन्यवाद !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 15 May 2018

नेहरू का भूत मोदी को काम ही नहीं करने देगा..


// मोदी भाजपा कोई 'कामदार' नेता या पार्टी नहीं - ये तो स्वयं 'नामदार' हो गए हैं ..//


'कर्नाटक के चुनाव संपन्न हुए' - ऐसा कहना यकीनन उपयुक्त नहीं होगा..

क्योंकि वस्तुतः कर्नाटक के चुनाव इस देश के अब तक के सबसे खर्चीले चुनाव का गौरव हासिल कर भ्रष्टाचार और कदाचार और आदर्श आचार सहिंताओं का अचार डाल कई मायनों में निम्नतम स्तर को छूते हुए पूर्ण हुए..

इसलिए कहना उपयुक्त होगा कि कर्नाटक के चुनाव निपट गए - या निपटा दिए गए !!..

संतोष इस बात का हुआ कि कांग्रेस हारी.. और संतोष इस बात का भी कि दो राष्ट्रीय दलों के पुरजोर साम दाम दण्ड भेद झंडा अंडा डंडा दादा दारू दंगा रुपैय्या के दुरपयोग के बावजूद - और मोदी अंधी आंधी के बावजूद - एक क्षेत्रीय दल जेडीएस भी समस्त हथकंडे अपनाते हुए अच्छा प्रदर्शन कर गया..

और अपार दुख केवल इतना कि मोदी की आंधी चल गई.. वो अंधी आंधी जिसमें इस देश का अपूरणीय नुक़सान हो जाना अब अपरिहार्य होता जा रहा है..

तो आज तो यही कहना पड़ेगा कि भक्तू की निकल पड़ी - और भक्तों की हुई बल्ले-बल्ले.. और इसलिए हमारे लिए फिलहाल भुगतने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.. और हम लोकतान्त्रिक व्यस्वस्थाओं के तहत बहुत कुछ भुगतने के लिए तैयार हैं.. और भविष्य में देशहित में बाजी पलटने हेतु प्रयासरत भी..

और अंत में चेतावनी भी कि यदि कोई ये सोच रहा है कि भाजपा अपने अच्छे प्रदर्शन के कारण चुनाव जीत गई है तो वो मुगालते में है.. क्योंकि मुझे लगता है कि पिछले ४ साल में मोदी भाजपा का प्रदर्शन दयनीय हो चिंतनीय हो आपत्तिजनक भी रहा है.. और आगे भी मुझे किसी भी अच्छे प्रदर्शन की आशा नहीं दिखती.. क्योंकि ये कोई 'कामदार' पार्टी या नेता नहीं - ये तो लगता है अब स्वयं 'नामदार' हो गए हैं.. यानि बिना किसी 'काम' केवल 'नाम' के सहारे इनकी निकल पड़ी है..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 14 May 2018

// जिन्न के उठावने की सूचना !! .. ..//


// गधों को जब-तब भी नापा गया है.. शेरों से ऊँचा ही तो पाया गया है.. ..//


इस गधे में कुछ तो ख़ास है..
ये चर्चे जंगल में खासमखास हैं..

गधे तो मानने मनाने भी लगे हैं..
ये गधा नहीं शेर का अवतार है..

कुछ गधे तो इतराने भी लगे हैं.. 
गधों का इतिहास भी तो गवाह है..

गधों को जब-तब भी नापा गया है..
शेरों से ऊँचा ही तो पाया गया है.. .. .. नहीं क्या ??..

(ब्रह्म प्रकाश दुआ.. १४/०५/१८)

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Sunday 13 May 2018

// जब केजरी या कोई अन्य अपनी 'बाल्टी' सबसे आगे फंसा देगा तो क्या होगा ??..//


पप्पू प्रश्नों के जवाब देने के लिए प्रस्तुत हो गया.. प्रशंसनीय हिम्मत कर गया.. और पूछने वाले काबिल ने भी पूछ ही लिया कि पीएम बनोगे ??.. और पप्पू ने भी तत्काल बोल दिया - अगर उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो बनेंगे !!..

बस फिर क्या था चायवाला फेंकू इस पर कलप गया तड़प गया - और आल्टी-बाल्टी हो गया.. मानों जान गया कि कुर्सी खिसक गई.. और पप्पू को अहंकारी बोल बैठा.. जी हाँ 'अहंकारी' !!.. 

और मैं हो गया लोटपोट.. और वो इसलिए कि जो फेंकू २०१९ की बात किए बगैर ही आजकल सीधे २०२२ की बात करता हो और ये मानने लगा हो कि पीएम की पोस्ट ना हुई उसके गले का पट्टा हो गया हो - वो आल्टी-बाल्टी की नाटक नौटंकी करते दिखा.. कूल्हे-चूल्हे मटकाते भी दिखा !!..

और मुझे लगा कि पप्पू परिपक्व हो चला है.. क्योंकि यदि पप्पू बोलता कि 'मैं पीएम नहीं बनूँगा' तो अहंकार में चूर फेंकू आल्टी-बाल्टी होने के बजाय रेणुका से भी बुलंद अट्टाहास करता.. और गोदी मीडिया पप्पू का जबरदस्त मज़ाक बनाता..

यानि तय हुआ कि अब शाना पप्पू अहंकारी नहीं - बल्कि बेवकूफ फेंकू ही अहंकारी है.. और अहंकारी भी इतना कि बिना शर्म नौटंकी से भी परहेज़ नहीं करता..

अच्छा एक बात और.. कल्पना करें कि जब केजरी या कोई अन्य क्रांतिकारी अपनी 'बाल्टी' सबसे आगे फंसा देगा तो क्या होगा ??.. क्या अहंकारी मुजरा तो नहीं करने लगेगा ??.. और क्या फेंकू से भी कुछ ऐसे ही प्रश्न पूछने का कभी किसी को मौका मिलेगा ??..

मसलन क्या कोई फेंकू से प्रश्न पूछेगा कि यदि वो हार गया तो क्या फिर चाय बेचेगा या फिर पकौड़े तलेगा या पान की दूकान लगाएगा ??.. या फिर ताज़िन्दगी बैठे-ठाले हराम की ही खाएगा ??..

हा !! हा !! हा !! .. मैं फिर लोटपोट हुआ .. हा !! हा !! हा !! ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 12 May 2018

// दुःखद माहौल.. पर एक सुखद पहलू रवीश कुमार विनोद दुआ अभिसार शर्मा पुण्य प्रसून वाजपेई के नाम ..//


बहुत दिन हुए.. जैसा कि ज़िन्दगी में होता ही रहता है.. अपने फ़र्ज़ों और दुनियावी बातों में व्यस्त रहा.. और अपने खाते में आए सुख और दुःख दोनों को जीता रहा.. और इसलिए बाक़ी सब कुछ और बहुत कुछ करता रहा पर हाँ - मजबूरन लिख नहीं पाया..

और इस दौरान अस्पतालों के बहुत चक्कर लगे और बहुत लोगों से मुलाकात होती रही और देश की अवस्था को बेहतर जानने और अनुभव करने का अवसर भी प्राप्त हुआ..

और मैंने पाया कि हमारी सरकारें हर जगह से नदारद हैं.. व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं.. गरीब के लिए जीना और दूभर हो चला है.. और ये सब दुःखद रहा..

पर दुःखद माहौल में भी सुखद पहलू यह रहा कि मुझे लगा कि अब मोदी से पूरे समाज का मोहभंग हो चला है और भक्त भी अब मायूस हो चले हैं और अब यकीन करने के पर्याप्त कारण और तर्क हैं कि - अब मोदी के दिन लद चुके हैं और देश के बुरे दिन समाप्त होने जा रहे हैं..

और ये जो माहौल परिवर्तन हुआ है इसका मुख्य अपश्रेय तो स्वयं मोदी को ही जाता है.. पर साथ ही इसका मुख्य श्रेय मैं ४ हस्तियों को भी देना चाहूंगा.. और ये तीन हस्तियां हैं..
१) रवीश कुमार - २) विनोद दुआ - ३) अभिसार शर्मा - ४) पुण्य प्रसून वाजपेई..

और ऐसा इसलिए कि मैं इस दौरान इन्हें सुनता रहा हूँ.. और भक्तों को इनके प्रति खिसियाते झल्लाते देखता रहा हूँ.. और आम पढ़े-लिखों के बीच और सोशल मीडिया पर इन की बातों पर बहस और चर्चा होते भी देखता रहा हूँ..

और इसलिए समस्त आपाधापी के बीच मैं आश्वस्त हूँ कि एक मोदी की क्या बिसात कि वो ऐसी ज़िंदादिल काबिल हस्तियों के रहते अपने घृणित लक्ष्यों को हासिल कर सकें..

इसलिए अब कुछ फुर्सत पाने के बाद पुनः लेखन शुरू करने के प्रयास करते हुए रवीश कुमार - विनोद दुआ - अभिसार शर्मा - और पुण्य प्रसून वाजपेई जैसी हस्तियों को अनेक साधुवाद देते हुए आज आपसे भी प्रार्थना.. इन्हे गौर से सुनते रहिए और इनकी सारगर्भित तार्किक बातों का अनुसरण और उचित प्रसार भी करते रहिए.. जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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